किडनी खराब होने के बाद पूरे शरीर पर पड़ता है बुरा असर, कई अंग देने लगते हैं जवाब

क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता को कम करती है और लंबे समय तक चलती है। यह एक प्रगतिशील और स्थायी बीमारी है, यानी इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। 

गुरुग्राम स्थित मेदांता के नेफ्रोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट, रीनल केयर के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी डॉ. श्याम बिहारी बंसल के मुताबिक जब किडनी अपने काम जैसे खून से गंदगी को छानना, इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखना 

विटामिन डी और एरिथ्रोपोइटिन जैसे हार्मोन बनाना और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना आदि सही तरीके से नहीं कर पाती, तो इससे कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं, जो शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती हैं। 

किडनी बीपी कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन जब किडनी खराब हो जाती है तो हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) हो सकता है। इसके अलावा, CKD की वजह से खून में गंदगी और अतिरिक्त पानी जमा हो जाता है 

जिससे अटरियोस्क्लेरोसिस (आर्टरी का कठोर होना), हार्ट फेलियर और अन्य दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 

किडनी खून में कैल्शियम और फॉस्फेट का संतुलन बनाए रखती है और विटामिन डी बनाती है, जो हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है। CKD के कारण मिनरल्स इम्बैलेंस होने से हड्डियों की बीमारी हो सकती है जिसे "रीनल ऑस्टियोडिस्ट्रॉफी" कहते हैं। 

इससे हड्डियों में दर्द, फ्रैक्चर और बच्चों में हड्डियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो मरीज की लाइफ क्वालिटी को बहुत खराब कर देती हैं। 

किडनी एरिथ्रोपोइटिन नामक हार्मोन बनाती है, जो रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है। CKD में एरिथ्रोपोइटिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे एनीमिया (खून की कमी) हो सकता है। इसके लक्षणों में थकान, कमजोरी और शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता कम होना शामिल है। 

​किडनी की बीमारी लंबे समय तक डायजेस्टिव सिस्टम को भी परेशान कर सकती है। CKD के मरीजों को मतली, उल्टी और भूख न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं 

क्योंकि खून में टॉक्सिन जमा हो जाते हैं। इससे मालन्यूट्रिशन और वजन घटने की समस्या होती है, जो शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता को और कमजोर कर देती है। 

जिन मरीजों की किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर देती है, उनके लिए किडनी ट्रांसप्लांट एक जीवन बचाने वाला रास्ता है।  

किडनी ट्रांसप्लांट में किसी जीवित या मृत डोनर से ली गई हेल्दी किडनी को मरीज के शरीर में लगाया जाता है। यह नई किडनी उन सभी जरूरी कामों को संभाल लेती है जो खराब हो चुकी किडनी नहीं कर पा रही थी। 

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।