Mehngai Record: देश में महँगाई का असर तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे आम जनता का जीवन कठिन होता जा रहा है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 में खुदरा महँगाई दर 5.49% तक पहुँच गई है, जो पिछले 9 महीनों का उच्चतम स्तर है। अगस्त में ये दर 3.65% थी, लेकिन मात्र एक महीने में ही इसमें तीव्र वृद्धि देखने को मिली है।
खाद्य महँगाई की बात करें तो ये और भी गंभीर हो गई है। खाद्य महँगाई दर सितंबर में 9.24% दर्ज की गई, जबकि अगस्त(Mehngai Record)में यह 5.66% थी। इसके चलते सब्जियों, अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी इज़ाफा हुआ है।
Mehngai Record: खाद्य वस्तुओं के दामों में उछाल
टमाटर, प्याज और आलू जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं। टमाटर के दाम में 78% की वृद्धि हुई है, जबकि प्याज की कीमतें 55% तक बढ़ गई हैं। आलू के दाम भी 15.06% की वृद्धि के साथ लोगों की जेब पर भारी बोझ डाल रहे हैं। इसके अलावा, कच्ची घानी सरसों का तेल 12.99% महँगा हो गया है, जिससे रसोई का बजट पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
Mehngai Record: आम जनता पर बढ़ता बोझ
महँगाई का यह आलम तब है जब देश में खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत गरीबों को राशन का प्रावधान किया जा (Mehngai Record)रहा है। बावजूद इसके, महँगाई की मार से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का जीना दुश्वार हो गया है। दालें, गेहूँ, चावल और दूध जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दाम भी तेजी से बढ़े हैं, जिससे आम लोगों का बजट बुरी तरह से बिगड़ चुका है।
महँगाई पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
महँगाई के इस बढ़ते स्तर पर विपक्षी पार्टियाँ सरकार पर लगातार हमलावर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में महँगाई पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश की जनता महँगाई और भूखमरी के कारण त्रस्त हो चुकी है और अब ध्यान भटकाने की राजनीति नहीं चलेगी।
विपक्ष का मानना है कि महँगाई पर नियंत्रण न होने के कारण सरकार की नीतियों की विफलता साफ तौर पर उजागर हो रही है। Global Hunger Index में भारत का 105वें स्थान पर आना भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
देश में महँगाई के इस बढ़ते संकट को देखते हुए आम जनता में सरकार से राहत की उम्मीद है। यदि महँगाई दर पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया, तो इसका असर आगामी महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में भी दिखाई दे सकता है। जनता अब बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने और अपने वोट का इस्तेमाल सोच-समझकर करने की बात कर रही है।