UGC: नई दिल्ली: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए एक्सीलेरेटेड डिग्री प्रोग्राम (ADP) और एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम (EDP) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दे दी है। इस नई पॉलिसी के तहत अब स्टूडेंट्स अपनी डिग्री 2 साल में पूरी कर सकते हैं, जबकि कमजोर छात्रों को 5 साल तक का समय मिलेगा।
क्या हैं नई पॉलिसी के मुख्य बिंदु?
1. डिग्री का समय घटाने-बढ़ाने का विकल्प:
डिग्री कोर्स, जो आमतौर पर 3 या 4 साल में पूरा होता है, अब 2 साल में भी पूरा किया जा सकता है। वहीं, जिन स्टूडेंट्स को अतिरिक्त समय चाहिए, वे इसे 5 साल में भी पूरा कर सकेंगे।
2. SOP के नियम:
शिक्षण संस्थान ADP और EDP में एडमिशन के लिए एक कमेटी बनाएंगे। कमेटी स्टूडेंट्स की क्षमता का आकलन कर यह तय करेगी कि उन्हें ADP (तेज) या EDP (धीमा) प्रोग्राम में रखा जाए। दूसरे सेमेस्टर के अंत तक ही ADP में आवेदन किया जा सकेगा।
3. क्रेडिट और कोर्स स्ट्रक्चर:
ADP में सब्जेक्ट्स और क्रेडिट बढ़ा दिए जाएंगे ताकि स्टूडेंट्स कम समय में डिग्री पूरी कर सकें। EDP में स्टूडेंट्स हर सेमेस्टर कम क्रेडिट के साथ डिग्री को पूरा करेंगे। परीक्षा और मूल्यांकन प्रक्रिया सामान्य डिग्री प्रोग्राम की तरह ही होगी।
4. डिग्री पर विशेष नोट:
डिग्री पर यह लिखा जाएगा कि इसे कम या ज्यादा समय में पूरा किया गया है। हालांकि, इस डिग्री को भी नौकरियों और अकादमिक मान्यता में सामान्य डिग्री के बराबर माना जाएगा।
डिग्री के बीच ब्रेक का विकल्प भी उपलब्ध
UGC ने पहले ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत स्टूडेंट्स को डिग्री के बीच ब्रेक लेने और बाद में पढ़ाई जारी रखने का विकल्प दिया है। UGC चेयरमैन एम जगदीश कुमार का कहना है कि यह कदम शिक्षा को फ्लेक्सिबल और समावेशी बनाने की दिशा में है।
IIT मद्रास से आया सुझाव
IIT मद्रास के डायरेक्टर वी कामाकोटी ने इस पॉलिसी का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि शिक्षा को ज्यादा लचीला बनाने से अधिक युवा शिक्षित हो सकेंगे UGC चेयरमैन ने कहा कि हमारा उद्देश्य स्टूडेंट्स को क्रिटिकल थिंकर बनाना है और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार अवसर देना है। कमजोर स्टूडेंट्स ब्रेक लेकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं, जबकि तेज गति से सीखने वाले स्टूडेंट्स समय बचाकर तेजी से अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं।
स्टूडेंट्स और शिक्षाविदों के लिए एक नया युग
UGC का यह कदम हायर एजुकेशन में फ्लेक्सिबिलिटी और पारदर्शिता लाने का प्रयास है। यह नीति उन छात्रों के लिए मददगार साबित होगी जो या तो जल्दी करियर शुरू करना चाहते हैं या किसी कारण से अपनी पढ़ाई पूरी करने में ज्यादा समय लेते हैं। SOP का ड्राफ्ट जल्द ही पब्लिक डोमेन में लाया जाएगा, जहां स्टूडेंट्स और शिक्षाविदों से सुझाव मांगे जाएंगे। इस नई पॉलिसी से हायर एजुकेशन में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।