Ajmer Blackmail case 1992 : 1992 के अजमेर ब्लैकमेल और गैंगरेप कांड में 32 साल बाद न्याय की जीत, 250 लड़कियों को ब्लैकमेल कर किया गया था शोषण, कोर्ट ने 6 दोषियों को आजीवन कारावास और लगाया 5 लाख का जुर्माना

Parvesh Malik
By Parvesh Malik
Justice triumphed after 32 years in the 1992 Ajmer blackmail and gangrape case, 250 girls were blackmailed and exploited, the court sentenced 6 culprits to life imprisonment and imposed a fine of Rs 5 lakh.
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Ajmer Blackmail case 1992 : अजमेर, 22 अगस्त 2024: राजस्थान के अजमेर में 1992 के बहुचर्चित ब्लैकमेल और गैंगरेप कांड के बचे हुए 6 आरोपियों को 32 साल बाद विशेष POCSO कोर्ट ने दोषी ठहराया है। कोर्ट ने इन सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में दोषी ठहराए गए आरोपियों के नाम नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन हैं।

इस ऐतिहासिक फैसले के साथ ही 1992 में हुए इस भयावह अपराध का एक बड़ा अध्याय बंद हुआ है, जिसने अजमेर को झकझोर कर रख दिया था।

 

क्या था अजमेर का 1992 गैंगरेप कांड ?

1992 में अजमेर में हुए इस कांड में एक गैंग ने करीब 250 स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों की नग्न तस्वीरें खींची थीं। इन तस्वीरों को लीक करने की धमकी देकर इन दरिंदों ने 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ गैंगरेप किया था। गैंग के सदस्य इन लड़कियों को फार्महाउस पर बुलाकर उनका शोषण करते थे और फिर उन्हें धमकी देकर ब्लैकमेल करते थे।

इस मामले का खुलासा एक अखबार द्वारा किया गया था, जिसने इस संगठित अपराध को समाज के सामने उजागर किया। पीड़ित लड़कियों की उम्र उस समय 11 से 20 साल के बीच थी। इस घटना ने अजमेर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों की छात्राओं को प्रभावित किया।

Justice triumphed after 32 years in the 1992 Ajmer blackmail and gangrape case, 250 girls were blackmailed and exploited, the court sentenced 6 culprits to life imprisonment and imposed a fine of Rs 5 lakh.
Justice triumphed after 32 years in the 1992 Ajmer blackmail and gangrape case, 250 girls were blackmailed and exploited, the court sentenced 6 culprits to life imprisonment and imposed a fine of Rs 5 lakh.

मामले में चार्जशीट और सजा की प्रक्रिया :

इस कांड में पुलिस ने 12 आरोपियों के खिलाफ 30 नवंबर 1992 को पहली चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में जिन आरोपियों का नाम शामिल था, वे हैं:

1. कैलाश सोनी
2. हरीश तोलानी
3. फारुख चिश्ती
4. इशरत अली
5. मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी
6. परवेज अंसारी
7. नसीम उर्फ टार्जन
8. पुरुषोत्तम उर्फ बबली
9. महेश लुधानी
10. अनवर चिश्ती
11. शम्सू उर्फ माराडोना
12. जहूर चिश्ती

इनमें से कुछ आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी थी, जबकि आज कोर्ट ने बचे हुए 6 दोषियों को भी दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

अजमेर 92 - विकिपीडिया

अदालत के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था :

फैसला सुनाए जाने के दौरान कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे। इस महत्वपूर्ण मामले को लेकर कोर्ट परिसर के बाहर भारी भीड़ देखी गई, और सुरक्षा एजेंसियों ने हर स्थिति पर नजर बनाए रखी।

 

 

कानूनी प्रक्रिया और न्याय की जीत :

यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में 32 साल तक चला, जिसके बाद आज यह महत्वपूर्ण फैसला आया है। कोर्ट ने इन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अपराध न केवल पीड़ितों के जीवन को नष्ट करने वाला है, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा का वातावरण भी पैदा करता है। इसलिए दोषियों को कठोरतम सजा दी गई है।

 

अजमेर कांड का सामाजिक प्रभाव और सबक :

इस कांड ने 1992 में पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस घटना ने यह दिखाया कि कैसे अपराधी संगठित होकर समाज की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। पीड़ित छात्राओं के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा और आज भी यह घटना एक काले धब्बे के रूप में याद की जाती है। इस फैसले से समाज को एक संदेश गया है कि कानून की नजर में कोई भी अपराधी बच नहीं सकता, चाहे फैसला आने में कितना भी समय लगे।

Justice triumphed after 32 years in the 1992 Ajmer blackmail and gangrape case, 250 girls were blackmailed and exploited, the court sentenced 6 culprits to life imprisonment and imposed a fine of Rs 5 lakh.
Justice triumphed after 32 years in the 1992 Ajmer blackmail and gangrape case, 250 girls were blackmailed and exploited, the court sentenced 6 culprits to life imprisonment and imposed a fine of Rs 5 lakh.

भविष्य के लिए सबक :

इस घटना से हमें यह सबक मिलता है कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को आवाज उठाने और न्याय प्राप्त करने में समाज को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज़ करने और पीड़ितों को उचित संरक्षण देने के लिए सरकार और न्यायिक संस्थाओं को निरंतर प्रयास करना चाहिए।

अजमेर कांड जैसे मामलों में हमें सतर्क रहने और अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है।

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