Court Decision: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला: लंबे कार्यकाल के बावजूद कच्चे कर्मचारी पक्के नहीं हो सकते,बैक डोर एंट्री का खतरा

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Court Decision: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला: लंबे कार्यकाल के बावजूद कच्चे कर्मचारी पक्के नहीं हो सकते,बैक डोर एंट्री का खतरा
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Court Decision: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कच्चे कर्मचारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि केवल लंबे कार्यकाल के आधार पर किसी भी अस्थाई कर्मचारी को स्थाई नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना तय प्रक्रिया के पालन और स्थायी पद की अनुपस्थिति में किसी कर्मचारी का नियमितीकरण सीधे तौर पर बैक डोर एंट्री मानी जाएगी, जो न्यायिक प्रक्रिया के तहत अवैध है।

Court Decision: एनआईटी कुरुक्षेत्र की याचिका पर सुनवाई

यह फैसला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) कुरुक्षेत्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। एनआईटी ने श्रम न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एक अस्थाई मेस कर्मचारी को नियमित करने का निर्देश दिया गया था। यह कर्मचारी छात्रों की मेस प्रबंधन समिति द्वारा नियुक्त किया गया था। एनआईटी का कहना था कि इस नियुक्ति में किसी भी प्रकार की नियमानुसार प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।

Court Decision: नियुक्ति में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं

हाईकोर्ट ने पाया कि मेस कर्मचारी की नियुक्ति बिना विज्ञापन, साक्षात्कार या लिखित परीक्षा के की गई थी। यह नियुक्ति छात्रों की मेस और खाद्य समिति द्वारा की गई थी, न कि संस्थान द्वारा। न्यायालय ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया नियमानुसार नहीं थी, इसलिए इस कर्मचारी का नियमितीकरण संभव नहीं है।

Court Decision: बैक डोर एंट्री का खतरा

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यदि किसी कर्मचारी को निर्धारित प्रक्रिया के बिना नियमित किया जाता है, तो यह बैक डोर एंट्री मानी जाएगी, जिसकी अनुमति कानूनी रूप से नहीं दी जा सकती। अदालत ने श्रम न्यायालय के उस निष्कर्ष को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मेस कर्मचारी NIT के कर्मचारी हैं और उनके बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध है। हाईकोर्ट ने यह माना कि NIT एक शैक्षिक संस्थान है और उसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं, बल्कि छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देना है।

Court Decision: छात्रों की समिति का प्रबंधन

फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि मेस का प्रबंधन पूरी तरह से छात्रों की एक समिति द्वारा किया जाता है, जो कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन भुगतान के लिए जिम्मेदार होती है। हालांकि, कर्मचारियों को हटाने की मंजूरी वार्डन द्वारा दी जाती है, लेकिन इसका निर्णय समिति द्वारा ही लिया जाता है।

इस Court Decision ने स्पष्ट कर दिया कि केवल लंबे समय तक सेवा देने से किसी अस्थाई कर्मचारी का नियमितीकरण संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए निर्धारित नियमों का पालन और स्थायी पद की उपलब्धता आवश्यक है।

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