Toll plaza new rule : अब 20 किलोमीटर तक नहीं लगेगा टोल, सरकार टोल नियमों में किये बड़े बदलाव, जानें क्या है नया सिस्टम

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Toll plaza new rule : अब 20 किलोमीटर तक नहीं लगेगा टोल, सरकार टोल नियमों में किये बड़े बदलाव, जानें क्या है नया सिस्टम
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केंद्र सरकार ने टोल वसूली (Toll plaza new rule) के नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे देश भर में हाईवे यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। अब GPS आधारित टोल प्रणाली के जरिए वाहन चालकों से दूरी के आधार पर टोल वसूला जाएगा। यह नई प्रणाली न केवल टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम को कम करेगी, बल्कि यातायात को भी सुगम बनाएगी। सरकार का यह कदम देश के परिवहन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

सरकार ने किया टोल नियमों में बड़ा संशोधन

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में बदलाव किया है, जिससे अब सैटेलाइट (Toll plaza new rule )आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू की जाएगी। यह नई व्यवस्था 2008 में बनाए गए नेशनल हाईवे फीस (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियमों में संशोधन के तहत लागू की गई है। इसमें GPS और ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) का उपयोग कर वाहनों से दूरी के आधार पर टोल लिया जाएगा।

इससे पहले, Toll Plaza पर कैश या FASTag के जरिए टोल वसूला जाता था, जिससे कई बार ट्रैफिक जाम की समस्या होती थी। लेकिन अब, इस नई प्रणाली के तहत गाड़ियों से ऑटोमैटिक तरीके से Satellite के माध्यम से टोल वसूला जाएगा।

कैसे काम करेगा नया टोल सिस्टम?

जीपीएस आधारित टोल सिस्टम सैटेलाइट और कार में लगे ट्रैकिंग डिवाइस के जरिए काम करेगा। गाड़ियों में OBU नामक डिवाइस लगाए जाएंगे, जो वाहन की लोकेशन को सैटेलाइट तक पहुंचाते रहेंगे। Satellite वाहन की तय की गई दूरी की सटीक जानकारी प्राप्त करेगा और उसी आधार पर टोल वसूला जाएगा। इस नई प्रणाली के अंतर्गत, अगर आप 20 किलोमीटर तक यात्रा करते हैं तो कोई टोल नहीं देना होगा, उसके बाद ही आपकी यात्रा की दूरी के अनुसार शुल्क लगेगा।

इस प्रक्रिया को और अधिक सटीक बनाने के लिए, GPS और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। Higways पर लगे कैमरे भी इस प्रक्रिया में मदद करेंगे, जो गाड़ियों की Location की पुष्टि करेंगे। इससे टोल वसूली में पूरी पारदर्शिता और सटीकता बनी रहेगी।

फास्टैग से कैसे अलग है यह प्रणाली?

FASTag प्रणाली के तहत, गाड़ियां टोल प्लाजा से गुजरने पर शुल्क का भुगतान करती हैं, जबकि जीपीएस आधारित टोलिंग में (Toll plaza new rule ) गाड़ियों की यात्रा की दूरी के आधार पर शुल्क वसूला जाएगा। फास्टैग में हर टोल प्लाजा पर स्कैनिंग की जरूरत होती है, लेकिन जीपीएस आधारित टोल प्रणाली में यह समस्या नहीं होगी।

यह प्रणाली सैटेलाइट के माध्यम से काम करेगी, जिससे आपको टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। यह अधिक सटीक, तेज और सुविधाजनक होगी। इसके लिए भारत की जीपीएस एडेड GEO ऑग्मेंटेड नेविगेशन (GAGAN) प्रणाली का भी उपयोग किया जाएगा।

टोल वसूली के नए नियम और फायदा

नए नियमों के तहत 20 किलोमीटर तक का शून्य-टोल कॉरिडोर पेश किया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि वाहन चालक 20 किलोमीटर तक का सफर मुफ्त में कर सकेंगे। इसके बाद ही तय की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाएगा। इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जो कम दूरी के लिए ही हाईवे का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, यह नई व्यवस्था टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत को खत्म करेगी, जिससे ट्रैफिक जाम में कमी आएगी और यात्रा का समय भी कम होगा।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत में पंजीकृत नहीं होने वाले या बिना GNSS उपकरण वाले वाहनों से टोल दरें वसूली जाती रहेंगी, जैसा (Toll plaza new rule )अभी हो रहा है। लेकिन GNSS उपकरणों का उपयोग करने वाले वाहनों के लिए यह प्रणाली अधिक सुविधाजनक और किफायती साबित होगी।

OBU उपकरण कैसे खरीदें?

ओन-बोर्ड यूनिट (OBU) उपकरण, जो कि GPS ट्रैकिंग डिवाइस के रूप में काम करेगा, फास्टैग की तरह ही सरकारी पोर्टल से खरीदा जा सकेगा। इस OBU को गाड़ी के बाहरी हिस्से में लगाया जाएगा, जिससे यह वाहन की सटीक लोकेशन और यात्रा की दूरी की जानकारी सैटेलाइट को भेज सके। भविष्य में, गाड़ी निर्माता कंपनियां OBU पहले से लगी हुई गाड़ियां भी बेच सकती हैं, जिससे ड्राइवरों को अलग से इसे लगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

इस प्रणाली का लाभ किन्हें मिलेगा?

यह नई प्रणाली पहले कुछ चुनिंदा Highway और Expressway पर लागू की जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि धीरे-धीरे इस प्रणाली को सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू किया जाए। इससे हाईवे पर यात्रा करने वाले लाखों वाहन चालकों को लाभ होगा। विशेषकर वे लोग, जो रोजाना कम दूरी की यात्रा करते हैं, इस प्रणाली से अधिक लाभान्वित होंगे, क्योंकि उन्हें 20 किलोमीटर तक का कोई टोल नहीं देना होगा।

 

केंद्र सरकार का यह कदम परिवहन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार की दिशा में बड़ा कदम है। जीपीएस आधारित टोल प्रणाली न केवल टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम को कम करेगी, बल्कि टोल वसूली में पारदर्शिता और सटीकता भी लाएगी। इससे यात्रियों का समय बचेगा और उनकी यात्रा और भी सुगम होगी।

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