World Post Day Special: इंटरनेट और मोबाइल के दौर में जब डिजिटल संचार साधनों ने पारंपरिक डाक सेवाओं को पीछे छोड़ दिया है, भारतीय डाकघर आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के अवसर पर हम जानेंगे कि कैसे भारतीय डाकघर आज भी ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक अपनी सेवाओं से लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बने हुए हैं। भारतीय डाक अपनी विशिष्ट सेवाओं और गहरी पहुंच के चलते आज भी कुरियर और डिजिटल युग में मजबूत स्तंभ बना हुआ है।
World Post Day Special: डाक सेवाओं की व्यापकता: चिट्ठियों से परे
बहुत से लोग सोचते हैं कि Postoffice की उपयोगिता अब कम हो गई है, लेकिन दिल्ली एयरपोर्ट के ऑटोमैटिक मेल प्रोसेसिंग सेंटर (AMPC) पर आज भी हज़ारों चिट्ठियां और पार्सल छांटे जा रहे हैं। यहां पर मशीनें प्रति घंटे हजारों चिट्ठियां और अन्य डाक सामग्री प्रोसेस करती हैं। इस सेंटर में तीन शिफ्टों में लगभग 400 कर्मचारी प्रतिदिन 3.5 से 4 लाख डाक सामग्री का निपटान करते हैं। इसके अलावा, कोलकाता AMPC में रोजाना लगभग 2.75 लाख डाक छांटी जाती है, जिससे यह साफ होता है कि भारतीय डाक आज भी सक्रिय रूप से कार्यरत है।
World Post Day Special: डाकघर की बैंकिंग सेवाएं: 26 करोड़ से ज्यादा खाते
डाकघर न केवल संचार का माध्यम है, बल्कि बैंकिंग सेवाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में डाकघरों में करीब 26 करोड़ पोस्ट सेविंग्स बैंक खाते हैं, जिनमें 12.68 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत करीब 3.12 करोड़ सुकन्या खाते डाकघरों में खोले गए हैं। इसके अलावा, PPF, किसान विकास पत्र, सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम जैसी योजनाओं के जरिए निवेशकों को सुरक्षित विकल्प मिलते हैं।
World Post Day Special: डिजिटल युग में भारतीय डाक की भूमिका
इंडियन पोस्ट ने समय के साथ खुद को संचार क्रांति के हिसाब से ढाला है। स्पीड पोस्ट और एक्सप्रेस पार्सल जैसी सेवाओं के जरिए भारतीय डाक ने अपनी बाजार हिस्सेदारी को 40% तक बनाए रखा है। आज डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र, आधार अपग्रेडेशन, पैन कार्ड वितरण, कॉमन सर्विस सेंटर जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं भी मुहैया करा रहे हैं।
Indian Post Villages To Parliament: डाकघर की पहुंच: ग्रामीण इलाकों से लेकर संसद भवन तक
भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा डाकघर मौजूद हैं, जिनकी संख्या 1,64,972 है, जिसमें से लगभग 1.5 लाख डाकघर गांवों में हैं। दिलचस्प बात यह है कि संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री निवास जैसे स्थानों पर केवल पोस्टमैन को ही पहुंचने की अनुमति मिलती है। डाकघर न केवल मानवता के सेवा में है, बल्कि कई मंदिरों और अनूठे स्थानों तक भी डाक पहुंचाने का कार्य करता है। कश्मीर की डल झील पर तैरता डाकघर और रेगिस्तानी इलाकों में ऊंट डाकघर जैसे उदाहरण इसकी अनूठी सेवाओं का प्रमाण हैं।
World Post Day Special: रेवेन्यू और खर्च का संघर्ष
भारतीय डाक के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। उसका 91% बजट वेतन और पेंशन पर खर्च होता है। हालांकि, 2020-21 में कोरोना संकट के कारण इसका रेवेन्यू घटकर 10,632.31 करोड़ रुपये रह गया, जबकि खर्च 28,327 करोड़ तक पहुंच गया। भारतीय डाक को अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है ताकि भविष्य में भी वह संचार तंत्र की रीढ़ बना रहे।
World Post Day Special: भारतीय डाक का महत्व आज भी बरकरार
21वीं सदी में भी भारतीय डाकघर अपनी विश्वसनीयता, विस्तृत सेवाओं और गहरी पहुंच के कारण आज भी महत्वपूर्ण हैं। डाकघर न केवल चिट्ठियों तक सीमित हैं, बल्कि बैंकिंग, निवेश और डिजिटल सेवाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।