Loharu vidhansabha election 2024: लोहारू विधानसभा चुनाव: श्योराण वोट बैंक का दबदबा! भाजपा और कांग्रेस के बीच साइलेंट वोटरों की भूमिका बनी चुनावी विषय

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Loharu vidhansabha election 2024: लोहारू विधानसभा चुनाव: श्योराण वोट बैंक का दबदबा! भाजपा और कांग्रेस के बीच साइलेंट वोटरों की भूमिका बनी चुनावी विषय
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Loharu vidhansabha election 2024:लोहारू विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। भाजपा और कांग्रेस ने इस चुनावी रण को फतह करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जहां भाजपा के जेपी दलाल और कांग्रेस के राजबीर फरटिया आमने-सामने हैं, वहीं इस बार के चुनाव में साइलेंट वोटरों की चुप्पी ने राजनीतिक विश्लेषकों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर, श्योराण गौत्र का दबदबा इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Loharu vidhansabha election 2024: राजनीतिक पारा उफान पर

जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। लोहारू विधानसभा क्षेत्र में कुल 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें से 8 निर्दलीय हैं। भाजपा के जेपी दलाल पिछले 5 वर्षों में किए गए विकास कार्यों को भुनाने के प्रयास में लगे हुए हैं, जबकि कांग्रेस के राजबीर फरटिया सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाने का दावा कर रहे हैं।

Loharu vidhansabha election 2024: श्योराण वोट बैंक की स्थिति

2019 के विधानसभा चुनाव में, श्योराण गौत्र के वोट JJP और कांग्रेस के बीच बंटने के कारण BJP के जेपी दलाल को जीत मिली थी। इस बार, श्योराण गौत्र के करीब 55 हजार वोट हैं और यह तय करेगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा। जो भी पार्टी इस वोट बैंक में 70 प्रतिशत वोट हासिल करेगी, उसके जीतने की संभावना सबसे अधिक होगी।

Loharu vidhansabha election 2024: साइलेंट वोटरों का असर

इस बार चुनावी प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया है। कांग्रेस ने पहली बार गैर श्योराण प्रत्याशी को टिकट देकर नया प्रयोग किया है, जिसका प्रभाव चुनावी परिणाम पर पड़ सकता है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि साइलेंट वोटर्स की चुप्पी ने दोनों दलों के उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अपने-अपने तरीके से इस चुप्पी को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या साइलेंट वोटर किसी पार्टी की ओर झुकेंगे या फिर उनकी चुप्पी चुनावी परिणाम को उलट कर देगी।

Loharu vidhansabha election 2024: भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियां

भाजपा प्रत्याशी जेपी दलाल ने अपने पिछले कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों का जोरदार प्रचार किया है। वे दावा कर रहे हैं कि उन्होंने गांवों में सड़कें, बिजली और पानी की व्यवस्था को बेहतर बनाया है। दूसरी ओर, कांग्रेस के राजबीर फरटिया सत्ता विरोधी लहर का हवाला देते हुए जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने हर वर्ग को पोर्टल के फेर में उलझा रखा है और आम जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया है। ऐसे में, इस चुनाव में आम मतदाता की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।

Loharu vidhansabha election 2024: अन्य दलों का प्रभाव

हालांकि जजपा और इनेलो-बसपा गठबंधन इस बार मुकाबले में नहीं आ पाया है, लेकिन इन दलों का भी प्रभाव नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन दलों के समर्थक भी अब कांग्रेस की ओर झुकते दिख रहे हैं, जिससे कांग्रेस के लिए चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।

Loharu vidhansabha election 2024: पिछले चुनावों का इतिहास

अगर लोहारू विधानसभा के चुनावों के इतिहास पर नज़र डालें तो यह क्षेत्र हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1967 से 1987 तक के चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत हासिल की है। लेकिन पिछले कुछ चुनावों में यह स्थिति बदली है। 2019 में भाजपा के जेपी दलाल ने जीत हासिल की थी, जबकि इससे पहले इनेलो और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी।

Loharu vidhansabha election 2024: आगामी चुनावों में उम्मीदवारों की स्थिति

भाजपा ने इस बार फिर से जेपी दलाल पर भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने राजबीर फरटिया को आगे किया है। दोनों दलों के बीच यह मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। चुनावी फलक पर दोनों दलों के उम्मीदवारों की स्थिति और उनकी रणनीतियों के आधार पर चुनाव परिणाम तय होंगे।

Loharu vidhansabha election 2024: मतदाता आंकड़े और बंटवारा

लोहारू विधानसभा क्षेत्र में कुल 205489 मतदाता हैं, जिनमें से 107997 पुरुष और 97490 महिलाएं हैं। SC वर्ग के वोटरों की संख्या करीब 42 हजार है। जबकि पिछड़ा वर्ग में करीब 33 हजार वोट हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए, इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है।

लोहारू विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला कड़ा है। साइलेंट वोटरों की चुप्पी और श्योराण गौत्र का दबदबा इस बार चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकता है। चुनावी समीकरण लगातार बदल रहे हैं, और यह देखना होगा कि किस पार्टी को किस तरह का लाभ मिलता है।

इस चुनावी रण में न केवल प्रमुख दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, बल्कि उन मतदाताओं की भी जो अपनी आवाज उठाने से कतराते हैं। इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या साइलेंट वोटर्स अपनी चुप्पी तोड़ेंगे या फिर चुपचाप अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

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