भारत के ज्यादात्तर घरों में बिजली के मीटर लगे ही होते हैं और इन्हीं की रीडिंग से बिजली बिल बनता है।
लेकिन अभी भी ज्यादात्तर लोगों को बिजली मीटर की रिडिंग पढ़ना नहीं आता है।
किराए पर रह रहे लोगों के लिए भी बिजली मीटर की रीडिंग आवश्यक होती है। क्योंकि उन्हें इसके हिसाब से ही बिल भरना होता है।
आमतौर पर बिजली मीटर दो तरह के होते हैं पुराने वाले मीटर और डिजिटल मीटर।
पुराने मीटर में आखिरी लाल अंक को छोड़कर बाकी के अंक आपकी रीडिंग इंगित करते हैं।
आखिरी अंक को छोड़कर बाकी के अंक लिख लें और अगले माह आखिरी अंक को छोड़कर बाकी के अंकों से इनका अंतर निकाल लें।
पहले लिखी गई संख्या और महीने के बाद प्राप्त हुई संख्या का अंतर ही आपके द्वारा इस्तेमाल हुई यूनिट बताती है।