UGC: नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उच्च शिक्षा संस्थानों में फैकल्टी भर्ती के नियमों में जल्द ही बड़े बदलाव करने जा रहा है. UGC ने एक नए ड्राफ्ट की तैयारी की है, जिसके तहत अब केवल पीएचडी धारकों तक सीमित रहने के बजाय उद्यमिता, स्टार्टअप आइडियाज, पेटेंट और उद्योग साझेदारी को भी शिक्षक पात्रता मानकों में शामिल किया जाएगा। यह कदम देश में नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
अब ग्रेजुएट भी बन सकेंगे फैकल्टी
UGC द्वारा प्रस्तावित नए नियमों के तहत अब ऐसे ग्रेजुएट्स भी उच्च शिक्षा संस्थानों में बतौर फैकल्टी नियुक्त हो सकेंगे, जिनमें उद्यमिता, स्टार्टअप्स या उद्योग भागीदारी का जुनून और अनुभव हो। साथ ही, स्नातक, स्नातकोत्तर (पीजी) और पीएचडी के विषय एक-दूसरे से अलग होने के बावजूद उम्मीदवारों को शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जा सकेगी। अभी तक के नियमों के अनुसार, एक ही विषय में ग्रेजुएशन, पीजी और पीएचडी करने वालों को ही प्राथमिकता दी जाती थी।
नए मानकों में होंगे स्टार्टअप और उद्यमिता के गुण
UGC के अनुसार, अब शोध प्रकाशनों के साथ-साथ नए मानकों को भी ध्यान में रखा जाएगा। उम्मीदवारों के पास स्टार्टअप आइडियाज, उद्यमिता में योगदान, शोध का व्यवसायीकरण, पेटेंट और उद्योग में भागीदारी जैसी योग्यताएं होना भी आवश्यक होगा। मौजूदा नियमों में शोध पत्रों पर अधिक जोर दिया जाता था, जिससे शिक्षक अकादमिक शोध को उद्योग के लिए समाधान में बदलने पर उतना ध्यान नहीं देते थे। नए नियमन में इस दिशा में बदलाव लाने का प्रयास किया जाएगा।
यूजीसी चेयरमैन का बयान
UGC चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि मौजूदा सिस्टम में केवल एक विषय में उच्च अध्ययन पर जोर दिया गया है, जबकि नए नियमन से मल्टी-डिसिप्लिनरी उम्मीदवारों के लिए रास्ते खुलेंगे। उन्होंने कहा कि यह बदलाव भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने और उद्योग से जुड़ी शिक्षा देने में सहायक साबित हो सकता है।
शिक्षकों के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता
प्रो. कुमार ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में एपीआई (एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर) स्कोर के कारण शिक्षक करिअर में शोध पर अधिक ध्यान देते हैं, जिससे वे सामाजिक जुड़ाव और उद्योग साझेदारी पर ध्यान नहीं दे पाते। यह प्रणाली शिक्षकों को उद्योग, समाज और नई तकनीकी कौशल में योगदान देने से रोकती है, जिससे गुणवत्तापूर्ण ग्रेजुएट तैयार करने में कठिनाई होती है।
नए ड्राफ्ट से आएगी बहुमुखी प्रतिभाओं की आवश्यकता
UGC का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप अब फैकल्टी में ऐसे लोगों को शामिल करना आवश्यक है जो न केवल एकेडमिक्स में बल्कि उद्योग व उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में भी कुशल हों। यह कदम उच्च शिक्षण संस्थानों में समाज और उद्योग की बदलती जरूरतों के हिसाब से कुशल और प्रतिभावान फैकल्टी तैयार करेगा।
उच्च शिक्षा में नया अध्याय
UGC का यह ड्राफ्ट फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया में व्यापक बदलाव लाने का उद्देश्य रखता है, जो उच्च शिक्षा में नई सोच और उद्योग में उपयोगी दक्षताओं को लाने में कारगर साबित हो सकता है।