Screentime eyes effects: बच्चों में बढ़ता हुआ स्क्रीन टाइम आजकल एक गंभीर समस्या बन गया है। स्मार्टफोन, टीवी और टैबलेट का अत्यधिक उपयोग बच्चों की आंखों पर बुरा असर डाल रहा है, जिसके कारण उनकी नजर कमजोर होती जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो चश्मे का नंबर एक साल में 0.5 से 2.5 तक बढ़ रहा है। इससे बच्चों की दूर की नजर कमजोर हो रही है, जिसे एम्ब्लियोपिया या मंददृष्टि कहा जाता है।
Screentime eyes effects:: बच्चों की आंखें हो रही हैं सुस्त
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, 8 साल की उम्र के बाद नजर की कमजोरी को ठीक करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। एम्ब्लियोपिया की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है, और यह चिंता का विषय है। जहां एक स्वस्थ व्यक्ति की नजर 40 साल की उम्र के बाद कमजोर होती है, वहीं आजकल छोटे बच्चों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है।
Screentime eyes effects: स्क्रीन टाइम ने कैसे बढ़ाई बच्चों की समस्या?
देशभर में screentime से चश्मों के नंबर बढ़ने के कई मामले देखने को मिला रहे हैं । एक 6 साल का बच्चा दिन में 5 घंटे मोबाइल देखता था। इस आदत की वजह से उसकी नजर कमजोर होने लगी। नेत्र विशेषज्ञ ने उसकी जांच के बाद 0.5 नंबर का चश्मा दिया, लेकिन स्क्रीन टाइम कम नहीं किया गया। एक साल में उसका चश्मे का नंबर 2.5 तक पहुंच गया और उसकी दूर की नजर भी कमजोर हो गई।
वहीं दूसरे मामले में एक 11 वर्षीय बच्ची, जो टीवी को बेहद नजदीक से देखती थी, को 7 नंबर का चश्मा चढ़ा हुआ था। यह बच्ची भी अब नेत्र विशेषज्ञ के इलाज में है, लेकिन उसकी नजर पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाएगी। उसकी दूर की नजर इतनी कमजोर हो गई थी कि चश्मे के बिना वह 2 कदम की दूरी पर बोर्ड पर लिखी चीज़ें भी नहीं पढ़ पाती थी।
Screentime eyes effects: कैसे कम करें स्क्रीन टाइम?
नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में एम्ब्लियोपिया जैसी समस्याएं स्क्रीन टाइम के बढ़ने से हो रही हैं। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों के साथ समय बिताएं और उनके स्क्रीन टाइम को सीमित करें। इसके अलावा, बच्चों को पौष्टिक आहार देना जरूरी है, जिसमें हरी सब्जियां और मल्टीविटामिन शामिल हों।
अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि 9 साल की उम्र तक बच्चों की नजर विकसित हो जाती है और इस उम्र तक इलाज व आहार से नजर की समस्या को ठीक किया जा सकता है। लेकिन, इसके बाद नजर की रिकवरी मुश्किल हो जाती है। बच्चों की आंखों की साल में एक बार जांच कराना भी अनिवार्य है ताकि नजर की समस्या का समय रहते समाधान हो सके।
Screentime eyes effects: आंखों की समस्या के मुख्य कारण
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, आंखों की रोशनी जाने के मुख्य कारणों में 66% सफेद मोतिया, 8% चोट का निशान या फोला, 7% सर्जरी के समय पेचीदगी, 6% आंख के पर्दे का कमजोर होना और 5.5% काला मोतिया शामिल हैं।
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Screentime eyes effects:अभिभावकों के लिए अलर्ट
बढ़ते स्क्रीन टाइम से बच्चों की नजर को कमजोर होने से बचाने के लिए जरूरी है कि अभिभावक इस पर नियंत्रण रखें। बच्चों के साथ समय बिताएं, उन्हें बाहरी गतिविधियों में शामिल करें और स्क्रीन से दूरी बनाएं। बच्चों की नजर और उनकी सेहत के लिए यह कदम अनिवार्य है।
डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी है। आंखों से संबंधित किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले हमेशा अपने आंखों के डॉक्टर से संपर्क करें ।