Technical colleges principal shortage: हरियाणा के 86% बहुतकनीकी कॉलेजों में प्रिंसिपल की कमी, पांच साल से सहायक प्रोफेसरों की पदोन्नति भी अटकी, शिक्षा मंत्री दे चुके निर्देश

Technical colleges principal shortage: हरियाणा के सरकारी बहुतकनीकी कॉलेजों में एक गंभीर समस्या सामने आई है। राज्य के 86 फीसदी बहुतकनीकी कॉलेजों में प्रिंसिपल की पदवी रिक्त है। यह स्थिति खासकर शिक्षा क्षेत्र में बड़ी चुनौती बन गई है। प्रदेश के कुल 27 बहुतकनीकी कॉलेजों में से सिर्फ 4 कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपल तैनात हैं। इनमें से दो प्रिंसिपल डेपुटेशन पर हैं, जबकि बाकी दो स्थायी हैं। इस स्थिति का असर केवल कॉलेजों के संचालन पर नहीं, बल्कि विभागीय कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया पर भी पड़ा है।

पदोन्नति में रुकावट

पंचकूला के तकनीकी निदेशालय में सहायक प्रोफेसरों की पदोन्नति पिछले पांच साल से अटकी पड़ी है। इस मुद्दे पर कई बार एसोसिएशन द्वारा आवाज उठाई गई, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। तकनीकी कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों को सीधी भर्ती की बजाय पदोन्नति से भरा जाता है, और इसके लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती नहीं की जाती।

शिक्षा मंत्री ने लिया संज्ञान

यह मामला शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के संज्ञान में भी आया है। हाल ही में उन्होंने तकनीकी निदेशालय के अधिकारियों के साथ लंबित पदोन्नति मामलों पर बैठक की थी। इस बैठक में विभागाध्यक्षों की पदोन्नति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी जायज पदोन्नति को रोकने का काम न किया जाए।

प्रिंसिपल की अनुपस्थिति से असर

प्रिंसिपल के पद खाली होने के कारण कॉलेजों में कई अहम कार्यों में रुकावटें आ रही हैं। जब भी विभागाध्यक्ष को प्रिंसिपल का अतिरिक्त चार्ज दिया जाता है, तो वह न तो दाखिलों की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है और न ही प्लेसमेंट के मामलों में। विभागाध्यक्ष केवल प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है, जिससे कॉलेजों के समग्र विकास में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

पदोन्नति में कोई वित्तीय भार नहीं

दिलचस्प बात यह है कि तकनीकी कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता है, जिसके लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ता। विभागाध्यक्ष पहले से ही प्रिंसिपल स्केल में वेतन पा रहे होते हैं और उन्हें केवल प्रिंसिपल का पद दिया जाता है। फिर भी, विभागीय प्रक्रिया में देरी के कारण ये पदोन्नतियां नहीं हो पाई हैं।

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