जींद : जिले में छह गांवों में पिछले लंबे समय से सरपंच (jind sarpanch detail का पद खाली पड़ा है। इनमें रोजखेड़ा गांव में तो पंचायती चुनाव ही नहीं हो पाए थे। अलेवा के खेड़ी बुल्लां गांव के सरपंच ने सरपंची छोड़ सरकारी नौकरी ज्वाइन कर ली। गांगोली और थुआ गांव के सरपंच एक साल से भी ज्यादा समय से सस्पेंड हैं। वहां नया सरपंच नहीं बन पाया है।
ग्रामीणों को रिहायशी प्रमाण पत्र से लेकर आय प्रमाण पत्र, बिजली कनेक्शन लेने समेत सरपंच से संबंधित दूसरे कार्यों के लिए नंबरदार या बीडीपीओ के पास चक्कर काटने पड़ते हैं।
वर्ष 2022 में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव हुए थे तो जींद जिले के रोजखेड़ा, फरैण खुर्द, चाबरी और भिड़ताना गांव के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था।
रोजखेड़ा और फरैण खुर्द के ग्रामीणों ने इसलिए विरोध किया था दोनों गांवों में अनुसूचित जाति का सरपंच बनने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था लेकिन दोनों ही गांवों में अनुसूचित जाति के मतदाता नहीं हैं। इसलिए नामांकन ही दाखिल नहीं हो पाए थे। चाबरी और भिड़ताना में ग्रामीण नेशनल हाईवे 152 डी पर रास्ते की मांग को लेकर विरोध कर रहे थे।
बाद में 2023 में चाबरी, भिड़ताना और फरैण खुर्द गांव में तो सरपंच चुन लिया गया लेकिन रोजखेड़ा गांव में उस दौरान भी चुनाव नहीं हो पाए थे। वहीं 2023 में ही थुआ आैर गांगोली गांव के सरपंच को सस्पेंड किया गया था। उसके बाद से ही सरपंच का आधिकारिक पद खाली पड़ा है। बहुमत वाले पंच को सरपंच का चार्ज तो दिया गया है लेकिन गांव में जिस गति से विकास कार्य होने चाहिएं, उस गति से विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं।
इसी तरह की स्थिति राेजखेड़ा गांव में हैं। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि दो साल से गांव में विकास के कोई काम नहीं हुए हैं। जिस प्रमाण पत्र पर सरपंच के हस्ताक्षर होने चाहिएं, उस काम के लिए नंबरदार और बीडीपीओ को ढूंढना पड़ रहा है।
खेड़ी बुल्लां के सरपंच ने ज्वाइन की सरकारी नौकरी
खेड़ी बुल्लां के सरपंच गुलाब ने गांव की चौधरी को छोड़कर सरकारी नौकरी को ज्वाइन कर लिया। दरअसल मार्च-अप्रैल 2024 में हरियाणा की ग्रुप डी की भर्ती का फाइनल परिणाम जारी हुआ था तो इसमें खेड़ी बुल्लां के सरपंच गुलाब का नाम आया था। गुलाब ने सरपंची की बजाय सरकारी नौकरी को प्राथमिकता दी। खेड़ी बुल्ला गांव भी इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। गुलाब के सरपंच पद से इस्तीफे के बाद जिस पंच को सरपंच बनना था, वह दिव्यांग है, इसलिए गांव में अभी तक छह-सात माह से सरपंच नहीं बन पाया है। इससे गांव के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
पिछले 10 दिन में भी दो सरपंच हो चुके सस्पेंड
पिछले 10 दिनों में जुलाना के करसोला और दरियावाला के सरपंच को जिला उपायुक्त द्वारा सस्पेंड किया गया है। दरियावाला के सरपंच पर आरोप थे कि चुनाव में लगी आचार संहिता के दौरान सरपंच ने विकास कार्य करवाए, इसलिए आचार संहिता का उल्लंघन माना गया और जिला उपायुक्त द्वारा कार्रवाई करते हुए सरपंच बलजीत को सस्पेंड कर दिया गया।
करसोला गांव के सरपंच के खिलाफ गांव की शामलात की जमीन पर चौपाल के निर्माण की शिकायत दी गई थी और इस शिकायत पर सरपंच पर कार्रवाई की गई।
गांव के विकास कार्य हो रहे प्रभावित
सरंपंचों के सस्पेंड होने या सरपंच नहीं चुने जाने से गांवों के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गांव में बहुमत वाले पंच या ग्राम सचिव को चार्ज जरूर सौंपा गया है लेकिन विकास की गति बहुत ही धीमी है। ग्रामीणों को भी सरपंच नहीं होने से अपने प्रमाण पत्र बनवाने में, बिजली कनेक्शन लेने में नंबरदार या बीडीपीओ के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
वर्जन….
जिन गांवों में सरपंच नहीं हैं या सस्पेंड चल रहे हैं, उन गांवों में बहुमत वाले पंच को चार्ज दिया गया है। गांवों में विकास कार्य करवाने के निर्देश दिए गए हैं। खेड़ी बुल्लां समेत जल्द ही सभी गांवों में सरपंच चुनने की प्रक्रिया की जाएगी। विकास कार्यों की गति धीमी नहीं रहने दी जाएगी
–संदीप भारद्वाज, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, जींद।