Identification of real or fake DAP fertilizer: असली और नकली डीएपी खाद की पहचान कैसे करें, जानें विशेषज्ञों से

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Identification of real or fake DAP fertilizer: असली और नकली डीएपी खाद की पहचान कैसे करें, जानें विशेषज्ञों से
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Identification of real or fake DAP fertilizer: देश भर के किसानों को फसल की अच्छी पैदावार के लिए ढेर सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और इनमें से एक गंभीर समस्या नकली डीएपी (fake DAP) यानी डाई अमोनियम फॉस्फेट खाद की है। DAP खाद, जो कि फसलों की वृद्धि और उच्च उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, DAP fertilizer की बढ़ती मांग के कारण इसके नकली संस्करण का बाजार में आना आम हो गया है। यह नकली खाद किसानों की फसल उत्पादन में भारी कमी ला रही है और उनकी आमदनी को भी प्रभावित कर रही है।

Identification of real or fake DAP fertilizer: नकली डीएपी से किसानों के साथ जमीन में भी होता है नुकसान

डीएपी खाद की कीमत लगभग 1450 रूपये प्रति बोरा होती है, जिससे यह एक महंगी खाद बनती है। किसानों को इस खाद की कीमत चुकानी पड़ती है, लेकिन कई बार वे नकली खाद का शिकार हो जाते हैं। असली DAP में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है, जो फसलों के लिए अत्यधिक लाभकारी है। लेकिन नकली डीएपी में पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में गिरावट आती है और फसल उत्पादन कम होता है।

किसानों के अनुसार, फसल की कटाई के तीन महीने बाद ही यह पता चलता है कि खाद असली थी या नकली। अगर फसल का उत्पादन अपेक्षानुसार होता है, तो किसानों को लगता है कि खाद असली थी। लेकिन जब फसल उत्पादन में गिरावट आती है, तब यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने नकली डीएपी खरीदी थी।

Identification of real or fake DAP fertilizer: ऐसे पहचानें असली और नकली डीएपी

नकली खाद की पहचान के लिए किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि असली डीएपी खाद की पहचान के लिए किसान कुछ दानों को हाथ में लेकर उसमें चुना मिलाकर रगड़ें और चुने और डीएपी खाद को अच्छी तरह मिला लें। अगर इससे तेज गंध निकलती है, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाता है, तो समझें कि खाद असली है नहीं तो खाद नकली है।

Identification of real or fake DAP fertilizer: नकली खाद वालों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत

हालांकि, सरकार ने नकली खाद और बीज के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन कई बड़े राज्यों में इनकी प्रभावी जांच की कमी है। महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में इन पर कड़ी कार्रवाई की जाती है, लेकिन हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसलिए, किसानों को जागरूक करना और सरकार द्वारा कड़ी निगरानी और नियंत्रण लागू करना बेहद जरूरी है, ताकि खेती में farmers को बेहतर उत्पादन और आय मिल सके।

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