Delhi Jammu Katra Expressway: दिल्ली से माता वैष्णो देवी कटरा तक का सफर जल्द ही एक नए और तेज़ एक्सप्रेसवे के माध्यम से आरामदायक हो जाएगा। कुंडली-पलवल-मानेसर (KMP) एक्सप्रेसवे अब दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे से कनेक्ट हो चुका है, जिससे दिल्ली-एनसीआर से उत्तरी भारत की प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों तक यात्रा और आसान होगी।
Jammu Katra Expressway: भारतमाला परियोजना के तहत निर्माणाधीन यह एक्सप्रेसवे, 39,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। यह सुपर एक्सप्रेसवे न केवल दिल्ली को जम्मू और कटरा से जोड़ता है, बल्कि अमृतसर, स्वर्ण मंदिर, जलियावाला बाग और वाघा बॉर्डर जैसे पर्यटन स्थलों तक भी कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। उम्मीद है कि एक्सप्रेसवे मार्च 2025 तक पूरी तरह से शुरू हो जाएगा, जिससे दिल्ली से कटरा का सफर मात्र 566 किलोमीटर और अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तय किया जा सकेगा।
केएमपी एक्सप्रेसवे से कनेक्टिविटी की सुविधा
Jammu Katra Expressway: इस प्रोजेक्ट के तहत केएमपी से दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे को फिलहाल अस्थाई रूप से जोड़ दिया गया है। गोहाना से लेकर रुखी तक के मार्ग पर वाहन अस्थाई रूप से चलाए जा रहे हैं। हालांकि, फिलहाल इस रास्ते को पत्थरों से बंद रखा गया है, ताकि उद्घाटन के बाद ही पूरी तरह इसे यातायात के लिए खोला जा सके।
खरखौदा में विशेष एंट्री-एग्जिट प्वाइंट्स और टोल व्यवस्था
खरखौदा के पास इस सुपर एक्सप्रेसवे के तीन एंट्री-एग्जिट प्वाइंट्स बनाए गए हैं। पहला एंट्री प्वाइंट खरखौदा आईएमटी व केएमपी के पास स्थित मारुति सुजुकी प्लांट के पास है। दूसरा प्वाइंट खरखौदा-सांपला नेशनल हाईवे 334B पर हसनगढ़ के पास है और तीसरा एंट्री-एग्जिट प्वाइंट खरखौदा-रोहतक मार्ग पर कंसाला में स्थित है। साथ ही, 10 लेन का एक बड़ा टोल प्लाजा हसनगढ़-मौरखेड़ी के पास और 6 लेन का टोल प्लाजा कंसाला में बनाया गया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा इस एक्सप्रेसवे पर ग्रीनरी का काम भी लगभग पूरा हो चुका है, जो इसे और अधिक पर्यावरण-हितैषी बनाएगा। केएमपी से इस मार्ग पर आने वाले वाहनों को टोल प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा, ताकि ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
दिल्ली से कटरा के प्रमुख पर्यटन स्थलों तक सीधी पहुंच
दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे न केवल माता वैष्णो देवी कटरा तक पहुंचने का माध्यम बनेगा, बल्कि इससे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की यात्रा भी आसान होगी। अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर, जलियावाला बाग और वाघा बॉर्डर जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल अब सीधे एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे, जिससे पर्यटकों का समय और प्रयास दोनों ही बचेंगे। यह प्रोजेक्ट धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा और पूरे क्षेत्र में आर्थिक विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाएगा।
मार्च 2025 तक तैयार होने की उम्मीद
मार्च 2025 तक यह पूरा एक्सप्रेसवे चालू होने की उम्मीद है। फिलहाल इसे आधिकारिक रूप से जनता के लिए खोला नहीं गया है, लेकिन एक्सप्रेसवे का काम अंतिम चरण में है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अनुसार उद्घाटन की तिथि घोषित होने पर एक्सप्रेसवे को पूरी तरह जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन चलेंगे
दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे पर यात्री 120 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से यात्रा कर सकेंगे। तेज गति की सुविधा के साथ-साथ एक्सप्रेसवे को सुरक्षा के मानकों का भी ध्यान रखा गया है। इस एक्सप्रेसवे के चालू होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) से जम्मू और कटरा के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। इससे दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक का भार भी कम होगा, जो पर्यावरण और समय दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
भूमि अधिग्रहण और निर्माण की चुनौतियां
इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पंजाब और हरियाणा राज्यों से हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें पंजाब की लगभग 14,000 एकड़ भूमि और हरियाणा की 5,000 एकड़ भूमि शामिल है। इसके निर्माण में कई चुनौतियां सामने आईं, लेकिन सरकार और निर्माण कंपनियों के प्रयासों से इस प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाया गया। इसे केसीसी कांट्रेक्ट कंपनी बना रही है, जो इस एक्सप्रेसवे के समय पर निर्माण के लिए प्रयासरत है।
दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक प्रबंधन पर सकारात्मक प्रभाव
दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही ट्रैफिक का भारी लोड रहता है, जिससे रोजाना यातायात की समस्या होती है। एक्सप्रेसवे के चालू हो जाने से कुंडली-पलवल-मानेसर एक्सप्रेसवे (केएमपी) पर भी ट्रैफिक का भार कम होगा और यातायात अधिक सुव्यवस्थित हो सकेगा।

उद्घाटन का इंतजार
उद्घाटन के बाद इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से लाखों लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। दिल्ली से कटरा के बीच सफर के लिए लोग इस सुपर एक्सप्रेसवे का लाभ उठा सकेंगे। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण देश की आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगा और उत्तरी भारत में धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस सुपर एक्सप्रेसवे के निर्माण से भारत के उत्तरी क्षेत्र में पर्यटन, आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।