Code of conduct violation : सफीदों विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी रामकुमार गौतम द्वारा राष्ट्रीय स्तर की एक अन्य राजनीतिक पार्टी पर दिए गए बयान का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। उनके बयान की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद रविवार, 8 सितंबर को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत चुनाव कार्यालय में दर्ज की गई।
शिकायत पर तुरंत संज्ञान लेते हुए जिला नगर आयुक्त एवं आदर्श आचार संहिता के नोडल अधिकारी गुलजार मलिक ने रामकुमार गौतम को 10 सितंबर, मंगलवार को सुबह 11 बजे अपना पक्ष रखने के लिए जिला नगर आयुक्त कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
Code of conduct violation : नोडल अधिकारी गुलजार मलिक ने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में रामकुमार गौतम के बयान को लेकर अन्य पार्टी के समर्थकों और लोगों में असंतोष फैल रहा है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है। चुनाव आयोग इस मामले में निष्पक्ष जांच करते हुए संबंधित प्रत्याशी से स्पष्टीकरण मांग रहा है।
Code of conduct violation : इस भाषण पर हुआ है नोटिस जारी
सफीदों से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए रामकुमार गौत्तम अपने ब्यानों को लेकर हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं। चाहे किसी जनसभा की बात हो या विधानसभा सैशन की बात रही हो दादा गौत्तम के ब्यान कहीं ना कहीं तूल पकड़ ही लेते हैं। ऐसा ही उनका सफीदों की सैनी धर्मशाला दिया गया ब्यान विवाद और चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि दादा गौत्तम भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने के बाद पहली बार सफीदों की सैनी धर्मशाला में पहुंचे थे। उनके प्रथम आगमन पर लोग तो पहुंचे लेकिन केवल पूर्व विधायक कलीराम पटवारी को छोड़कर स्थानीय बड़े नेता व पदाधिकारी नहीं पहुंचे।
दादा गौत्तम लोगों को संबोधित करते हुए विवादित बातें बोल गए और इसी को लेकर उनका वीडियो क्षेत्र में लगातार वायरल हो रहा है। अपने ठेठ हरियाणवीं अंदाज में दादा गौत्तम ने पहले बोला कि ऐसा काम कर दूंगा यहां कभी कांग्रेस का बीज भी नी जामेगा। साथ ही यह भी बोल दिया कि सफीदों विधानसभा में जो मेरा साथ देगा उसकै आगै फल लागैगा, अर जो साथ नहीं देगा उसका बीज जाम जियो तो मेरे को बता दियो।
उनकी यह बात कहते ही वहां उपस्थित लोग ठहाके मारकर हंसने लगे। उनके इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है ।
क्या है आदर्श आचार संहिता ?
भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं जिन्हें ‘आदर्श आचार संहिता’ (Code of condut) कहा जाता है। ये नियम हर राजनीतिक दल और उम्मीदवार के आचरण को नियंत्रित करते हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो सके। इन नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध, आपराधिक मुकदमा और यहां तक कि जेल की सजा भी शामिल हो सकती है।
Code of conduct violation : आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य
आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी, अनुचित प्रभाव, और मतदाताओं को प्रभावित करने वाले असंवैधानिक उपायों को रोकना है। इसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण, रैलियों, सभाओं और चुनाव प्रचार के लिए स्पष्ट नियम निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही, मतदान के दिन भी सख्त नियम लागू होते हैं ताकि वोटरों पर कोई दबाव न बनाया जा सके।
आचार संहिता के नियमों की मुख्य विशेषताएं
आचार संहिता के तहत चुनाव प्रचार में सरकारी साधनों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। कोई भी दल सरकारी गाड़ी, विमान या बंगले का उपयोग नहीं कर सकता। इसके अलावा, मतदान से पहले जाति और धर्म के आधार पर वोट मांगने पर भी रोक है। चुनाव प्रचार के लिए रैली, जुलूस, और सभा करने से पहले स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी जरूरी होती है।
वोटरों को शराब या पैसे देकर प्रभावित करने की कोशिश करना भी आचार संहिता का उल्लंघन Code of conduct violation है। चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर भी खास ध्यान दिया जाता है। मतदान बूथों के पास दलों और उम्मीदवारों के शिविरों में किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री या भीड़ इकट्ठा करने पर सख्त मनाही होती है।
Code of conduct violation : चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग, आचार संहिता के पालन को सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। ये पर्यवेक्षक भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और राजस्व सेवा के अधिकारी होते हैं, जो चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखते हैं।
Code Of Conduct का पालन एक अनुशासनात्मक और नैतिक जिम्मेदारी है। हालांकि, यह किसी कानून का हिस्सा नहीं है, फिर भी इसके कुछ प्रावधान भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के अंतर्गत आते हैं, जो इसे कानूनी प्रभाव देते हैं। बावजूद इसके, हर चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाएं सामने आती हैं, जो चुनाव आयोग के लिए चुनौती बनी रहती हैं।
आचार संहिता के सही पालन से ही लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया को सफल बनाया जा सकता है।
अब देखना यह होगा कि रामकुमार गौतम अपनी सफाई में क्या पक्ष रखते हैं, क्योंकि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर आयोग सख्त रुख अपना सकता है।