नसों की कमजोरी से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे चलने-फिरने, बोलने में भी परेशानी होती है। आइए इससे चलने-फिरने, बोलने में भी परेशानी होती है। आइए जानते हैं कि नसों की कमजोरी कैसे दूर की जा सकती है ?
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योग के जरिए नसों की मजबूती बढ़ाई जा सकती है, जिससे दैनिक जीवन के काम आसानी से पूरे किए जा सकते हैं।
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बद्धकोणासन तनाव कम करता है और ब्लड सर्कुलेशन सुधारता है। इससे आसन के नियमित अभ्यास से कमर और कूल्हे के नसों में मजबूती आती है और मासिक धर्म की समस्याएं भी दूर होती हैं।
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बद्धकोणासन करने के लिए पैरों को मोड़कर तलवों के साथ लाएं और घुटनों को ऊपर-नीचे करें। यह आसन घुटनों में दर्द या चोट वाले लोगों के लिए सही नहीं है। इसलिए, सावधानी बरतें।
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वज्रासन पीठ और निचले हिस्से की नसों को मजबूत करने में मदद करता है। इससे पेट की चर्बी कम होती है और वजन नियंत्रित रहता है। इस योगासन से पैरों के नसों में भी आराम मिलता है।
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वज्रासन करने के लिए घुटनों के बल बैठें। हिप्स को एड़ी पर रखें और आंखें बंद करके गहरी सांस लें। घुटनों या पेट की समस्या होने पर इस योगासन से बचना चाहिए।
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सुप्त मत्स्येन्द्रासन नसों में खिंचाव को दूर करता है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इस आसन से ब्लड सर्कुलेशन बेहत्तर होता है और पेट की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है।
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सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के लिए मैट पर लेटें। एक पैर को मोड़ें और शरीर के विपरित दिशा में घुमाएं। रीढ़ या पीठ में दर्द होने पर इस योगासन को करने से बचना चाहिए।
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हलासन शरीर की नसों का सही संचालन करता है और मेटाबॉलिज्म सुधारता है। यह दिमागी नसों को आराम देता है और शुगर कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
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हलासन के लिए पीठ के बल लेटें। पैरों को ऊपर उठाकर सिर के पीछे ले जाएं। यह योगासन पेट की मांसपेशियों पर दबाव डालता है, इसलिए डायबिटिज या गर्दन की समस्या में इसे न करें।
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नसों की कमजोरी दूर करने के लिए योगासन के साथ हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना भी जरुरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें Newskunj.Com
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