Jind all Assembly Ground Report : जींद के सभी 5 विधानसभा से वरिष्ठ पत्रकार की ग्राऊंड रिपोर्ट : रोजगार के साथ हर गांव के अपने मुद्दे

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Jind all Assembly Ground Report : जींद के सभी 5 विधानसभा से वरिष्ठ पत्रकार की ग्राऊंड रिपोर्ट : रोजगार के साथ हर गांव के अपने मुद्दे
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Jind all Assembly Ground Report : जागरण रथ ‘मतदाता है भाग्यविधाता’ रथ विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माहौल जानने के लिए जींद, जुलाना और सफीदों के बाद उचाना व नरवाना विधानसभा क्षेत्रों में भी जारी रही। उचाना क्षेत्र में राजनीतिक तपिश काफी अधिक है। वहीं नरवाना में त्रिकोणीय मुकाबले के अनुसार लोग अपने-अपनी समीकरण लगा रहे हैं। पढिए, जींद के दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता धर्मवीर निडाना की ग्राउंड रिपोर्ट :

उचाना में मतदाता बोले- इबकै मुकाबला राष्ट्रीय पार्टियों में
Jind all Assembly Ground Report : समय : दोपहर साढ़े 12 बजे । सफीदों विधानसभा क्षेत्र से जैसे ही रथ उचाना कलां के गांव खांडा में प्रवेश किया तो यहां खेत में काम करने वाले किसान विश्राम कर रहे हैं। दैनिक जागरण की टीम किसानों के बीच पहुंची। राम-राम के बाद राजनीतिक माहौल की चर्चा शुरू हुई। किसान रमेश ने कहा कि इब तो भाई कती राम राज आरैया है। बिजली अर सोलर के ट्यूबवैल हैं, बटन दबा कै सारे दिन आराम करां हां। किसानों के लिए अच्छी योजनाएं लागू हुई हैं। उनकी बात काटते हुए राजकुमार ने कहा राम राज को तो फेर तनै बेराए कोनी के होवै है।

Jind all Assembly Ground Report : खेती का सुधार होणा चहिए। कोए भी सरकार आ जावै किसान के बारे में नहीं सोचती। रमेश ने फिर अपनी बात शुरू की और कहा कि इब तो बहोत सोचा जा रहा है। इनको बीच में रोकते हुए गांव के माहौल के बारे में पूछा तो रमेश ने कहा सारा गाम एक साथ तुलैगा। एक पर्ची भी फूट कैं दूसरी ओर नहीं जावैगी। लोग विकास चावैं हैं अर ओ होण लागरया है।

इसके बाद अलेवा गांव के बस स्टाप पर रथ पहुंचा तो आमने-सामने ही सभी उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालय बने हुए हैं। दोपहर का समय होने के कारण चुनाव कार्यालय सुनसान पड़े हैं। पास ही टैंट की दुकान में 10-12 युवक बैठे हुए मिले। यहां रथ को देख कर एक युवक ने खुद ही इशारा कर बुला लिया। यहां बैठ कुछ युवक हुक्का गुड़गुड़ाने लगे और कुछ ही देर में चाय भी आ गई। प्रदीप ने बात शुरू करते हुए कहा कि पिछली बार तो जी अलेवा में अलग माहौल था। इस बार ऐसा नहीं है। मुकाबला राष्ट्रीय पार्टियों के बीच होगा।

अलेवा में स्थानीय मुद्दों से अधिक नेताओं के चेहरे अधिक प्रभाव डाल रहे हैं। युवाओं ने कहा कि 10 हजार मतदाताओं वाले अलेवा गांव में लोग बंटे हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां दुष्यंत चौटाला की जीत हुई थी, लेकिन इस बार स्थिति ऐसी नहीं है। यहां से रथ नगूरां पहुंचा तो सड़क किनारे ही काफी बुजुर्ग ताश खेलते मिले। 84 वर्षीय बुजुर्ग सरदार ने कहा कि यहां के बड़े नेताओं ने हमेशा ही उपेक्षा की है। बड़े नेताओं से अब मन भर गया है।

अपने बच्चों को नेता बनाएंगे। 81 वर्षीय सरदारा ने कहा कि यहां तो किसी ने कुछ नहीं करवाया। इस बार बड़े नेताओं की मरोड़ निकालनी है। यहां दैनिक जागरण टीम ने सभी से अपील की कि वे मतदान जरूर करें और सभी लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करें। इसके बाद रथ घोघड़ियां गांव की ओर बढ़ा तो यहां खेत में कई महिलाएं कपास चुन रही थी। रथ रोक कर जब महिलाओं से बात की तो रामप्यारी ने बताया कि महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है। इसको लेकर सरकार ने काम तो किया है, लेकिन अभी भी बहुत काम होना बाकी है। रोशनी ने कहा कि दिहाड़ी बहुत कम है।

महिलाओं ने बताया कि उनके गांव घोघड़ियां से निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में है। ऐसे में उन्हें किसी बाहरी उम्मीदवार से कोई मतलब नहीं है। उचाना कस्बे में चुनावी माहौल कुछ रंग में दिखा। सभी सड़कों पर चुनावी वाहन घूमते मिले। एक प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय में कार्यकर्ता समूहों में बैठे हुए थे। यह अपने साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनावी गणित पर भी मंथन करते मिले। कार्यकर्ताओं में मायूसी थी और यह अनुमान लगा रहे थे कि यदि निर्दलीय प्रत्याशी 50 हजार तक वोट लेते हैं तो उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी।

यहां सभी पार्टी व निर्दलीय उम्मीदवारों के कार्यकर्ता पूरे जोश से चुनाव प्रचार में लगे मिले। पुराने बस स्टैंड के पास मौजूद युवाओं ने कहा कि आज तक उचाना की चौधर के नाम पर राजनीति करने वालों ने सिर्फ धोखा दिया है। इसका बदला इस चुनाव में जरूर लिया जाएगा।

इसके बाद रथ डूमरखां गांव में पहुंचा यहा चुनावी माहौल नहीं दिखा। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह इसी गांव से हैं, लेकिन गांव में चुनावी माहौल नहीं है। गली में मिले दो बुजुर्गों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। पिछले चुनाव में यहां से दुष्यंत चौटाला को जीत मिली थी। इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच गांव में मुकाबला कांटे का है। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी विरेंद्र घोघड़ियां व विकास काला का भी अपना प्रभाव है। गांव में दुष्यंत चौटाला भी अच्छी स्थिति में हैं।

नरवाना में जाट समीकरण रखते हैं अहमियत
नरवाना विधानसभा क्षेत्र के बदोवाल गांव में गया। बदलोवाल में टोल प्लाजा है और यह किसान आंदोलन का केंद्र रहा है। इसके बावजूद गांव के चुनावी माहौल में किसान आंदोलन का मुद्दा खास नहीं दिखा। यहां जातीय समीकरण के हिसाब से वोट बंटे हुए हैं। इसी प्रकार नरवाना क्षेत्र में खास प्रभाव रखने वाली बिनैन खाप का चबूतरा भी इसी गांव में है। दोपहरबाद करीब तीन बजे गांव के बस स्टाप सन्नाटा मिला। दुकानदारों ने बताया कि अधिकतर लोग वोट मांगने उम्मीदवारों के साथ गए हैं। दुकानदारों ने बताया कि गांव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा रहा है और इसके आधार पर ही लोग मतदान करेंगे।

जजपा की संतोष रानी व इनेलो की विद्यारानी दोनों ही दनौदा गांव से हैं, ऐसे में यहां चुनावी समीकरण बिखरे हुए हैं। नरवाना शहर में चुनावी माहौल कुछ लग है। जैसे ही अग्रसैन चौक से रथ शहर के अंदर चला, यहां एक ओर भाजपा के झंडे लगे मिले तो दूसरी ओर कांग्रेस के। यहां कुछ ही दूरी पर कांग्रेस उम्मीदवार का चुनाव कार्यालय भी है। पास ही नेहरू पार्क में शाम के समय लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है। यहां लोगों से बातचीत करने पर साफ हो जाता है कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला का प्रभाव है।

जहां कांग्रेस समर्थक शहर में विकास नहीं होने को मुद्दा बना रहे हैं तो भाजपा समर्थक बिना पर्ची खर्ची के मिली नौकरियों को मुद्दा बना रहे हैं। 70 वर्षीय रामकुमार मोर ने क्षेत्र के एक नेता का नाम लेकर कहा कि 70 साल में उन्होंने कुछ नहीं किया। प्रताप सिंह ने कहा कि गरीब वर्ग तो जी खुश है। खजांचीलाल गर्ग ने कहा कि शहर में विकास नाम की कोई चीज नहीं। एक आरओबी का निर्माण कार्य दो साल अटका हुआ है। इस पर सत्ता पक्ष के नेताओं को जवाब देना चाहिए। परिवार पहचान पत्र व प्रापर्टी आइडी ने लोगों के गले में फांसी लगा रखी है।

हाट सीट उचाना
उचाना प्रदेश की हाट सीट में शामिल है। यहां इस बार कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व आइएएस बृजेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। बृजेंद्र सिंह हिसार से सांसद भी रहे हैं, ऐसे में लोग उनकी कार्यशैली काे सांसद के कार्यकाल के आधार आंक रहे हैं। वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जजपा के उम्मीदवार हैं। दुष्यंत चौटाला सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं। ऐसे में किसान आंदोलन का असर उनके चुनाव पर साफ दिख रहा है। वहीं भाजपा ने नए चेहरे देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारा है। इसके अलावा उचाना से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस से बागी रहे विरेंद्र घोघड़ियां व दिलबाग संडील मैदान में हैं। वहीं विकास काला श्योकंद गौत्र से आते हैं। बृजेंद्र सिंह भी श्योकंद गौत्र से हैं। निर्दलीय उम्मीदवार यहां नए समीकरण बना रहे हैं।

नरवाना में त्रिकोणीय मुकाबला
नरवाना विधानसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी को मैदान में उतारा है। कृष्ण बेदी इससे पहले शाहबाद से विधायक रहे हैं। ऐसे में नरवाना क्षेत्र उनके लिए नया है। हालांकि उनका पैतृक गांव नरवाना में ही है। यहां कांग्रेस ने सतबीर दबलैन को उम्मीदवार बनाया है। नरवाना बड़े राजनीतिक समीकरण बदले हैं। यहां कांग्रेस नेता रही और दो बार चुनाव लड़ चुकी विद्यारानी इस बार इनेलो के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं भाजपा से दो चुनाव लड़ चुकी संतोष रानी इनेलो की उम्मीदवार हैं। इनका पुराना प्रभाव रहा है।

उचाना विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
-नगूरां गांव में महिला किरण ने बताया कि गांव में घर-घर पानी नहीं है। उन्हें पीने का पानी गांव के बाहर से लाना पड़ता है।
– गांव में सिंचाई के लिए खास सुविधा नहीं है।
– घोघड़ियां गांव निवसी महिला केला देवी ने बताया कि रोजगार की समस्या है। दिहाड़ी भी कम है।
– अलेवा में युवाओं ने कहा कि उनके लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है।

नरवाना विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
नरवाना के बद्दोवाल गांव निवासी प्रेम सिंह ने बताया कि गांव में हर वर्ग के लिए रोजगार व स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा है।
दनौदा गांव निवासी अशोक कुमार ने बताया कि फसल की मंडी में खरीद तय समय में खरीद सुनिश्चित हो।
नरवाना शहर निवासी रामकुमार ने कहा कि शहर में विकास नहीं हुआ है। पूरी तरह से अनदेखी हुई है।
प्रताप सिंह ने कहा कि बिना पर्ची-खर्ची के नौकरी उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा है।

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