Poultry and Dairy Trends: आने वाले साल 2024 में दूध, अंडा, मीट और चिकन जैसे जरूरी एनिमल प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इसके पीछे प्रमुख वजह चारे की किल्लत और बढ़ती मांग है।
1. चारे की किल्लत
एनिमल फीड जैसे मक्का, सोयामील, हरे और सूखे चारे की कमी एनिमल प्रोडक्ट की कीमतों पर सीधा असर डाल रही है। फीड इंडस्ट्री में इनकी मांग तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन जरूरत के मुकाबले कम है।
2. पोल्ट्री सेक्टर पर संकट
मक्का और सोयामील की कमी:
पोल्ट्री सेक्टर में फीड के लिए मक्का और सोयामील का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। भारत में सोयामील का उत्पादन 1.22 करोड़ टन है, जबकि अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों के मुकाबले यह काफी कम है। मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़ रहा है। आने वाले सालों में फीड की मांग और उपलब्धता के बीच की खाई और चौड़ी होने की आशंका है।
3. फीड की बढ़ती डिमांड
फीड का उत्पादन और मांग:
2022 में कुल एनिमल फीड का उत्पादन 4.65 करोड़ टन था, जो 2023 में 13% बढ़कर 5.30 करोड़ टन हो गया। अनुमान है कि 2025-26 तक यह 5.70 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा।
डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज में तेजी: इन क्षेत्रों में फीड की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है।
4. डेयरी और मीट सेक्टर की बढ़ती जरूरतें
डेयरी सेक्टर में 2022 में फीड की मांग 1.60 करोड़ टन थी, जो 2025-26 तक 2 करोड़ टन तक पहुंच सकती है। मीट और अंडा उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है, जिससे चारे की जरूरत बढ़ रही है।
5. संभावित असर
चारे की कमी और फीड की बढ़ती मांग से दूध, अंडा, मीट और चिकन की कीमतें बढ़ सकती हैं। अगर चारे की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया गया, तो उत्पादन में कमी आ सकती है।
चारे और फीड की कमी से एनिमल प्रोडक्ट्स की कीमतें और उपलब्धता पर असर पड़ेगा। यह चुनौती उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के लिए चिंता का विषय है। सरकार और उद्योग को फीड उत्पादन बढ़ाने, चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करने और नई तकनीकों का उपयोग करने की दिशा में काम करना होगा, ताकि इस संकट का समाधान निकाला जा सके।