UGC: नई दिल्ली: उच्च शिक्षा में सुधार के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अब सख्त कार्रवाई करेगा। यदि कोई शिक्षण संस्थान UGC के निर्धारित नियमों और रेग्यूलेशन्स का उल्लंघन करता है, तो उसे सीधे डिबार कर दिया जाएगा और उसकी मान्यता भी वापस ली जा सकती है। UGC द्वारा गठित जांच कमेटी आरोपों की जांच करेगी और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संस्थान को UGC योजनाओं से बाहर कर दिया जाएगा, साथ ही डिग्री प्रोग्राम और ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) सहित ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई पर भी रोक लगाई जाएगी।
नए रेग्युलेशन से छात्रों को मिलेगा फायदा
UGC के नए नियमों के तहत, 3 वर्षीय स्नातक (UG) प्रोग्राम में 120 क्रेडिट (लेवल-5) और 4 वर्षीय डिग्री प्रोग्राम (ऑनर्स या रिसर्च) में 160 क्रेडिट (लेवल-6) के साथ छात्र स्नातकोत्तर (PG) प्रोग्राम में दाखिले के योग्य होंगे। इसके अलावा, यदि छात्र 40 क्रेडिट और लेवल-6 हासिल करते हैं, तो उन्हें पीजी डिप्लोमा मिलेगा।
UGC के महत्वपूर्ण बदलाव
1. अब 3 वर्षीय यूजी डिग्री वाले छात्र (लेवल 5.5) अतिरिक्त क्रेडिट हासिल करके 2 साल में MA, M.COM, M.SC जैसे कोर्स कर सकते हैं।
2. अब 4 वर्षीय यूजी डिग्री (लेवल 6) वाले छात्र एक साल में पीजी डिग्री हासिल कर सकते हैं।
3. मेजर और माइनर डिग्री वाले छात्र CUET PG और संबंधित विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास कर सकते हैं।
विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों में UGC के नए बदलाव
छात्र अब UG और PG दोनों डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई एक साथ कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए UGC के करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क को पूरा करना होगा। इसके बाद, छात्रों को विषय, संस्थान या लर्निंग मोड (ऑनलाइन, ऑफलाइन या ओपन) बदलने की स्वतंत्रता होगी।
UGC के मूल्यांकन और हाजिरी के नए नियम
अब छात्रों को ग्रेजुएशन डिग्री के लिए 50% क्रेडिट मुख्य विषयों से और बाकी 50% स्किल कोर्स और अप्रेंटिसशिप के जरिए प्राप्त करना होगा। विश्वविद्यालयों को हाजिरी के न्यूनतम मानक तय करने का अधिकार होगा, जबकि पहले यह 75% अनिवार्य था। इसके साथ ही, मेधावी छात्रों के लिए 10% सीटें आरक्षित रहेंगी।
UGC के इन नए नियमों से शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।