Kiran Chaudhary : 20 साल बाद पूरी हुई किरण चौधरी की राज्यसभा जाने की तमन्ना, 2004 में OP चौटाला की रणनीति से हुई थी हार

Sonia kundu
By Sonia kundu
Kiran Chaudhary: Kiran Chaudhary's wish of going to Rajya Sabha fulfilled after 20 years, she was defeated in 2004 due to OP Chautala's strategy
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हरियाणा की राजनीति में पिछले दो दशकों से सक्रिय किरण चौधरी (Kiran Chaudhary) की 20 साल पुरानी इच्छा अब जाकर पूरी हो रही है। वह राज्यसभा की सदस्य बन गई हैं, और इस बार उन्होंने यह उपलब्धि बीजेपी के टिकट पर हासिल की है। दरअसल, किरण चौधरी ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था, और पार्टी ने उन्हें दो महीने बाद ही राज्यसभा भेजने का फैसला किया। 2024 के राज्यसभा चुनाव में किरण चौधरी को निर्विरोध सांसद चुना गया, जिससे उनकी लंबी प्रतीक्षा आखिरकार समाप्त हो गई।

Kiran Chaudhary 2004 में चौटाला की रणनीति से हुई थी हार

किरण चौधरी के राजनीतिक सफर में 2004 का साल एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया था। उस समय ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में हरियाणा में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की सरकार थी। जून 2004 में राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में कांग्रेस ने किरण चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। हालांकि, तब चौटाला ने ऐसी राजनीतिक चाल चली कि किरण को हार का सामना करना पड़ा।

 

Kiran Chaudhary: Kiran Chaudhary's wish of going to Rajya Sabha fulfilled after 20 years, she was defeated in 2004 due to OP Chautala's strategy
Kiran Chaudhary: Kiran Chaudhary’s wish of going to Rajya Sabha fulfilled after 20 years, she was defeated in 2004 due to OP Chautala’s strategy

चुनाव से तीन दिन पहले, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण  (Kiran Chaudhary) का समर्थन कर रहे कांग्रेस के 6 विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था। इन विधायकों में जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जयप्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान शामिल थे। इस निर्णय को किरण चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अयोग्य घोषित विधायकों को राज्यसभा चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं मिला। नतीजतन, किरण चौधरी उस चुनाव में हार गईं और उनकी राज्यसभा की तमन्ना अधूरी रह गई।

2024 में बीजेपी के टिकट पर निर्विरोध हुईं राज्यसभा सांसद

2024 में किरण चौधरी की किस्मत ने करवट ली, जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थामा। कांग्रेस में लंबे समय से असंतोष का सामना कर रही किरण ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा में शामिल होने के महज दो महीने बाद ही उन्हें राज्यसभा का टिकट मिल गया।

हरियाणा की यह राज्यसभा सीट दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे से खाली हुई थी। हुड्डा ने रोहतक से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 तक था, जिसे अब किरण चौधरी पूरा करेंगी। भाजपा ने 20 अगस्त को उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया था और 21 अगस्त को किरण चौधरी ने अपना नामांकन दाखिल किया।

चूंकि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस सीट के लिए कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया, इसलिए किरण चौधरी का निर्विरोध चुना जाना पहले से ही तय माना जा रहा था। मंगलवार को उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र सौंपा, और इस तरह किरण चौधरी की 20 साल पुरानी आकांक्षा पूरी हो गई।

 

Kiran Chaudhary: Kiran Chaudhary's wish of going to Rajya Sabha fulfilled after 20 years, she was defeated in 2004 due to OP Chautala's strategy
Kiran Chaudhary: Kiran Chaudhary’s wish of going to Rajya Sabha fulfilled after 20 years, she was defeated in 2004 due to OP Chautala’s strategy

Kiran Chaudhary : भविष्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना

किरण चौधरी का बीजेपी में शामिल होना और फिर राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना जाना, हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस कदम से न केवल भाजपा को राज्य में एक मजबूत नेता मिला है, बल्कि किरण चौधरी को भी राष्ट्रीय राजनीति में नई पहचान मिल सकती है। आने वाले समय में उनकी भूमिका भाजपा की रणनीतिक निर्णयों में महत्वपूर्ण हो सकती है। कुल मिलाकर, किरण चौधरी का यह राजनीतिक सफर एक नए अध्याय की ओर इशारा करता है, जहां उन्हें नई जिम्मेदारियों और चुनौतियों का सामना करना होगा।

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