Donkey Route Issue Haryana: हरियाणा चुनाव में डंकी रूट और विदेश पलायन बने चुनावी मुद्दे, रोजगार की कमी और ब्रेन ड्रेन पर सियासी घमासान, शाहरूख खान तक बना चुके हैं फिल्म

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Donkey Route Issue Haryana: हरियाणा चुनाव में डंकी रूट और विदेश पलायन बने चुनावी मुद्दे, रोजगार की कमी और ब्रेन ड्रेन पर सियासी घमासान, शाहरूख खान तक बना चुके हैं फिल्म
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Donkey Route Issue Haryana: हरियाणा में आगामी चुनावों से पहले एक नया और संवेदनशील मुद्दा उभर कर सामने आ रहा है – विदेश पलायन और अवैध रूप से डंकी रूट (Donkey Route) के जरिए विदेश जाने की बढ़ती चाह। यह मुद्दा पिछले कुछ सालों से प्रदेश के युवाओं के बीच लगातार गहराता जा रहा है। खासकर करनाल, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र जैसे जिलों के युवा रोजगार की तलाश में विदेशों का रुख कर रहे हैं और जब वैध तरीके से वीजा नहीं मिल पाता तो डंकी रूट का सहारा लेते हैं।

राहुल गांधी की हालिया करनाल यात्रा के दौरान यह मुद्दा (Donkey Route Issue Haryana) तब खास चर्चा में आया जब उन्होंने घोघड़ीपुर गांव का दौरा किया। यहां उन्होंने अमेरिका में रहने वाले अमित के परिजनों से मुलाकात की, जो अवैध डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचे थे। इस घटना ने हरियाणा की राजनीति में विदेश पलायन के मुद्दे को एक बार फिर से ज्वलंत बना दिया है।

Donkey Route Issue Haryana: डंकी रूट क्या है और क्यों हो रहा है पलायन?

डंकी रूट एक अवैध रास्ता है, जिसके जरिए लोग बिना वैध दस्तावेज़ों के विदेश जाते हैं। यह प्रक्रिया अत्यधिक जोखिमभरी होती है, जिसमें लोगों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है। हरियाणा के कई युवाओं ने रोजगार के अभाव में इस रास्ते को चुना है। युवा रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में जाना चाहते हैं, लेकिन वैध वीजा न मिलने पर लाखों रुपए खर्च करके अवैध तरीके से जाते हैं।

Donkey Route Issue Haryana: रोजगार की कमी बनी पलायन की मुख्य वजह

हरियाणा में रोजगार की कमी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, इस पलायन की एक प्रमुख वजह मानी जा रही है। युवाओं का मानना है कि उन्हें अपनी योग्यता और क्षमताओं के अनुसार नौकरी नहीं मिल रही है। इसके साथ ही, विदेशों में बेहतर जीवनशैली, प्राइवेसी और चकाचौंध वाली जिंदगी का आकर्षण उन्हें वहां खींच रहा है।

ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई गांवों में युवा वर्ग लगभग समाप्त हो चुका है। माता-पिता और बुजुर्ग अपने बच्चों का वर्षों तक इंतजार करते रहते हैं, जबकि वे विदेश में बेहतर भविष्य की तलाश में चले गए हैं। इस स्थिति ने हरियाणा की सामाजिक और पारिवारिक संरचना पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। बुजुर्गों की देखभाल की संस्कृति खत्म हो रही है, और गांवों में बाहरी राज्यों से प्रवासी मजदूर काम कर रहे हैं, जिससे प्रदेश की डेमोग्राफी भी बदल रही है।

Donkey Route Issue Haryana: राहुल गांधी का करनाल दौरा: डंकी रूट की चर्चा

राहुल गांधी ने अपने हालिया करनाल दौरे के दौरान इस मुद्दे को पूरी तरह से राजनीतिक रंग दे दिया। उन्होंने घोघड़ीपुर गांव के निवासी अमित के परिवार से मुलाकात की, जो डंकी रूट के जरिए अमेरिका गए थे और अब उन्हें वापस आने में दिक्कत हो रही है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को बेरोजगारी से जोड़ा और कहा कि रोजगार की कमी के कारण हरियाणा के युवा अवैध तरीके से विदेश जाने को मजबूर हो रहे हैं।

यह मामला कांग्रेस के लिए चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। राहुल गांधी ने करनाल में इस मुद्दे को सेट कर दिया है, और आने वाले दिनों में कांग्रेस इस मुद्दे को अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाएगी। पार्टी का मुख्य फोकस बेरोजगारी पर होगा, जिसके समाधान के लिए गारंटी और घोषणापत्र तैयार किया जा रहा है।

Donkey Route Issue Haryana: डंकी रूट का बढ़ता खतरा

हरियाणा के जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, यमुनानगर, हिसार, रोहतक और सिरसा जैसे जिलों से बड़ी संख्या में युवा अवैध तरीके से विदेश जा रहे हैं। Donkey Route के जरिए विदेश जाने वाले युवाओं को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। एजेंट्स इन युवाओं को लैटिन अमेरिकी देशों जैसे इक्वेडोर, बोलिविया, गुयाना, ब्राजील और वेनेजुएला में पहुंचाते हैं, जहां से वे (Panama Jangal) जंगलों और खतरनाक रास्तों के जरिए मैक्सिको होते हुए अमेरिका तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।

पनामा के डारियन गैप जैसे जंगलों से होकर गुजरना बेहद खतरनाक है। इस रास्ते में न केवल पानी और भोजन की कमी होती है, बल्कि जंगली जानवरों और अपराधी गिरोहों का भी खतरा रहता है। लूटपाट, शारीरिक शोषण और हत्या जैसी घटनाएं भी आम हैं, जिनकी कोई रिपोर्ट नहीं होती और न ही अपराधियों को सजा मिलती है। कई बार इस यात्रा के दौरान मौत भी हो जाती है और शव को घर भेजने की कोई व्यवस्था नहीं होती।

Donkey Route Issue Haryana: दीपेंद्र हुड्डा का संसद में उठाया मुद्दा

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा लंबे समय से डंकी रूट और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाते रहे हैं। बीती जुलाई में उन्होंने संसद में भी यह सवाल उठाया था कि पिछले एक साल में करीब 97,000 भारतीय नागरिक अवैध रास्तों से अमेरिका पहुंचे हैं, जिनमें से 15 लाख भारतीय ऐसे हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। हुड्डा ने पूछा कि ऐसे लोगों की सुरक्षा के लिए विदेश मंत्रालय क्या कदम उठा रहा है।

विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि भारत सरकार ने ई-माइग्रेट पोर्टल शुरू किया है, ताकि विदेश जाने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, जो लोग इस पोर्टल का उपयोग नहीं करते, वे बड़ी दिक्कतों का सामना करते हैं।

Donkey Route Issue Haryana: शाहरुख खान की फिल्म डंकी से जुड़ा मुद्दा

इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ा जब शाहरुख खान की फिल्म डंकी आई, जिसमें अवैध तरीके से विदेश जाने वाले लोगों की परेशानियों को दिखाया गया। Shahrukh Khan Movie Dunki में उन लोगों की कहानी है जो अपनी जान जोखिम में डालकर भी विदेश जाना चाहते हैं। वे लाखों रुपये खर्च कर अपने पसंदीदा देश तक पहुंचने की कोशिश करते हैं, जबकि उन्हें पता होता है कि उनकी मंजिल तक पहुंचने की कोई गारंटी नहीं है।

Donkey Route Issue Haryana: विदेश में बसने की ख्वाहिश: NRI बनने का आकर्षण

हरियाणा के युवाओं में NRI बनने का आकर्षण भी विदेश पलायन का एक बड़ा कारण है। विदेश में बसने और वहां की जीवनशैली का आनंद लेने की ख्वाहिश ने युवाओं को मजबूर किया है कि वे किसी भी कीमत पर वहां पहुंचें, चाहे इसके लिए उन्हें अवैध रास्ते का सहारा ही क्यों न लेना पड़े।

Donkey Route Issue Haryana: चुनावी मुद्दा या सामाजिक समस्या?

हरियाणा में विदेश पलायन और डंकी रूट का मुद्दा अब चुनावी रंग ले चुका है। कांग्रेस ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल कर लिया है और आने वाले समय में यह एक प्रमुख राजनीतिक बहस का विषय बनेगा। हालांकि, यह मुद्दा केवल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि हरियाणा के युवाओं और परिवारों के लिए एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है।

विदेशों में बेहतर जीवनशैली और रोजगार की तलाश में अपना वतन छोड़ने वाले युवा अपने देश में रोजगार के अवसरों के अभाव से पीड़ित हैं। अगर सरकार रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरियां प्रदान करने पर ध्यान दे, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।

हरियाणा का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इस मुद्दे का समाधान कैसे निकाला जाता है?

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