Somwati Amavasya : सोमवती अमावस्या आज, पिंडारा तीर्थ पर पहुंचे 1 लाख श्रद्धालु, क्या है पिंडारा तीर्थ औऱ सोमवती अमावस का महत्व

Sonia kundu
By Sonia kundu
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Somwati Amavasya : जींद : सोमवार को अमावस्या है और सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। साथ ही पितरों का तर्पण किया जाता है।

माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्रती को अखंड सौभाग्य, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या (Somwati Amavasya) शिव योग भोर से लेकर शाम छह बजकर 20 मिनट तक रहेगा। वहीं सिद्ध योग शाम छह बजकर 20 मिनट से लेकर पूर्ण रात्रि तक रहेगा।

Somwati Amavasya: Somwati Amavasya today, crowd of devotees will gather at Pindara shrine
Somwati Amavasya today, crowd of devotees will gather at Pindara shrine

ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से उनमें सफलता प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली आती है। सोमवती अमावस्या पर पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु सरोवर में स्नान कर तर्पण करेंगे। श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर रखी हैं।

स्पेशल पुलिसकर्मियों की डयूटी लगाई गई हैं। वहीं वालंटीयर व श्रद्धालु व्यवस्था की कमान संभालेंगे। जींद-गोहाना मार्ग पर जाम की स्थिति न रहे, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस तैनात रहेगी।

2024 में केवल तीन सोमवती अमावस्या के बने योग

1. पहला योग आठ अप्रैल को।
2. दूसरा योग दो सितंबर को।
3. तीसरा योग 30 दिसंबर को।

Somwati Amavasya : यह रहेगी सोमवती अमवस्या की पूजा-विधि

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व रहता है। अगर सरोवर या नदी में स्नान नहीं किया जा सकता है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डाल कर स्नान कर सकते हैं।

स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्जवलि करें। सूर्य देव को अराध्य दें। अगर उपवास रख सकते हैं तो अवश्य रखें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान अवश्य करें। अपने ईष्ट देव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

पिंडारा तीर्थ का यह है महत्व

पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।

तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

सोमवती अमावस्या में पूजा व पितृ तर्पण का विशेष महत्व : नवीन शास्त्री
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या पर तर्पण से पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है। इसके अलावा सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

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