रक्तवीरों की सेना। वाट्सएप ग्रुप से जुड़े देशभर के 11 हजार रक्तवीर (Blood Doner)। देश में कहीं भी रक्त की जरूरत की सूचना मिले तो अपने खर्च पर जरूरतमंद तक पहुंच जाते हैं। युवाओं की टीम, उनके लिए नया जीवन लेकर आते हैं। इन रक्तवीरों का रक्त हजारों लोगों की धमनियों में दौड़ रहा है।
आठ साल पहले हादसे में घायल युवक की बचाई थी जान, अब तक चल रही मुहिम-इंटरनेट मीडिया पर लोगों को जोड़ कर आठ साल में करीब आठ हजार लोगों की बचा चुके जान।इसकी शुरुआत एक छोटी सी घटना से हुई, लेकिन आज यह इतनी बड़ी मुहिम बन चुकी है कि इंटरनेट मीडिया पर इनका नेटवर्क देश भर में फैला हुआ है।
निडाना गांव के विक्की मलिक (Vicky malik nidana) ने बताया कि 2016 में हुई एक दुर्घटना ने इसके लिए प्रेरित किया। उस समय वे पंचकूला में कारोबार करते थे। वे लोग जा रहे थे तो एक दुर्घटना हुई मिली। हिसार का घायल युवक तड़प रहा था, लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा था। ऐसे में उसे अपनी बाइक पर अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने रक्त की जरूरत बताई, लेकिन घायल युवक के साथ कोई नहीं था।
ऐसे में उन्होंने रक्तदान किया। इससे उसकी जान बच गई। इस घटना के बाद से ही इंटरनेट मीडिया पर ऐसे लोगों को जोड़ना शुरू किया, जो जरूरत के समय रक्तदान (blood doner) कर सकते हैं। अब इनकी संख्या 11 हजार के पार पहुंच चुकी है। जरूरत के अनुसार फोन करते हैं। इस पर विक्की मलिक उसी क्षेत्र के रक्तवीर से सपंर्क कर रक्तदान के लिए भेज देते हैं।
Blood Doner : सरकारी कर्मचारी और कारोबारी भी टीम में शामिल
विक्की मलिक बताते हैं लोगों में सेवा का जज्बा काफी अधिक है। उनके साथ इस दौरान सरकारी सेवा से लेकर कारोबार करने वाले लोग भी जुड़े हैं। यह लोग सिर्फ सूचना पर अपने किराये से रक्त की जरूरत वाले व्यक्ति तक पहुंचते हैं और रक्तदान करते हैं।
बेटा आस्ट्रेलिया में, पिता को कोलकाता में दिलाया रक्त
विक्की मलिक (vicky malik nidana) बताते हैं कुछ समय पहले उनके पास आस्ट्रेलिया से फोन आया। यह परिवार मूल रूप से यमुनानगर का रहने वाला है, लेकिन आजकल कोलकाता में रहता है। फोन करने वाले युवक ने बताया कि उसके पिता को रक्त की जरूरत है, लेकिन वह आ नहीं सकता। इस पर उनकी टीम ने दो रक्तदाताओं (blood donde) को वहां भेज दिया और रक्तदान किया।