Jind chunav : जींद जिला : नामांकन के बाद अब रूठों को मनाने में लगे उम्मीदवार, जुलाना से कांग्रेस प्रत्याशी व भाजपा के जिला स्तरीय नेता टिकट दावेदारों से साधा रहे संपर्क

Anita Khatkar
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Jind Chunav : जींद : नामांकन के बाद अब अगल-अलग राजनीतिक दलों से नाराज हुए नेताओं को मनाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। इसमें सबसे अधिक मेहनत कांग्रेस नेताओं को करनी पड़ रही है। हालांकि टिकट वितरण के बाद भाजपा के नेताओं में भी असंतोष है। दोनों दलों को रूठे हुए नेताओं से साथ नहीं मिलने का डर सता रहा है और भीतरघात होने का भी डर है। ऐसे में चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही सभी दल डेमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं।

इस बार टिकट वितरण में जींद जिले में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों के नेताओं में काफी असंतोष देखने को मिला है। दरअसल, सबसे पहले भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की। इसमें सफीदों से नारनौंद से जजपा विधायक रहे रामकुमार गौतम (Ramkumar Gautam) को टिकट दिया। इससे सफीदों में भाजपा के टिकट के लिए दौड़ में रहे नेताओं में असंतोष हो गया। इसके कारण पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य व पूर्व विधायक जसबीर देशवाल निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं।

वहीं सफीदों से भाजपा के कई बड़े नेता भी प्रचार में फिलहाल साथ नहीं दिखाई दे रहे। ऐसे में पार्टी के नेता इन लोगों को मनाने में लगे हुए हैं। हालांकि अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है। हालांकि कांग्रेस के टिकट के लिए भी सफीदों से 19 नेताओं ने आवेदन किया था, लेकिन यहां कांग्रेस का मौजूदा विधायक होने के कारण नेताओं में अधिक होड़ नहीं थी।

इसी प्रकार, जुलाना में कांग्रेसी व भाजपा नेताओं को साथ (Jind news) जोड़ने के लिए पार्टी पसीना बहा रही हैं। जुलाना में कांग्रेस के टिकट के लिए 86 नेताओं ने आवेदन किया था, लेकिन पार्टी ने अचानक पार्टी में शामिल कर अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को मैदान में उतार दिया है। हालांकि कई मंचों पर टिकट की दावेदारी कर रहे कुछ नेता विनेश फोगाट के साथ दिखे हैं, लेकिन कई नेता अब भी दूरी बना रहे हैं। हालांकि विनेश फोगाट ने जुलाना से टिकट का आवेदन करने वाले एक कांग्रेस नेता से जींद में मुलाकात की।

करीब एक घंटे तक इनके बीच बातचीत हुई, लेकिन नेता को मनाने में वह (Jind election news) सफल नहीं रहीं। विनेश को हुड्डा गुट से टिकट मिला है, ऐसे में अब दूसरे गुट के नेताओं को मनाने का प्रयास अपने स्तर पर किया जा रहा है। वहीं भाजपा ने जुलाना में कैप्टन योगेश को टिकट दिया है। कैप्टन योगेश पलवल के रहने वाले हैं, ऐसे में भाजपा के स्थानीय नेता फिलहाल उनके साथ जुड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं। हालांकि भाजपा के जिलाध्यक्ष एडवोकेट तिजेंद्र ढुल जुलाना से ही हैं, ऐसे में यहां असंतुष्टों को शांत करने का प्रयास प्रमुखता से किया जा रहा है।

जींद में भाजपा का टिकट डा. कृष्ण मिढ़ा (Jind Candidate Dr Krishan Midha) को दिया गया है। मिढ़ा वर्तमान विधायक हैं, ऐसे में उनका विरोध नहीं हुआ है। हालांकि जींद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से बागी होकर प्रदीप गिल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। जींद में रघबीर भारद्वाज, बलजीत रेढू जैसे नेता इंटरनेट मीडिया पर अपना विरोध जता चुके हैं। इसके साथ ही उचाना में कांग्रेस को बड़े स्तर पर अपनी ही पार्टी के नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। उचाना में पार्टी नेता विरेंद्र घोघड़ियां (Virender Ghogrian uchana) व दिलबाग संडील (Dilbag Sandil) निर्दलीय नामांकन कर चुके हैं।

यह दोनों नेता हुड्डा गुट के हैं और यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (Uchana Candidate Brijender singh) को टिकट दिया है। यहां भी कांग्रेस में बगावत है। बगावत का सीधा असर कांग्रेस के मतदाताओं पर पड़ने की संभावना है। हालांकि भाजपा ने उचाना से देवेंद्र अत्री को उम्मीदवार बनाया है। यहां भाजपा के पास पहले से बड़ा चेहरा नहीं होने के कारण भाजपा में असंतोष नहीं पनप पाया। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार को उम्मीद है पार्टी का नेतृत्व बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को मना लेगा।

नरवाना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों में बराबर का असंतोष रहा है। दोनों दलों के पास यहां महिला नेत्री रही हैं, जिन्होंने पार्टी के दो-दो चुनाव लड़े, लेकिन दोनों का टिकट कट गया। ऐसे में भाजपा ने संतोष रानी का टिकट का कर पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी (Krishan Bedi) को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में संतोष रानी जजपा में शामिल हो गई और अब जजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर 2014 व 2019 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थीं। वहीं कांग्रेस टिकट से दो बार चुनाव लड़ चुकी विद्यारानी अब इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। दोनों ही महिला नेत्री बिनैन खाप के बड़े गांव दनौदा से आती हैं। अब खाप में इसका क्या असर पड़ेगा, यह चुनाव परिणाम ही तय करेगा।

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