Trees Plants speak : भूख -प्यास लगने पर पेड़-पौधे करते हैं आवाज, बोलते भी हैं, आपस में भी बात करते हैं. पेड़ पौधों पर रिसर्च में सामने आई ये बात

जानें पेड़ों से किस प्रकार की आवाज़ें निकलती हैं ?

Sonia kundu
By Sonia kundu
Trees Plants speak
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यह तो हम पढ़ते आएं हैं कि पेड़ – पौधों में जान होती है और वो समय के  (Trees Plants speak ) साथ बढ़ते भी रहते हैं और फिर एक दिन सुख कर मर जाते हैं ।विज्ञान कहता है कि पौधे भी जीवन को महसूस करते हैं । उन्हें दर्द भी होता है, लेकिन क्या वो इजहार नहीं कर जैसे इंसान करते हैं ? रो कर,चीख या चिल्लाकर । कल्पना कीजिए आप एक ताजा फ्रूट लेकर आए हो और वो चिल्लाने लगे।

आपकी बालकनी में रखे पौधों को पानी ना मिले और जब आप आएं तो सारे पौधे अपनी शिकायत या नाराजगी दर्द भरी आवाज करें तो कैसा लगेगा ? एक रिसर्च में अब यह बात साबित हो गया है कि पौधे भी दुख तकलीफ में रोते हैं , बस हमारे कान अभी तक उनका रोना , सुन नहीं पाए थे जो अब मशीनों ने सुन लिया है।

Trees Plants speak : इसराइल में हुई पेड़ -पौधों के बोलने पर रिसर्च

इसराइल में हुआ इस नई रिसर्च में यह साबित किया गया है कि पौधे भी आवाज करते हैं और जब वह किसी दिक्कत या तनाव में होते हैं तो सबसे ज्यादा आवाज करते हैं । ईजरायल के तेलअवीव यूनिवर्सिटी के कुछ बायोलॉजिस्ट की एक रिसर्च के मुताबिक पौधे अगर तनाव या दिक्कत में है तो आवाज करते हैं और उन्होंने जैसे दिक्कत झेली होती हैं उसी हिसाब से उनकी आवाज भी बदलती रहती है ।

आखिर पेड़ – पौधे से आवाजें क्यों निकलती हैं ? 

रिसर्च का कहना है कि पौधे से आने वाली ज्यादातर आवाजों के पीछे की सबसे अधिक संभावित वजह ग्रेविटेशन है।
ग्रेविटेशन को ऐसे समझे कि खाना- पानी को अपनी जड़ से लेकर पौधे के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने के लिए एक वैस्कुलर सिस्टम यानी संवहन तंत्र होता है ,इस वैस्कुलर सिस्टम में प्रेशर डिफरेंस के चलते बुलबुला ( bubble) बनता है और यह बबल जब टूटते हैं तो हल्की तरंगे उठती है और इन्हीं तरंगों से पॉपकॉर्न के पकने जैसी आवाज निकलती है ।

पौधे दूसरे पौधों से नहीं बल्कि दूसरे जीवों से भी कम्युनिकेट ( बातचीत) करते हैं ।
ऐसा करते वक्त उनमें से एक केमिकल निकलता है जिससे पौधों से मक्खियों के भिनभिनाने जैसी आवाज निकली है ।
लेकिन जब इन आवाजों पर रिसर्च करके इन्हें डिटेक्ट करने की बात आती है तो इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है । यह रिसर्च तंबाकू और टमाटर के पौधों पर हुई क्योंकि इन पौधों की जेनेटिक्स को मनुष्य द्वारा बेहतर तरीके से समझा जा चुका है ।

कैसे हुई पेड़ – पौधों के बोलने पर रिसर्च ???

एक्सपेरिमेंट के लिए पौधों को लकड़ी के साउंड बॉक्स में रखा गया जिसके अंदर कोई आवाज आ – जा नहीं सकती थी । बक्सों में पौधों के अलावा कोई ऐसी चीज भी नहीं रखी गई जिससे किसी तरह की कोई आवाज आती हो । बॉक्स में तीन तरह के पौधे रखे गए एक वो जिन्हें कई दिनों से पानी नहीं दिया गया था, दूसरे वो जिनके तने कटे गए थे और तीसरे वो जो सामान्य थे । उसके बाद पौधों पर अल्ट्रासोनिक माइक्रोफोन लगाए गए । अल्ट्रासोनिक माइक्रोफोन 20 से लेकर 250 किलोहर्ट्स ( kHz) तक की फ्रीक्वेंसी की आवाज को रिकॉर्ड कर सकते थे ।

 

इसके बाद और नतीजे चौंकाने वाले थे ,एक तो पौधों की आवाज रिकॉर्ड हो गई और दूसरा वह पौधे जिन्हें अपनी पानी नहीं दिया गया था या जिनके तने काट दिए गए थे उन्होंने ज्यादा आवाज की । इस एक्सपेरिमेंट से जो रिकॉर्डिंग की गई उनसे साफ हुआ कि पौधों ने 40 से 80 किलो hertz तक की फ्रीक्वेंसी की आवाज पैदा की । जिन पौधों को कोई दिक्कत नहीं थी उन्होंने औसतन 1 घंटे में एक से भी काम आवाज की, जबकि जिन पौधों को दिक्कत थी उन्होंने हर एक घंटे में 12 तक आवाज़ पैदा की। ऐसी ही आवाज उन पौधों से भी डिटेक्टर की जिन्हें ग्रीनहाउस कंडीशन में रखा गया था ।

 

Trees Plants speak: When they feel hungry and thirsty, trees and plants make sounds, speak and even talk to each other
Trees Plants speak

ग्रीन हाउस कंडीशन का मतलब है कि कांच या पॉलिसी सीट की दीवारों का ऐसा वातावरण जहां ज्यादा गर्मी मेंटेन की जाती है । टमाटर और तंबाकू के अलावा गेहूं ,मक्का कैक्टस और अंगूर जैसे पौधों पर भी रिसर्च हुई । सभी पौधे अलग-अलग दिक्कतों के लिए अलग-अलग तरह की आवाजें निकाल रहे थे । इस एनालिसिस में मशीन लर्निंग (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस AI) का भी इस्तेमाल किया गया था ,जिससे 70% पता चला कि कौन सी आवाज जो है पौधे की किसी दिक्कत की वजह से आ रही है ।

रिजल्ट्स में साफ है कि हमारे आसपास के दुनिया , पौधों की आवाजों से भरी हुई है और ये आवाजें यह जानकारी भी देती हैं कि पौधों को पानी की जरूरत है या वो घायल हों तो वो ज्यादा आवाजें करते हैं ।

 

हम पेड़ – पौधों की आवाजों को क्यों नहीं सुन पाते ??

रिसर्च के अनुसार पौधों से आने वाली आवाजों को 16 फीट की दूरी से रिकॉर्ड किया जा सकता है ।
इन्हें चूहे जैसे जानवर सुन सकते हैं ,लेकिन यह हमारी हियरिंग कैपेसिटी से बाहर होती है। हम मनुष्य कम से कम 12 हर्ट्ज़ और अधिकतम 28 किलोहर्ट्ज़ तक की ध्वनि सुन सकते हैं जबकि पौधों ने 40 से 80 किलो hertz तक की फ्रीक्वेंसी की आवाज पैदा की ।

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अल्ट्रासोनिक माइक्रोफोन की मदद से ये जानकारी बाहर आई है । ऐसी ही रिसर्च और पौधों पर भी होनी चाहिए जिससे पेड़ – पौधों संबंधित सटीक जानकारी मिल सके । हम मनुष्य पेड़ पौधों की समस्याएं समय पर समझ सकें और उनका जीवन काल बढ़ने में योगदान दे सकें जिससे हमारी धरती हरी भरी बनी रहे ।

 

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