one nation one election: वन नेशन, वन इलेक्शन के अंतर्गत एक साथ चुनाव कराने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम,शीतकालीन सत्र में बिल पेश, कोविंद कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

Anita Khatkar
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one nation one election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन (one nation one election) के विचार को एक बड़ा कदम दिया है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और इसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। वन नेशन, वन इलेक्शन का उद्देश्य देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है, जिससे बार-बार चुनाव होने की स्थिति समाप्त हो सके। इस कदम से संसाधनों की बचत और विकास कार्यों में गति लाने की उम्मीद की जा रही है।

one nation one election : वन नेशन, वन इलेक्शन की पृष्ठभूमि

वन नेशन, वन इलेक्शन का विचार नया नहीं है। आजादी के बाद 1952 से लेकर 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे। लेकिन 1968-69 के बाद कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग हो जाने के कारण यह परंपरा टूट गई। इसके बाद से राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और बार-बार चुनाव की स्थिति बनने लगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार 2014 में वन नेशन, वन इलेक्शन की बात कही थी और इसे चुनावी वादे के तौर पर भी प्रस्तुत किया था। 15 अगस्त, 2023 को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने भाषण में उन्होंने इस विचार की फिर से वकालत की। मोदी ने कहा था कि बार-बार चुनाव कराने से न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग होता है, बल्कि देश की विकास गति भी बाधित होती है।

what is one nation one election? क्या है वन नेशन, वन इलेक्शन?

वन नेशन, वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। इससे मतदाता एक ही समय में दोनों चुनावों के लिए वोट कर सकेंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इससे संसाधनों की बचत होगी और प्रशासनिक कामकाज में रुकावटें भी कम होंगी।

वर्तमान में, देश के विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे न केवल खर्च बढ़ता है, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी पर भी बोझ पड़ता है। one nation one election के तहत, केंद्र और राज्यों के चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव है।

one nation one election : कोविंद कमेटी की सिफारिशें

वन नेशन, वन इलेक्शन की संभावना को लेकर 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। 14 मार्च 2024 को इस कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जो 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट है।

रिपोर्ट के अनुसार, अगर वन नेशन, वन इलेक्शन लागू किया जाता है तो कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, जबकि कुछ का कार्यकाल घटाया जा सकता है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए ताकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें। इसके साथ ही, कमेटी ने लोकसभा और विधानसभा के अलावा नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार करने की सिफारिश की है।

one nation one election: कमेटी के प्रमुख सुझाव

one nation one election: वन नेशन, वन इलेक्शन के अंतर्गत एक साथ चुनाव कराने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम,शीतकालीन सत्र में बिल पेश, कोविंद कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
one nation one election: वन नेशन, वन इलेक्शन के अंतर्गत एक साथ चुनाव कराने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम,शीतकालीन सत्र में बिल पेश, कोविंद कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

 

1. एकसाथ चुनाव की संभावना: कमेटी ने सुझाव दिया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। इसके बाद, दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे।

2. विधानसभाओं का कार्यकाल: जिन राज्यों में हाल ही में चुनाव हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है ताकि अगले लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव हो सकें।

3. सुरक्षा और संसाधन: चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों, ईवीएम और अन्य संसाधनों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की गई है।

4. सिंगल वोटर लिस्ट: पंचायत से लेकर लोकसभा तक सभी चुनावों के लिए एकल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी की सिफारिश की गई है। इससे मतदाताओं की सुविधा बढ़ेगी और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।

5. त्रिशंकु विधानसभा और अविश्वास प्रस्ताव: कमेटी ने त्रिशंकु विधानसभा या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में चुनावी प्रक्रिया के बारे में विशेष सिफारिशें की हैं, जिससे भविष्य में कोई राजनीतिक अस्थिरता न हो।

one nation one election: चुनौतीपूर्ण हो सकता है लागू करना

वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए कई संवैधानिक और कानूनी बदलावों की आवश्यकता होगी। इसमें सबसे बड़ी चुनौती राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने की होगी, क्योंकि वर्तमान में सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इसके लिए व्यापक राजनीतिक सहमति की भी जरूरत होगी, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल इस विचार के विरोध में हैं।

अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारतीय चुनाव प्रणाली में यह एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। लेकिन इसे लागू करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच व्यापक समन्वय और सहमति की आवश्यकता होगी।

one nation one election देश की राजनीतिक प्रक्रिया में एक क्रांतिकारी बदलाव हो सकता है। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक गति भी बढ़ेगी। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अगर यह सफलतापूर्वक लागू हो गया तो यह भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा दे सकता है।

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