धरती पर मौजूद हर चौथा इंसान जीवित रहने के लिए भूजल यानी ग्राउंड वाटर पर निर्भर है। भूजल वह पानी है ! जिसे धरती की सतही के नीचे से पंप किया जाता है।
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एक नई रिसर्च बताती है कि, सदी के अंत तक करोड़ों लोग भूजल से वंचित हो जाएंगे। क्योंकि बढ़ते तापमान के कारण यह विषाक्त और पीने योग्य नहीं रह जाएगा।
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रिसर्चर्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम नें हीट ट्रांसपोर्ट के ग्लोबल-स्केल मॉडल का सहारा लिया। यह मापने के लिए कि विभिन्न स्थितियों के तहत, दुनिया भर में भूजल स्त्रोतों में तापमान में किस प्रकार परिवर्तन होगा।
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एक स्टडी के मुताबिक, लगभग 59 करोड़ लोग ऐसे जल स्त्रोतों पर निर्भर होंगे जो 2100 तर पीने योग्य पानी के लिए सख्त मानकों को पूरा नहीं कर पाएंगे।
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भूजल के गर्म होने और इसके भयावह परिणामों को सालों से अनदेखा किया जाता रहा है। छेदों वाली चट्टानों के भीतर फंसा पानी घुले हुए खनिजों, प्रदूषकों और संभावित रोगाणुओं से भरा हो सकता है।
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यदि इस पानी को एक या दो डिग्री तक गर्म किया जाए तो यह पर्यावरण से ऑक्सीजन को खत्म कर सकता है और खत्तरनाक बैक्टीरिया को पनपने का कारण बन सकता है। यह मैंगनीज या आर्सेनिक जैसी भारी धातुओं की अत्यधिक सांद्रता को भी घोल सकता है।
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