Digital Census India: भारत में जल्द होगी पहली डिजिटल जनगणना, जानें इस बार क्या होगा नया

Digital Census India: भारत में जल्द ही 16वीं जनगणना की शुरुआत होने वाली है, और इस बार इसे डिजिटल तरीके से आयोजित किया जाएगा। अब तक जनगणना में हर घर जाकर कागजी रूप में जानकारी इकट्ठी की जाती थी, लेकिन इस बार जनगणना कर्मियों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होंगे, जिनके जरिए वे डिजिटल रूप से आंकड़े दर्ज करेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने असम दौरे के दौरान इस नई व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम से जनगणना की सटीकता को 100 फीसदी तक बढ़ाया जा सकेगा। यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना (India’s first digital census) होगी, जो कई मायनों में खास होगी।

Digital Census India : पहली बार स्व-गणना का प्रावधान

इस बार की जनगणना में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नागरिकों को स्वयं अपनी जानकारी देने का अवसर मिलेगा। इसके लिए एक विशेष स्व-गणना पोर्टल तैयार किया गया है। नागरिक इस पोर्टल पर जाकर अपनी व्यक्तिगत जानकारी को डिजिटल रूप में भर सकेंगे। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए जनगणना कर्मियों को टैबलेट और स्मार्टफोन दिए जाएंगे, जिससे वे डिजिटल रूप में डेटा दर्ज करेंगे और यह डेटा सीधा केंद्रीय सर्वर से जुड़ा होगा।

Digital Census India : जनगणना से जुड़ी मुख्य बातें

– पहली बार डिजिटल तरीके से होगी जनगणना।

– स्व-गणना पोर्टल के जरिए नागरिक स्वयं कर सकेंगे जनगणना में भागीदारी।

– घर-घर जाने वाले कर्मियों के पास होंगे टैबलेट या स्मार्टफोन।

– स्व-गणना के दौरान नागरिकों से आधार या मोबाइल नंबर लिया जाएगा।

– जनगणना के दौरान भरे गए डेटा को ऑनलाइन अपडेट किया जा सकेगा।

जनगणना में जातिगत कॉलम पर अब भी संशय

हालांकि, इस बार की जनगणना में जातिगत कॉलम (no caste coloum) शामिल होगा या नहीं, इस पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। 1931 के बाद से जातिगत जनगणना (caste census) नहीं हुई है और राजनीतिक दलों द्वारा लगातार इसे शामिल करने की मांग की जा रही है। जनगणना से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। 2011 में भी इस विषय पर काफी चर्चा हुई थी, लेकिन तब जातिगत जनगणना नहीं की गई थी।

कोरोना के कारण टली थी जनगणना

2020 में शुरू होने वाली जनगणना को कोरोना महामारी के कारण स्थगित करना पड़ा था। इस जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल 2020 को शुरू होना था, जिसमें मकान सूचीकरण और आवास जनगणना की जानी थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के चलते यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अब जल्द ही जनगणना की नई तारीखें घोषित की जाएंगी, और इसके साथ ही जनगणना से जुड़े सभी कार्य शुरू होंगे।

Digital Census India : महिला आरक्षण अधिनियम से भी जुड़ी है जनगणना

हाल ही में संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी इस जनगणना से जुड़ा हुआ है। इस अधिनियम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं। इन सीटों का परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया इस जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही तय की जाएगी। इसलिए महिला आरक्षण को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए इस जनगणना का समय पर संपन्न होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

स्व-गणना पोर्टल का उपयोग कैसे करें?

स्व-गणना के लिए नागरिकों को एक ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी भरनी होगी। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए जनगणना पोर्टल पर लॉग इन करने के लिए मोबाइल नंबर का उपयोग किया जा सकता है। एक बार जब नागरिक स्व-गणना पूरी कर लेंगे, तो उन्हें एक पहचान संख्या दी जाएगी। यह पहचान संख्या जनगणना कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन के दौरान साझा की जा सकेगी, जिससे कर्मियों को पहले से भरे गए डेटा को ऑनलाइन सिंक करने में आसानी होगी।

Digital Census India 2024 : जनगणना पर 12,000 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च

जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के कार्य पर सरकार के 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। 2020 में जब यह प्रक्रिया स्थगित हुई थी, तब सरकार ने इस जनगणना के लिए बजट में 3,726 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को देश की पहली डिजिटल जनगणना की घोषणा की थी।

India Census History: भारत की जनगणना का इतिहास

भारत में पहली बार जनगणना 1881 में हुई थी, और तब से हर 10 साल में जनगणना आयोजित की जाती है। स्वतंत्रता के बाद 1951 से लेकर 2011 तक 7 दशकीय जनगणनाएं हुई हैं। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, और अब 2024 में भारत की 16वीं जनगणना होगी। पिछली बार की तरह इस बार भी जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस चल रही है, और यह देखना बाकी है कि इस बार जनगणना में जातिगत डेटा को शामिल किया जाएगा या नहीं।

भारत की पहली डिजिटल जनगणना कई नई तकनीकों और सुविधाओं के साथ आएगी। स्व-गणना और डिजिटल डेटा संग्रहण के साथ यह प्रक्रिया अधिक सटीक और तेज होगी। हालांकि, जातिगत जनगणना का फैसला अभी अधर में है, लेकिन सरकार जल्द ही इस पर निर्णय ले सकती है।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *