Adulterated food penalty: मिलावटी दूध या घी बेचने मिलेगी आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माना, जानिए क्या कहता है कानून

Anita Khatkar
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Adulterated food penalty: भारत में मिलावटी खाद्य पदार्थों की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। मसाले, दूध, घी, तेल जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं में मिलावट की भरमार है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई व्यक्ति खाद्य पदार्थों में मिलावट करता पकड़ा जाता है, तो उसे भारतीय कानून के तहत कितनी सजा हो सकती है।

Adulterated food penalty: क्या कहता है नियम-कानून?

भारत में मिलावटखोरी और खाद्य सुरक्षा से संबंधित मामलों को नियंत्रित करने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 (Food Safety and Standards Act, 2006) बनाया गया है। इसके तहत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियमों का पालन किया जाता है। यह कानून भारतीय खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है और इसके तहत मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।

Adulterated food penalty: मिलावटखोरी पर सजा और जुर्माना

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री या वितरण करते पकड़ा जाता है तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है। दोषी पाए जाने पर जुर्माना, सजा या दोनों का प्रावधान है।

जुर्माना: मिलावटी खाद्य पदार्थों को बनाने और बेचने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

सजा: इसके अलावा, इस अपराध की गंभीरता के आधार पर दोषी को 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है।

मृत्यु की स्थिति: यदि मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो मिलावटखोर को आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है।

Adulterated food penalty: मिलावटी दूध या घी बेचने मिलेगी आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माना, जानिए क्या कहता है कानून
Adulterated food penalty: मिलावटी दूध या घी बेचने मिलेगी आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माना, जानिए क्या कहता है कानून

धारा 272 और 273 के तहत सजा

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी मिलावटखोरी से संबंधित अपराधों के लिए दंडात्मक प्रावधान हैं।

धारा 272: अगर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री से किसी का जीवन खतरे में नहीं आता, तो यह धोखाधड़ी के अंतर्गत आता है। इस मामले में दोषी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 273: यदि मिलावटी खाद्य पदार्थों से किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो जाती है या बीमारी फैल जाती है, तो यह गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में दोषी को 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है और भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

भारत में खाद्य मिलावटखोरी से जुड़े मामलों में सजा और जुर्माना कड़ा है, ताकि लोगों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ मिल सकें।

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