IIT Admissions: IIT Madras की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में आईआईटी एडमिशन के मामले में दिल्ली आईआईटी जोन सबसे आगे रहा है। इस जोन से 4152 छात्रों ने दाखिला लिया, जो देश के अन्य सात IIT Zones के मुकाबले सबसे अधिक है। वहीं, गुवाहाटी जोन में सबसे कम नामांकन हुए, जहां केवल 786 छात्रों को प्रवेश मिला।
IIT Admissions: देशभर में 17,965 IIT सीटें, दिल्ली जोन सबसे आगे
देश को 7 IIT जोन्स में बांटा किया गया है और इन जोन्स के लिए कुल 17,965 सीटें आवंटित की गई हैं। IIT Delhi Zone में राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और दिल्ली जैसे राज्य शामिल हैं। इस जोन से सबसे अधिक एडमिशन हुए, जहां राजस्थान ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली जोन से कुल 4152 छात्रों ने आईआईटी में प्रवेश पाया।
इसके बाद IIT मद्रास जोन ने 4072 दाखिलों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। तीसरे स्थान पर IIT BOMBAY जोन रहा, जहां से 3712 छात्रों ने एडमिशन लिया। अन्य जोन्स में IIT ROORKEE जोन (1700), IIT KANPUR जोन (1669), IIT BHUBANESWAR जोन (1604) और IIT GUWAHATI जोन (786) का स्थान रहा।
IIT Admissions: JEE ADVANCED 2024 के आंकड़े
इस साल जेईई एडवांस्ड में कुल 2,50,284 छात्रों ने क्वालिफाई किया था, जिनमें से 1,80,200 ने परीक्षा दी। इनमें से 48,284 छात्रों को काउंसलिंग के लिए योग्य पाया गया। अंततः 17,395 छात्रों को IIT में Admissions मिले।
IIT Admissions: महिला छात्रों की भागीदारी
इस बार कुल 3945 महिला उम्मीदवारों ने जेईई एडवांस्ड क्वालिफाई किया, जिनमें से 3480 छात्राओं को सुपर न्यूमेरेरी सीटों के माध्यम से फीमेल पूल से प्रवेश मिला, जबकि 15 छात्राओं को जेंडर न्यूट्रल पूल से दाखिला मिला। बाकी 14,200 सीटें जेंडर न्यूट्रल पूल के माध्यम से छात्रों को दी गईं।
IIT Admissions: विदेशी नागरिकों के लिए भी अवसर
इस साल आईआईटी की कुल 17,695 सीटों में से 17,605 भारतीय छात्रों के लिए थीं। वहीं, 88 सीटें OCI (Overseas Citizens of India) और PIO (Persons of Indian Origin) के लिए आरक्षित थीं। इसके अलावा, 2 सीटें विदेशी नागरिकों के लिए भी आवंटित की गईं।
IIT Admissions की यह प्रक्रिया यह दर्शाती है कि किस तरह विभिन्न जोन्स के राज्यों में शैक्षणिक उपलब्धियां प्रभावित होती हैं। खासतौर से दिल्ली जोन की यह बढ़त राजस्थान जैसे बड़े राज्य के कारण है। वहीं, गुवाहाटी जोन के कम नामांकन के पीछे वहां की भौगोलिक चुनौतियां और कम संसाधन एक प्रमुख कारण हो सकते हैं।