Paris Paralympics 2024:सोनीपत के धर्मबीर नैन ने पेरिस में जीता स्वर्ण पदक, संघर्ष से भरी कहानी बनी प्रेरणा

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Paris Paralympics 2024:सोनीपत के धर्मबीर नैन ने पेरिस में जीता स्वर्ण पदक, संघर्ष से भरी कहानी बनी प्रेरणा
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Paris Paralympics 2024:हरियाणा के खिलाड़ियों ने पेरिस में आयोजित पैरा ओलंपिक खेलों में देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। खासतौर पर सोनीपत के गांव भदाना निवासी धर्मबीर नैन ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। धर्मबीर ने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर का थ्रो करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जिससे पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि उनके गुरु, गांव बैयापुर के अंतरराष्ट्रीय क्लब थ्रोअर अमित सरोहा के लिए भी गर्व का क्षण है, जिन्होंने धर्मबीर को खेल के प्रति समर्पण और जीत की प्रेरणा दी।

संघर्ष और हौसले से लिखी गई जीत की कहानी

धर्मबीर नैन की जीवन यात्रा किसी प्रेरणा से कम (Paris Paralympics 2024)नहीं है। खेल के प्रति जुनून तो बचपन से ही था, लेकिन 6 जून 2012 को हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। एमए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे धर्मबीर उस दिन नहर में नहाने गए थे, जब अचानक गिरने से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। इस हादसे के कारण उनका शरीर का आधा हिस्सा हमेशा के लिए काम करना बंद कर गया। इस कठिन परिस्थिति में भी धर्मबीर ने हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू किया।

दिल्ली में इलाज कराने के बाद, गुरुग्राम में आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण लिया। हादसे के बाद उनके परिवार ने उन्हें खेल से दूर रहने की सलाह दी, (Paris Paralympics 2024)लेकिन धर्मबीर ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से खुद को साबित किया। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि हौसले बुलंद हों, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

गुरु अमित सरोहा का मार्गदर्शन बना सफलता की कुंजी

धर्मबीर की जिंदगी में अहम मोड़ तब आया जब 2013 में वे अमित सरोहा के संपर्क में आए। अमित सरोहा न केवल एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं, बल्कि धर्मबीर के लिए एक प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक भी बने। उनके नेतृत्व में (Paris Paralympics 2024)धर्मबीर ने अपने खेल कौशल को निखारा और 2018 एशियन गेम्स में रजत पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर धर्मबीर ने न केवल अपने करियर को ऊंचाई दी बल्कि अपने गुरु अमित सरोहा के सपने को भी साकार किया। यह जीत दोनों के लिए एक विशेष उपलब्धि है, जो खेल में परिश्रम और प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गई है।

परिवार की खुशी और भावुक पल

धर्मबीर की इस बड़ी जीत से उनके परिवार में खुशी का माहौल है। उनकी मां ने अपने बेटे की मेहनत पर गर्व जताते हुए कहा, “धर्मबीर ने दिन-रात कड़ी (Paris Paralympics 2024)मेहनत की और अपने गुरु से लगातार ट्रेनिंग ली। आज उनकी मेहनत का फल मिला है।” वहीं धर्मबीर की पत्नी ने भी भावुक होते हुए कहा, “यह स्वर्ण पदक धर्मबीर का नहीं, बल्कि उनके गुरु अमित सरोहा को समर्पित है, जिन्होंने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया।”

धर्मबीर के गांव में भी उत्साह का माहौल है और उनके स्वागत के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। मिठाई और दूध पेडे खिलाकर उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा।

हरियाणा और देश का गौरव
धर्मबीर नैन की इस ऐतिहासिक जीत ने हरियाणा और सोनीपत का नाम विश्व पटल पर चमका दिया है। उनकी संघर्ष और जीत की कहानी हजारों लोगों (Paris Paralympics 2024)के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। यह जीत साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों और गुरु का सही मार्गदर्शन हो, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

धर्मबीर की कहानी खेल और जीवन में चुनौतियों से जूझने वालों के लिए एक मिसाल है, जो बताती है कि कठिनाइयां जीवन को बदलने नहीं, बल्कि मजबूत बनाने आती हैं।

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