Parali Burning Data: पराली जलाने की समस्या! 5 साल में 3.87 लाख मामले, पंजाब सबसे आगे, हरियाणा तीसरे स्थान पर,मुख्य सचिव ने उचित कदम उठाने के दिए निर्देश

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Parali Burning Data: पराली जलाने की समस्या! 5 साल में 3.87 लाख मामले, पंजाब सबसे आगे, हरियाणा तीसरे स्थान पर,मुख्य सचिव ने उचित कदम उठाने के दिए निर्देश
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Parali Burning Data: फसल अवशेष जलाने की समस्या भारत के कई राज्यों में लगातार चुनौती बनी हुई है। पर्यावरण और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों के बावजूद, किसानों द्वारा पराली जलाना जारी है। हाल ही में कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रो इकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CReAMS) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 वर्षों (2019-2023) में 6 राज्यों के 255 जिलों में 3,87,946 फसल अवशेष जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें पंजाब सबसे ऊपर है, जबकि हरियाणा तीसरे स्थान पर आता है।

Parali Burning Data: पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित, हरियाणा तीसरे स्थान पर

CReAMS की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2023 तक पराली जलाने के कुल मामलों में से 75% से अधिक घटनाएं पंजाब में दर्ज की गई हैं। पंजाब में इस अवधि में 2,91,629 पराली जलाने के मामले सामने आए। हरियाणा 46,545 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा है, जबकि मध्य प्रदेश 46,545 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश में 20,114, राजस्थान में 6,149 और दिल्ली में 28 मामले दर्ज किए गए हैं।

Parali Burning Data: सेटेलाइट डेटा से जुटाया गया आंकड़ा

CReAMS द्वारा फसल अवशेष जलाने के आंकड़े 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच उपग्रह डेटा के माध्यम से जुटाए गए। पंजाब में 2019 में 50,738, 2020 में 83,002, 2021 में 71,304, 2022 में 49,922 और 2023 में सबसे कम 36,663 मामले दर्ज किए गए। हरियाणा में भी 2019 से 2023 के बीच पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट देखी गई है।

हरियाणा में 2019 में 6,328, 2020 में 4,202, 2021 में 6,987, 2022 में 3,661 और 2023 में 2,303 मामले दर्ज किए गए। मध्य प्रदेश में भी 2020 में 14,148, 2021 में 8,160, 2022 में 11,737 और 2023 में 12,500 मामले सामने आए।

Paralai Burning: मुख्य सचिव ने
दिए निर्देश

पराली जलाने और इससे वायु गुणवत्ता तथा स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों से निपटने के लिए हरियाणा सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्य सचिव डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने उपायुक्तों से प्रदेश को पराली जलाने से मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया है।

मंडल आयुक्तों तथा फतेहाबाद, जींद, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, सोनीपत और यमुनानगर के उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान डॉ. प्रसाद ने हॉटस्पॉट की पहचान करने और पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपाय लागू करने के निर्देश दिए।

उन्होंने ब्लॉक स्तर पर चार सदस्यीय कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए।इस कमेटी में संबंधित SDM/BDO, तहसीलदार, कृषि विकास अधिकारी और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार तथा पुलिस विभाग का एक-एक अधिकारी शामिल होगा। समिति को प्रतिदिन निगरानी एवं समन्वय विभाग को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से हर एक रोज स्थिति की निगरानी करेंगे और किसी भी परिस्थिति में पराली जलाने के एक भी मामले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से रोकने में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा।

Parali Burning Data: प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पड़ता गंभीर प्रभाव

Parali Burning Data: पराली जलाने की समस्या! 5 साल में 3.87 लाख मामले, पंजाब सबसे आगे, हरियाणा तीसरे स्थान पर,मुख्य सचिव ने उचित कदम उठाने के दिए निर्देश
Parali Burning Data: पराली जलाने की समस्या! 5 साल में 3.87 लाख मामले, पंजाब सबसे आगे, हरियाणा तीसरे स्थान पर,मुख्य सचिव ने उचित कदम उठाने के दिए निर्देश

पराली जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसें वातावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती हैं। 1 टन धान की फसल के अवशेष जलाने से 3 किलोग्राम कणिका तत्व (पर्टिकुलेट मैटर), 60 किलोग्राम कार्बन मोनो ऑक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड, 199 किलोग्राम राख, और 2 किलोग्राम सल्फर डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इन गैसों से हवा की गुणवत्ता में गिरावट आती है, जिससे आंखों में जलन, त्वचा रोग, हृदय और फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं।

Parali Burning Data: सरकारों के प्रयास और भविष्य की चुनौतियां

हालांकि केंद्र और राज्य स्तर पर पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। सरकारों ने पराली न जलाने के लिए जागरूकता अभियान, प्रति एकड़ 2000 रूपये की वित्तीय सहायता और वैकल्पिक उपायों को अपनाने के प्रयास किए हैं, लेकिन किसानों के बीच इस समस्या के समाधान के लिए उत्साह कम ही दिखाई देता है।

सरकारों को इस दिशा में और अधिक ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि Parali Burning से होने वाले प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को कम किया जा सके। फसल अवशेष प्रबंधन की बेहतर तकनीकों और किसानों को प्रोत्साहन देने की नीतियों के विस्तार के साथ ही यह समस्या हल की जा सकती है। इस Parali Burning समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब किसान और सरकारें मिलकर काम करें ताकि वातावरण और स्वास्थ्य दोनों को बचाया जा सके।

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