workload stress: मुन्ना भाई एमबीबीएस की सलाह याद रखें – टेंशन लेने का नहीं, देने का! वर्कलोड का तनाव ऐसे करें कम

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
workload stress: मुन्ना भाई एमबीबीएस की सलाह याद रखें - टेंशन लेने का नहीं, देने का! वर्कलोड का तनाव ऐसे करें कम
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

workload stress: आजकल की प्रतिस्पर्धा और बढ़ते काम के दबाव में हर दूसरा व्यक्ति तनाव से जूझ रहा है। हालांकि, फ़िल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में संजय दत्त का एक मशहूर डायलॉग था, टेंशन लेने का नहीं, देने का! लेकिन, इस सलाह को कई लोग जीवन में अपनाने में विफल हो रहे हैं और काम का दबाव जानलेवा साबित हो रहा है।

workload stress: काम के दबाव ने छीनी ज़िंदगी

हाल ही में पुणे की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट ऐना सेबेस्टियन की मौत का मामला सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा में रहा। ऐना की माँ ने एक पत्र के माध्यम से कंपनी पर काम के अत्यधिक दबाव का आरोप लगाया, जिसके चलते उनकी बेटी को अपनी जान गंवानी पड़ी। केवल चार महीने की नौकरी के बाद ऐना तनाव में आ गई थी और अंततः उसने दम तोड़ दिया।

इस दुखद घटना के बाद, ऐना के कई सहकर्मियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और कंपनी में काम के दबाव के मुद्दे को उजागर किया। हालांकि, कंपनी ने workload pressure के आरोपों का खंडन किया, लेकिन इस मामले की जांच अब सरकार के स्तर पर की जा रही है।

workload stress: काम का तनाव: एक वैश्विक संकट

ऐना की दुखद मौत ने न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में कॉर्पोरेट जगत के सामने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्क प्रेशर के कारण होने वाली मौतों के मामले अकेले भारत में नहीं, बल्कि चीन और अमेरिका जैसे देशों में भी देखे गए हैं। चीन में एक व्यक्ति ने लगातार 104 दिन बिना छुट्टी के काम किया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। अमेरिका में भी एक बैंक कर्मचारी की मौत का कारण काम का अत्यधिक तनाव ही बना।

workload stress: विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में काम के दबाव और तनाव के चलते 7.50 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। अत्यधिक काम करने से हृदय रोग, डायबिटीज़ और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, लंबे समय तक कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने से जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, सिरदर्द और आंखों में थकान जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।

काम का तनाव व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है और पारिवारिक जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

workload stress: तनाव और दुर्घटनाओं का रिश्ता

काम के तनाव का असर केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं पर भी पड़ता है। जब हम काम के तनाव में गाड़ी चलाते हैं तो दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, मोबाइल और ईमेल की सुविधा ने हमें हर समय काम से जुड़े रहने पर मजबूर कर दिया है, जिससे आराम करने का समय नहीं मिल पाता।

workload stress: हफ्ते में 55 घंटे से अधिक काम करने वालों को है ख़तरा

जानकारों का मानना है कि सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वाले लोग अधिक तनाव में रहते हैं। यह तनाव उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि कामयाब होने के लिए मेहनत न की जाए, लेकिन हमें परिश्रम और अतिश्रम में फर्क समझना चाहिए।

workload stress: तनाव से बचने के उपाय

1. स्वास्थ्य की नियमित जांच: समय-समय पर अपनी सेहत की जांच करवाएं और अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही काम करें।

2. योग और ध्यान का सहारा: तनाव को दूर रखने के लिए योग, ध्यान और मनोरंजन का सहारा लें।

3. कार्य-जीवन संतुलन: काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

workload stress: इम्प्लॉयर्स की भी जिम्मेदारी

workload stress: मुन्ना भाई एमबीबीएस की सलाह याद रखें - टेंशन लेने का नहीं, देने का! वर्कलोड का तनाव ऐसे करें कम
workload stress: मुन्ना भाई एमबीबीएस की सलाह याद रखें – टेंशन लेने का नहीं, देने का! वर्कलोड का तनाव ऐसे करें कम

काम का दबाव कम करना सिर्फ़ कर्मचारियों की ही नहीं, बल्कि इम्प्लॉयर्स की भी जिम्मेदारी है। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव न बने और उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।

workload stress: मुन्ना भाई की सलाह मानें, टेंशन न लें

आज के युवाओं को जल्द सफलता पाने की होड़ में काम और आराम के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। मुन्ना भाई एमबीबीएस की सलाह को अपनाकर हमें यह सीखना चाहिए कि टेंशन लेने का नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित ढंग से जीने का नाम है।

वर्क प्रेशर और तनाव से बचने के लिए हमें अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ताकि ऐना सेबेस्टियन जैसे दुखद मामले दोबारा न हों।

Share This Article