Haryana child Ratio Lowest: चंडीगढ़: हरियाणा में लगातार घटते लिंगानुपात ने राज्य के अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। वर्ष 2024 के पहले 10 महीनों में लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11 अंक कम है और 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। गुरुग्राम, रेवाड़ी, चरखी दादरी, रोहतक, पानीपत और महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां लिंगानुपात 900 से भी नीचे गिर चुका है।
Haryana child Ratio Lowest: गुरुग्राम का सबसे खराब प्रदर्शन
गुरुग्राम जिले का प्रदर्शन सबसे चिंताजनक है, जहां लिंगानुपात मात्र 859 रह गया है। इस पर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र यादव ने बताया कि इस साल पोर्टल में तकनीकी समस्याओं के कारण जन्म पंजीकरण में कठिनाई हुई, जिससे करीब सात से आठ हजार कम जन्म पंजीकृत हुए हैं। अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि सभी एंट्री पूरी होने के बाद स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है।
Haryana child Ratio Lowest: राज्य में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के बावजूद घटता लिंगानुपात
हरियाणा में घटते लिंगानुपात को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी। अभियान के बाद 2019 में राज्य का लिंगानुपात 923 तक पहुंच गया था, लेकिन 2020 के बाद से इसमें गिरावट का सिलसिला जारी है। एक अधिकारी के अनुसार राज्य में सख्ती के बावजूद लिंगानुपात में गिरावट चिंता का विषय है। उनका मानना है कि हरियाणा में भ्रूण हत्या भले ही कम हो गई हो, लेकिन आसपास के राज्यों – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, और राजस्थान में यह अपराध तेजी से फल-फूल रहा है।
Haryana child Ratio Lowest: पड़ोसी राज्यों में भ्रूण हत्या की बढ़ती समस्या
हरियाणा में लड़कों की चाहत के कारण लोग पड़ोसी राज्यों में जाकर भ्रूण जांच और गर्भपात करवा रहे हैं, जहां इस पर सख्ती अपेक्षाकृत कम है। अक्सर दलालों के माध्यम से हरियाणा के लोग अल्ट्रासाउंड करवाने और भ्रूण की पहचान कराने के लिए इन राज्यों में जाते हैं। कई बार इन अल्ट्रासाउंड केंद्रों में भ्रूण की गलत जानकारी दी जाती है, जिससे अनजाने में लड़कों का गर्भपात भी हो जाता है।
सामाजिक मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता
जानकार बताते हैं कि राज्य में लड़कियों की कमी का एक बड़ा कारण परिवार की बदनामी का डर है। परिवारों में यह धारणा है कि लड़कियां वंश और धन कमाकर घर का सहयोग नहीं कर सकतीं और उनकी शादी पर दहेज का बोझ भी आएगा। इस सोच का नतीजा यह हुआ है कि कई गांवों में 300-400 लड़के ऐसे हैं जिनकी शादी नहीं हो पा रही है।
कुपोषण और लड़कियों के प्रति उदासीनता
इस प्रकार की सोच के कारण कई परिवारों में लड़कियों को उचित देखभाल नहीं मिलती, जिससे वे कुपोषण का शिकार हो जाती हैं और कई बार उनकी असमय मृत्यु भी हो जाती है।
सरकार और समाज के लिए चुनौती
हरियाणा में घटता लिंगानुपात राज्य सरकार और समाज दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है। भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सख्त कानूनों के बावजूद सामाजिक मानसिकता में बदलाव न आने से यह समस्या अभी भी बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक लड़कियों और लड़कों के बीच भेदभाव की सोच नहीं बदलेगी, तब तक इस दिशा में सुधार मुश्किल है।
हरियाणा में लिंगानुपात में गिरावट एक बार फिर से राज्य के लिए चेतावनी है। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए न केवल कठोर कानूनों को लागू करने की आवश्यकता है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और मानसिकता में बदलाव लाने के लिए भी प्रयास करने होंगे।