Gareeb Gaav Harka: आज़ादी के 78 साल बाद भी इस गांव में नहीं है कोई सरकारी नौकरी, हर शख्स मजबूर है दिहाड़ी मजदूरी पर,पूरे गांव में केवल 2 लोग हैं दसवीं पास

Anita Khatkar
By Anita Khatkar
Gareeb Gaav Harka: आज़ादी के 78 साल बाद भी इस गांव में नहीं है कोई सरकारी नौकरी, हर शख्स मजबूर है दिहाड़ी मजदूरी पर,पूरे गांव में केवल 2 लोग हैं दसवीं पास
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Gareeb Gaav Harka: हम आपको बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले के बगहा प्रखंड के हरका गांव की दिल दहला देने वाली हकीकत बताने जा रहे हैं, जो 21वीं सदी में भी विकास से अछूता है। यहां की आबादी लगभग 800 के करीब है और विचारणीय बात यह है कि इस गांव का हर व्यक्ति आज भी दिहाड़ी मजदूर है। आज़ादी के 78 साल बाद भी यहां का कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है। उच्च शिक्षा की बात करें तो पूरे गांव में महज़ दो लोगों ने ही दसवीं तक की पढ़ाई की है।

हरका गांव के लोगों की आजीविका पूरी तरह से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर है। यहां के मर्दों के साथ-साथ महिलाएं भी मजबूरन मजदूरी का काम करती हैं। गांव के लोगों के पास खुद का कोई खेत नहीं है, जबकि यह इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है। हालात इतने खराब हैं कि लोग सर छिपाने के लिए बस एक छोटा सा घर बना पाए हैं, जहां दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल है।

Gareeb Gaav Harka: 78 वर्षों में नहीं मिली कोई सरकारी नौकरी

हरका गांव की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां के किसी भी व्यक्ति को अब तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है। आज़ादी के बाद से लेकर आज तक, यहां के युवा से लेकर बुजुर्ग तक, सभी सिर्फ मजदूरी करने को मजबूर हैं। गांव के बाशिंदे बताते हैं कि पूरे गांव में सिर्फ दो लोग हैं जिन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की है।

Gareeb Gaav Harka: शिक्षा का अभाव और संसाधनों की कमी

गांव में शिक्षा का हाल अत्यंत दयनीय है। पूरे गांव में कोई सरकारी विद्यालय नहीं है और बच्चे पढ़ाई से पूरी तरह वंचित हैं। करीब तीन किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल तो है, लेकिन वहां संसाधनों की इतनी कमी है कि बच्चे पढ़ने के लिए वहां जा नहीं पाते। यही कारण है कि यहां के बच्चों की शिक्षा अधूरी रह जाती है और वह भी बड़े होकर मजदूरी के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यही सिलसिला चलता आ रहा है।

Gareeb Gaav Harka: सरकारी योजनाओं से अनजान

Gareeb Gaav Harka: आज़ादी के 78 साल बाद भी इस गांव में नहीं है कोई सरकारी नौकरी, हर शख्स मजबूर है दिहाड़ी मजदूरी पर,पूरे गांव में केवल 2 लोग हैं दसवीं पास
Gareeb Gaav Harka: आज़ादी के 78 साल बाद भी इस गांव में नहीं है कोई सरकारी नौकरी, हर शख्स मजबूर है दिहाड़ी मजदूरी पर,पूरे गांव में केवल 2 लोग हैं दसवीं पास

यहां के ग्रामीणों को सरकार की किसी योजना की जानकारी नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने के बारे में सोच ही नहीं पाता, क्योंकि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी केवल दो वक्त की रोटी जुटाने तक सिमट कर रह गई है। सहनी के अनुसार, यहां के लोग सरकार की किसी भी योजना के बारे में नहीं जानते। बस जीने के लिए मजदूरी करना ही उनकी दिनचर्या बन गई है।

Gareeb Gaav Harka: महिलाएं भी मजबूर हैं मजदूरी करने को

यहां की महिलाओं की स्थिति भी काफी चिंताजनक है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, उन्हें भी बाहर जाकर दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ती है। गांव की किसी भी महिला को घर के कामकाज के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। यहां तक कि कुछ महिलाएं दूसरे गांवों में झाड़ू-पोंछा लगाने जैसे काम करती हैं ताकि घर का खर्च चल सके।

Gareeb Gaav Harka: सपना टूटा,मजबूरन मजदूरी

राजकुमार सहनी गांव के दो पढ़े-लिखे लोगों में से एक हैं, लेकिन घर की स्थिति को देखते हुए उन्हें भी दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उन्होंने एक अस्थायी प्राइवेट काम से जुड़ने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें अपने परिवार की आर्थिक मदद करनी थी। राजकुमार की कहानी, हरका गांव के अन्य युवाओं की तरह ही है—सपने तो बहुत थे, लेकिन गरीबी और संसाधनों की कमी ने उनके सपनों को कुचल डाला।

Gareeb Gaav Harka: सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन

Gareeb Gaav Harka के निवासियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे न तो सरकार की योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं, न ही उनके पास विकास के किसी साधन की जानकारी है। यहां तक कि गन्ने की खेती के बड़े क्षेत्र में होने के बावजूद गांव के किसी भी व्यक्ति के पास खुद का खेत नहीं है। सभी लोग मजदूरी कर किसी तरह अपना पेट पाल रहे हैं।

Gareeb Gaav Harka: आवश्यकता है सरकारी मदद की

हरका गांव की यह स्थिति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यहां के लोगों को तुरंत सरकारी मदद की आवश्यकता है। शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने गांव को विकास के रास्ते से कोसों दूर कर दिया है। अगर यहां के बच्चों को शिक्षा और युवाओं को रोजगार के उचित अवसर मिलें, तो गांव की तस्वीर बदली जा सकती है।

Gareeb Gaav Harka: हरका गांव की यह त्रासदी भारतीय समाज के उस हिस्से की सच्चाई है जो अब भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का इंतजार कर रहा है। आज़ादी के 78 साल बाद भी यहां के लोग सरकारी योजनाओं और रोजगार से वंचित हैं। गांव की यह स्थिति न सिर्फ सरकारी उपेक्षा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर समय रहते इनकी सुध नहीं ली गई, तो आने वाली पीढ़ियां भी इसी दुष्चक्र में फंसी रहेंगी।

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