Dengue new strains: डेंगू का प्रकोप एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है और यह स्थिति स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। डेंगू के मामलों में अचानक वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसमें मरीजों के लिए सामान्य दवाएं भी असरदार साबित नहीं हो रही हैं। कुछ मामलों में मरीज कोमा में जा रहे हैं, और ब्लड प्रेशर कम होने के साथ-साथ हार्ट पर भी दबाव बढ़ रहा है।
Dengue new strains : डेंगू के मामलों में बेतहाशा वृद्धि
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार के पटना, मधेपुरा, सारण, लखीसराय, नालंदा, सुपौल, और वैशाली जिलों में डेंगू के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले कुछ दिनों में पटना जिले में प्रतिदिन औसतन 35 से 60 नए मामले दर्ज हो रहे हैं। सिर्फ शनिवार और रविवार को ही 46-46 नए मरीज सामने आए। इसी के साथ बिहार में डेंगू के कुल मामलों की संख्या 1,774 हो गई है, जिसमें से 832 मामले अकेले पटना से हैं।
Dengue new strains : मरीजों को हो रही गंभीर समस्याएं
इस बार Dengue के नए स्ट्रेन के लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं। मरीजों को शुरुआती 3-4 दिन में तेज बुखार की शिकायत हो रही है, जो सामान्य दवाओं से कम नहीं हो रहा। कई मरीजों को 4-5 घंटे के अंतराल पर दवा लेनी पड़ रही है, लेकिन इससे भी Fiver में कोई खास राहत नहीं मिल रही है। इसके अलावा, मरीजों को काले मल और काली उल्टी की समस्या भी हो रही है, जो डेंगू के इस नए स्ट्रेन की गंभीरता को दर्शाता है।
Dengue new strains : समय पर इलाज न मिलने से बढ़ रही समस्या
डेंगू के इस नए स्ट्रेन में सबसे खतरनाक बात यह है कि समय पर इलाज न मिलने की स्थिति में मरीजों की हालत और भी खराब हो जाती है। प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं, जिससे शरीर में लिक्विड की कमी हो जाती है। ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और हार्ट पर दबाव बढ़ने लगता है। यदि स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाए तो मरीज कोमा में भी जा सकता है। ऐसे में, डॉक्टरों का कहना है कि बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के दवा लेने से बचें।
Dengue new strains : स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट
बिहार में डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। लोगों को डेंगू से बचाव के लिए साफ-सफाई और मच्छरों से बचने के उपायों को अपनाने की सलाह दी गई है। साथ ही, किसी भी गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की अपील की गई है।
डेंगू की इस नई लहर ने पूरे राज्य में स्वास्थ्य तंत्र को चुनौती दी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर उचित इलाज और जागरूकता ही इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।