Female PMT Rule Changed : हरियाणा सरकार ने वन विभाग में महिलाओं की भर्ती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य में पुलिस, वन विभाग और अन्य सरकारी भर्तियों में महिलाओं की छाती की माप नहीं ली जाएगी। इस संशोधन के तहत, वन विभाग में रेंजर, Deputy Ranger समेत अन्य पदों के लिए महिलाओं के फिजिकल टेस्ट (PMT) में छाती की माप को पूरी तरह से हटा दिया गया है।
महिलाओं के शारीरिक मापदंड में बदलाव :
हरियाणा राज्य वन कार्यकारी शाखा ग्रुप-सी सेवा (संशोधन) नियम, 2021 में संशोधन करते हुए कैबिनेट ने यह फैसला लिया। इसके साथ ही हरियाणा वन्य प्राणी संरक्षण विभाग, राज्य सेवा लिपिक वर्गीय, कार्यकारी एवं विविध ग्रुप-सी सेवा संशोधन नियम, 1998 में महिलाओं के शारीरिक मापदंडों को संशोधित किया गया। इसमें विशेष रूप से छाती के मापदंड को हटाया गया है, जो पहले महिलाओं के लिए 74 सेमी (सामान्य) और 79 सेमी (फुलाए जाने पर) निर्धारित था।
यह फैसला इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि पहले के नियमों के कारण विभागीय असमानता पैदा हो गई थी। अब संशोधित नियमों के तहत, महिलाओं के लिए कोई छाती मापदंड लागू नहीं होगा।
पुराना विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रिया :
पूर्व सीएम खट्टर के कार्यकाल में 7 जुलाई 2023 को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने वन विभाग में महिलाओं के फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट (PMT) में छाती की माप शामिल की थी। इसके तहत महिला अभ्यर्थियों की छाती का सामान्य आकार 74 सेमी या फुलाकर 79 सेमी होना चाहिए था। वहीं, पुरुषों के लिए यह मापदंड बिना फुलाए 79 सेमी और फुलाए जाने के बाद 84 सेमी निर्धारित था।
इस नियम को लेकर राज्य में भारी विवाद हुआ था। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए इस नियम को महिला गरिमा के खिलाफ करार दिया था। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए इस नियम को ‘तुगलकी फरमान’ बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की थी। उनका कहना था कि इस तरह का कोई नियम हरियाणा पुलिस और केंद्रीय पुलिस बलों में लागू नहीं है, फिर वन विभाग में यह क्यों लागू किया जा रहा है?
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का विरोध :
इस नियम ने न केवल राजनीतिक हलचल पैदा की, बल्कि महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इसे लेकर कड़ा विरोध जताया। महिला संगठनों ने इस नियम को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि इस तरह के मापदंड का कोई औचित्य नहीं है और यह महिला उम्मीदवारों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है।
महिला उम्मीदवारों का कहना है कि अगर हमारे फेफड़ों की क्षमता जांचना चाहते हैं, तो यह समझ में आता है, लेकिन न्यूनतम छाती माप की शर्त का क्या तर्क है?” इस तरह के सवालों ने राज्य में सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था जिससे यह निर्णय लिया गया।
नियमों में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी ?
हरियाणा वन्यजीव संरक्षण विभाग के संशोधन के बाद विभागीय नियमों में असमानता आ गई थी। पहले के नियमों में महिलाओं के लिए निर्धारित छाती मापदंड ने भर्ती प्रक्रिया में असमानता पैदा कर दी थी। इसके अलावा, इस नियम के कारण महिला उम्मीदवारों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची, जिसकी वजह से सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
अब किए गए संशोधन के अनुसार, महिलाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया में एक समान और गरिमापूर्ण मानदंड स्थापित किए गए हैं। इस संशोधन के बाद अब वन विभाग, पुलिस विभाग और अन्य सरकारी नौकरियों में महिलाओं की छाती की माप की शर्त को पूरी तरह से हटा दिया गया है।
हरियाणा में सरकारी भर्तियों के लिए नया दृष्टिकोण
हरियाणा सरकार का यह फैसला राज्य में महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों को अधिक समावेशी और समान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार ने कहा कि यह बदलाव महिलाओं के अधिकारों और सम्मान को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। इससे महिलाओं को सरकारी नौकरियों में अधिक अवसर मिलेंगे और वे बिना किसी अवांछित शारीरिक मानदंड के अपनी योग्यता साबित कर सकेंगी।
संशोधित नियमों का सार
शारीरिक मापदंड | पहले के नियम (2023) | संशोधित नियम (2024) |
छाती का माप (सामान्य) | 74 सेंटीमीटर | हटाया गया |
छाती का माप (फुलाकर) | 79 सेंटीमीटर | हटाया गया |
फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट | लागू | लागू, परंतु बिना छाती की माप |
महिला उम्मीदवारों के लिए राहत
इस संशोधन से हरियाणा में सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रही महिला उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है। अब वे बिना किसी गैरजरूरी शारीरिक मापदंड के अपनी योग्यता पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
भविष्य के लिए क्या उम्मीदें?
हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य राज्य और विभाग भी इसी तरह के नियमों में बदलाव करते हैं। महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, सम्मानजनक और समान कार्यस्थल बनाने की दिशा में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
सरकार का यह फैसला न केवल महिलाओं के अधिकारों को सशक्त करता है, बल्कि यह राज्य में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं को अधिक समावेशी और न्यायसंगत भी बनाता है। उम्मीद है कि इस संशोधन से महिलाओं को अधिक अवसर मिलेंगे और वे बिना किसी अवांछित बाधा के अपनी क्षमताओं को साबित कर सकेंगी। हरियाणा सरकार का यह फैसला न सिर्फ राज्य की भर्ती प्रक्रियाओं को बेहतर बनाएगा बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।