russia ukraine war north korea entry: रूस में यूक्रेन के खिलाफ जंग के लिए नॉर्थ कोरिया के खतरनाक 1500 कमांडो की एंट्री: चीन की मदद से सुसाइड ड्रोन की तैनाती! भारत के 1971 युद्ध से है ऐतिहासिक संबंध

russia ukraine war north korea entry: यूक्रेन के खिलाफ चल रही लड़ाई में रूस की मदद के लिए नॉर्थ कोरिया ने अपनी खतरनाक कमांडो फोर्स और अन्य सैनिकों को रूस भेज दिया है। इन जवानों की ट्रेनिंग व्लादिवोस्तोक में की जा रही है। इसी दौरान, चीन ने भी रूस को सुसाइड ड्रोन के जरिए सहायता की है, जिससे रूस की सैन्य क्षमताओं में इजाफा हो सकता है।

russia ukraine war north korea entry: युद्ध में 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती

russia में भेजे गए नॉर्थ कोरियाई कमांडो की संख्या करीब 1500 है, और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का दावा है कि उत्तर कोरिया के 10,000 जवान जल्द ही रूस की सेना में शामिल होने जा रहे हैं। इस बारे में दक्षिण कोरिया की इंटेलिजेंस ने जानकारी दी है। एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उत्तर कोरिया के जवान रूस के बेस पर मिलिट्री उपकरणों के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं।

North Korea Special Commando Enter In War: विशेष कमांडो फोर्स की तैनाती

North Korea ने अपने विशेष ऑपरेशन फोर्स (SOF) के 1500 कमांडो को व्लादिवोस्तोक भेजा है। सियोल की नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस (NIS) के अनुसार, इन कमांडो को जल्द ही यूक्रेन में किसी भी पोस्ट पर तैनात किया जा सकता है। यूक्रेनी मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ किरलो बुडानोव ने कहा कि ओर भी 2600 उत्तर कोरियाई जवान 1 नवंबर से कुर्स्क क्षेत्र में भेजे जाएंगे।

North Korea Entry in Russia Verify by Satellite: उपग्रह तस्वीरों से पुष्टि

दक्षिण कोरिया की NIS ने हाल ही में सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं, जो दिखाती हैं कि उत्तर कोरियाई सैनिकों का पहला दल रूसी सैन्य जहाजों द्वारा व्लादिवोस्तोक में भेजा गया। ये तस्वीरें 8 से 13 अक्टूबर के बीच के हैं, जो यह पुष्टि करते हैं कि उत्तर कोरिया की सैन्य भागीदारी की शुरुआत हो चुकी है।

Russia helped by partners in war: रूस के साथ सहयोग में नया मोड़

यूक्रेन की इंटेलिजेंस को एक एशियाई व्यक्ति की पहचान की गई, जो रूसी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा था। उसकी पहचान किम जोंग सिक के रूप में हुई, जो एक मिसाइल इंजीनियर हैं और अक्सर किम जोंग उन के साथ मिसाइल परीक्षण के समय मौजूद रहते हैं। यह दर्शाता है कि उत्तर कोरिया न केवल अपने सैनिकों को बल्कि अपने विशेषज्ञों को भी रूस भेज रहा है।

russai-north korea friendship: उत्तर कोरिया-रूस की मित्रता

Kim Jong Un के उत्तर कोरिया और रूस के बीच की मित्रता द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से स्थापित है और 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से यह और मजबूत हुई है। पिछले सप्ताह, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने बताया कि उत्तर कोरिया 10,000 सैनिकों को रूस के लिए प्रशिक्षण दे रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मास्को अपनी बड़ी क्षति की भरपाई के लिए उत्तर कोरिया पर निर्भर है।

North Korea’s SOF की ताकत

माना जाता है कि उत्तर कोरिया के SOF में 2 लाख से अधिक जवान हैं। इनका काम पहले दक्षिण कोरिया में जासूसी और जंग लड़ना था। अब इनमें से कुछ कमांडो को रूस भेजा गया है ताकि वे यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में सहायता कर सकें। यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि इन कमांडो की ट्रेनिंग जैसे ही पूरी होगी, इन्हें रूसी यूनिफॉर्म, हथियार और फर्जी आईडी के साथ तैनात कर दिया जाएगा।

किम जोंग उन का विश्वसनीय जासूस

किम जोंग उन का एक विश्वसनीय जासूस, जिसका नाम किम जोंग सिक है, इस समय रूस में है। वह उत्तर कोरिया की मिनिस्ट्री ऑफ म्यूनिशंस एंड इंडस्ट्री का एक प्रमुख सदस्य है और एक ट्रेंड जासूस है। उसे रूसी सैनिकों के साथ यूक्रेन की सीमा पर देखा गया है, जहां वह उत्तर कोरिया की KN-23 बैलिस्टिक मिसाइल के लॉन्च का संचालन देखता है।

China in russia ukraine war: चीन की भूमिका

चीन भी यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए russia को अपने एडवांस हथियार भेज रहा है। हाल ही में चीन के सुसाइड ड्रोन्स यूक्रेन में बरामद किए गए, जो रूस के द्वारा यूक्रेनी सेना पर हमले के लिए उपयोग किए जा रहे थे। चीन, रूस की गरपिया सीरीज के लॉन्ग रेंज सुसाइड ड्रोन्स (china suicide drones) के निर्माण में मदद कर रहा है, जिसके कारण अमेरिका ने चीन की कंपनियों पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं।

 

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एक्सपर्ट्स के अनुसार अब क्या होंगे संभावित परिणाम

विश्लेषकों के अनुसार, उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती उकसाने वाली हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि रूस इन सैनिकों को कैसे तैनात करता है। Russia का इरादा उत्तर कोरियाई सैनिकों को रिजर्व के रूप में रखने का भी हो सकता है। रूस ने अभी तक यूक्रेन में पूरी सैन्य ताकत से हमला नहीं किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसकी रणनीति NATO को हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं देना है।

भारत के 1971 युद्ध जैसे हालात है क्या?

उत्तर कोरिया के सैनिकों का रूस पहुंचना एक प्रकार की मित्रता की संधि के समान हो सकता है, जैसे 1971 में बांग्लादेश युद्ध के पूर्व भारत और सोवियत संघ के बीच हुई थी। यह दर्शाता है कि किम जोंग उन अपनी सेना को यूं ही नहीं भेज रहे हैं। यह स्पष्ट है कि यूक्रेन की सेना पीछे हट रही है और पश्चिमी हथियारों की सप्लाई में कमी आ रही है, जिससे तनाव और बढ़ रहा है।

रूस ने उत्तर कोरिया के सैनिकों को बुलाकर स्पष्ट कर दिया है कि वह पूरी तरह से तैयार है और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तत्पर है। इस प्रकार, यह स्थिति न केवल यूक्रेन बल्कि वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण मोड़ लाने वाली है।

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