PhD: भारत में पीएचडी में एडमिशन का चलन हर साल तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें सालाना 10% से अधिक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। खासकर, विज्ञान और तकनीकी विषयों में PhD की मांग सबसे अधिक है, जबकि कॉमर्स में यह संख्या अपेक्षाकृत कम है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि वैश्विक स्तर पर विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में नवाचार और शोध की भारी आवश्यकता है। भारत में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में PhD धारकों की मांग भी लगातार बढ़ रही है, जिससे कई करियर विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं। ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और तकनीकी विकास जैसे क्षेत्रों में भी PhD धारकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने उच्च शिक्षा संस्थानों में श्रेष्ठ शोध कार्यों को पहचानने के लिए Ph.D Excellence Citations नामक सम्मान की शुरुआत की है। इसके तहत, हर वर्ष टॉप 10 PhD थीसिस का चयन किया जाएगा जो विभिन्न विषयों में असाधारण योगदान करते हैं।
PhD स्ट्रीम वाइज आंकड़े
UGC के आंकड़ों के अनुसार, साइंस में 30%, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में 26%, सोशल साइंसेज में 12%, इंडियन लैंग्वेज में 6%, मैनेजमेंट में 6%, एग्रीकल्चर साइंस में 4%, मेडिकल साइंसेज और एजुकेशन में 5% और कॉमर्स में 3% छात्र PhD पूरी कर रहे हैं। इस बढ़ते रुझान के साथ, 2010-11 में 77,798 PhD एडमिशन की तुलना में 2017-18 तक यह संख्या बढ़कर 1,61,412 हो गई है।
PhD:कॉमर्स में रिसर्च की संभावनाएँ
Commerce के क्षेत्र में PhD की संख्या अन्य विषयों के मुकाबले अभी कम है, लेकिन इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसमें रिसर्च के लिए गहराई से अध्ययन की जरूरत होती है। अब अधिक छात्रों का रुझान कॉमर्स की ओर बढ़ रहा है और नए शिक्षकों की भर्ती के साथ सीटों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है, जिससे निकट भविष्य में कॉमर्स में भी रिसर्च के अवसरों में इजाफा होगा।
PhD:UGC ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को शोध कार्य में सुधार लाने और उसे बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्य को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन कर सके।