Delhi cloud seeding: क्लाउड सीडिंग: दिल्ली के प्रदूषण से लड़ने की नई तकनीक! जानिए क्या है Cloud Seeding और इसके उपयोग.

Anita Khatkar
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Delhi cloud seeding: दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है, खासकर दिवाली के बाद। हाल ही में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि प्रदूषण से लड़ने के लिए क्लाउड सीडिंग पर विचार किया जाए। आइए, समझते हैं कि क्लाउड सीडिंग क्या है, इसे कैसे किया जाता है और दिल्ली में इसके अपनाने में क्या चुनौतियाँ हैं।

Delhi cloud seeding: क्लाउड सीडिंग क्या है?

क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है जिसका मुख्य उद्देश्य बादलों में मौजूद नमी को बढ़ाकर बारिश करवाना होता है। इसमें सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे तत्वों का उपयोग किया जाता है। ये तत्व बादलों में छोटे बर्फ के कणों की तरह काम करते हैं, जो नमी को इकट्ठा करके बारिश का रूप लेते हैं।

क्लाउड सीडिंग कैसे काम करता है?

1. बादलों की आवश्यकता: क्लाउड सीडिंग तभी की जा सकती है जब बादल पहले से मौजूद हों और उनमें नमी हो।

2. सीडिंग मटेरियल का प्रयोग: एयरक्राफ्ट या ग्राउंड जनरेटर द्वारा बादलों में सीडिंग मटेरियल को छोड़ा जाता है।

3. बूंदों का आकार बढ़ाना: ये मटेरियल पानी की बूंदों के आकार को बढ़ाते हैं।

4. बारिश: जब बूंदें भारी हो जाती हैं, तो वे बारिश के रूप में गिरने लगती हैं।

Cloud seeding worldwide:
Delhi cloud seeding: क्लाउड सीडिंग का वैश्विक उपयोग

क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग कई देशों में किया गया है:

अमेरिका: सूखे क्षेत्रों में बारिश बढ़ाने के लिए।

चीन: 2008 के ओलंपिक के दौरान मौसम को नियंत्रित करने के लिए।

रूस और अन्य: सूखा रोकने और मौसम को साफ करने के लिए।

Cloud seeding using India History: भारत में क्लाउड सीडिंग का इतिहास

भारत में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग 1950 के दशक से शुरू हुआ। कई राज्यों जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र ने सूखे के समय में इसका उपयोग किया है। हालांकि, दिल्ली में 2018 में पहली बार इसके उपयोग पर विचार किया गया था, लेकिन आवश्यक अनुमतियाँ नहीं मिलने के कारण इसे लागू नहीं किया गया।

Delhi pollution & cloud seeding: दिल्ली में प्रदूषण और क्लाउड सीडिंग

दिल्ली में सर्दियों में प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आर्टिफिशियल बारिश से प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। जब बारिश होती है, तो प्रदूषक पानी की बूंदों में घुलकर जमीन पर गिर जाते हैं।

Delhi cloud seeding difficulties: चुनौतियाँ

हालांकि क्लाउड सीडिंग एक संभावित उपाय है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ भी हैं:

1. अनुमतियों की आवश्यकता: कई केंद्रीय एजेंसियों से अनुमतियाँ लेनी पड़ती हैं, जो कि समय-सीमा में देरी कर सकती हैं।

2. बादलों की कमी: प्रदूषण के चरम पर, जैसे नवंबर में, बादल कम होते हैं, जिससे क्लाउड सीडिंग करना संभव नहीं होता।

3. महंगा प्रक्रिया: यह प्रक्रिया महंगी होती है, जिसमें एयरक्राफ्ट और मटेरियल की लागत शामिल होती है।

4. पर्यावरणीय चिंताएँ: सिल्वर आयोडाइड के उपयोग से कुछ पर्यावरणीय चिंताएँ भी जुड़ी हुई हैं।

Delhi cloud seeding: क्लाउड सीडिंग: दिल्ली के प्रदूषण से लड़ने की नई तकनीक! जानिए क्या है Cloud Seeding और इसके उपयोग.
Delhi cloud seeding: क्लाउड सीडिंग: दिल्ली के प्रदूषण से लड़ने की नई तकनीक! जानिए क्या है Cloud Seeding और इसके उपयोग.

Delhi cloud seeding: दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए, क्लाउड सीडिंग एक संभावित समाधान हो सकता है। इससे प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे लाखों लोगों को अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन इसे लागू करने के लिए तकनीकी, वित्तीय, और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना होगा।

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