one nation one election effects: कितना पैसा बचेगा और इसका क्या होगा असर? जानें वन नेशन, वन इलेक्शन से कैसे कम होगा खर्च

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
one nation one election effects: कितना पैसा बचेगा और इसका क्या होगा असर? जानें वन नेशन, वन इलेक्शन से कैसे कम होगा खर्च
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

one nation one election effects: केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में one nation one election (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इस फैसले से भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सवाल यह है कि अगर वन नेशन, वन इलेक्शन लागू हो गया तो चुनावों में होने वाले खर्च में कितनी बचत होगी? और यह भारत के संसाधनों और विकास कार्यों पर क्या असर डालेगा?

देश के लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर होने वाले भारी खर्च को देखते हुए, यह विचार लंबे समय से चर्चा में है। केंद्रीय सरकार का मानना है कि one nation one election से न केवल पैसों की बचत होगी, बल्कि इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी भी लाई जा सकेगी।

one nation one election effects: चुनावों पर खर्च: कितना पैसा लगता है?

इस साल हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग के अनुसार, करीब एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आया। यह अब तक का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है। इसके मुकाबले 2019 के चुनावों में 55,000 से 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यह आंकड़ा बताता है कि चुनावी खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है।

अमेरिका के 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में करीब 1.2 लाख करोड़ रूपये का खर्च आया था, जो इससे पहले के सभी चुनावों से अधिक था। लेकिन 2024 के भारतीय लोकसभा चुनाव ने इस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।

one nation one election effects: राज्य विधानसभा चुनावों का खर्च

देश में जब विधानसभा चुनाव होते हैं, तो इन पर भी काफी खर्च आता है जैसे उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में करीब 6000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यह राज्य देश की सबसे बड़ी विधानसभा का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि छोटे राज्यों जैसे गोवा में चुनावों का खर्च 100 करोड़ रुपये के आस-पास रहता है।

गोवा में 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में सभी राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने मिलकर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि चुनाव आयोग ने करीब 20-25 करोड़ रुपये खर्च किए। इस तरह, छोटे और बड़े राज्यों के चुनाव खर्चों में भारी अंतर देखने को मिलता है।

वन नेशन, वन इलेक्शन से कितनी होगी बचत?

सरकार का मानना है कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो देश का चुनावी खर्च काफी हद तक कम हो सकता है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, one nation one election से देश के अलग-अलग चुनावों पर होने वाले खर्च में 4500 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है।

one nation one election effects: विधि आयोग का अनुमान

भारत के विधि आयोग का अनुमान है कि एक साथ चुनाव कराने से 4500 करोड़ रुपये ($615 मिलियन) तक की बचत हो सकती है। यह अनुमान केवल सीधा चुनावी खर्च दिखाता है। इसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्च शामिल नहीं हैं, जिन पर भी वन नेशन, वन इलेक्शन से काफी असर पड़ सकता है।

one nation one election effects: नीति आयोग का आंकलन

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि बार-बार चुनाव कराने से होने वाला खर्च 7,500 करोड़ रुपये से 12,000 करोड़ रुपये के बीच है। अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू होता है, तो चुनाव की आवृत्ति कम होने से इस खर्च में भारी कमी आएगी।

one nation one election effects: चुनावी प्रक्रिया पर असर

वन नेशन, वन इलेक्शन का न केवल सीधा आर्थिक लाभ होगा, बल्कि इससे चुनावी प्रक्रिया में भी कई बदलाव आएंगे। इससे प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षा बलों पर दबाव कम होगा, क्योंकि एक ही समय में चुनाव कराने से संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।

one nation one election effects: अन्य फायदे

प्रोजेक्ट्स में देरी कम होगी: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अनुसार, बार-बार चुनाव कराने से कई विकास कार्यों में रुकावटें आती हैं। one nation one election लागू होने पर यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।

प्रशासनिक व्यवधानों में कमी: चुनावी प्रक्रिया के कारण बार-बार सरकारी कामकाज में रुकावट आती है। इससे ना केवल सरकारी मशीनरी, बल्कि सुरक्षा बलों पर भी अनावश्यक दबाव पड़ता है। अगर चुनाव एक बार में संपन्न हो जाते हैं, तो सरकारी सेवाओं में कम व्यवधान आएगा और प्रशासनिक कामकाज तेजी से चलेगा।

one nation one election effects: क्या होंगी चुनौतियां?

हालांकि वन नेशन, वन इलेक्शन के कई फायदे गिनाए जा रहे हैं, लेकिन इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती है संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन करना। राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव वर्तमान में अलग-अलग समय पर होते हैं, इसलिए सभी चुनावों को एक साथ कराने के लिए राजनीतिक आम सहमति बनानी होगी।

one nation one election effects: संवैधानिक बदलाव की जरूरत

one nation one election effects: कितना पैसा बचेगा और इसका क्या होगा असर? जानें वन नेशन, वन इलेक्शन से कैसे कम होगा खर्च
one nation one election effects: कितना पैसा बचेगा और इसका क्या होगा असर? जानें वन नेशन, वन इलेक्शन से कैसे कम होगा खर्च

वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन करने होंगे, जिनमें विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तारीखों का समन्वय करना भी शामिल है। इसके अलावा, अगर किसी राज्य की विधानसभा अपने कार्यकाल से पहले भंग हो जाती है, तो उस स्थिति में चुनावी प्रक्रिया के लिए नए प्रावधानों की जरूरत होगी।

one nation one election effects: क्षेत्रीय खर्च का फर्क

भारत में अलग-अलग राज्यों में चुनावों पर होने वाला खर्च अलग होता है। जैसे कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में चुनावी खर्च ज्यादा होता है, जबकि गोवा, सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों में खर्च कम होता है।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में प्रचार के लिए बड़े पैमाने पर रैलियां होती हैं और विज्ञापन अभियानों पर खर्च बढ़ता है। वहीं, गोवा जैसे छोटे राज्यों में चुनावी प्रचार का खर्च कम रहता है, क्योंकि वहां की आबादी कम होती है और चुनावी क्षेत्र भी छोटे होते हैं।

one nation one election effects: क्या होगा वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रभाव?

वन नेशन, वन इलेक्शन से चुनावी खर्च में भारी कमी आएगी, जिससे देश के विकास कार्यों में तेजी आएगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक और कानूनी बदलावों की आवश्यकता होगी, जिससे राजनीतिक सहमति बनानी भी एक चुनौती होगी।

अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो भारतीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय शुरू होगा। इससे न केवल आर्थिक बचत होगी, बल्कि प्रशासनिक गति भी बढ़ेगी, जिससे देश की विकास यात्रा को एक नई दिशा मिलेगी।

Share This Article