मुगल हरम में रानियां और शहजादियां बहुत ठाठ-बाट से जीती थीं। जहां उनकी सुख-सुविधा के सभी इंतजाम होते थे।
जहांगीर और शाहजहां जैसे कुछ मुगल बादशाह बेहद रसिक और अय्याश थे और हरम उनकी अय्य़ाशी का गवाह बनता था।
मुगल हरम में बादशाह अपनी रानियों और खास सेविकाओं के साथ शाम ढ़लने के बाद मुजरे और संगीत का आनंद लिया करते थे।
कई बार मुजरा करने के लिए खास तौर पर खूबसूरत और कमसिन लडकियां अलग-अलग शहरों से लाई जाती थीं।
कुछ मुगल बादशाह शराब के बेहद शौकीन थे और उनके साथ कई बार रानियां तो कभी उनकी प्रिय सहायिका भी मदिरा पान करती थीं।
कई बार पूर्णिमा और दूसरे मौकों पर जब चांद बेहद खूबसूरत दिखता था, तो हरम में बादशाह के लिए खास तैयारी होती थी।
कुछ जानवर रात के समय ही निकलते थे और मुगल बादशाह खास तौर पर हरम की खास महिलाओं के साथ रात में शिकार के लिए जाया करते थे।
हरम मुगल बादशाहों के लिए अय्याशी की भी जगह थी, जहां वो अपने सारे अरमान पूरे किया करते थे।
इसके बावजूद, मुगलों के हरम में राजनीति भी खूब होती थी और शाही परिवार की महिलाओं के बीच जमकर प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती थी।