PROBA-3: बंगलूरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इसरो ने अपने सबसे भरोसेमंद पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के माध्यम से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन के दो उपग्रहों को लक्षित कक्षा में स्थापित किया। यह पीएसएलवी-सी59 रॉकेट (PSLV -59 Rocket) की 61वीं उड़ान थी। प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य सूर्य के रहस्यों को उजागर करना है।
इस मिशन में कई देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं और उन्होंने इस मिशन को सफलता तक पहुंचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी पर विश्वास जताया। इसरो ने इस पर खरा उतरते हुए मिशन को सफलता से अंजाम दिया। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने सोशल मीडिया पोस्ट में इस ऐतिहासिक सफलता का जिक्र किया।
प्रोबा-3 मिशन के उपग्रहों का अध्ययन
PROBA-3 मिशन में 2 उपग्रह हैं- कोरोनाग्राफ (310 किलो) और ऑकुल्टर (240 किलो)। इन्हें अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के प्रयास से एक साथ स्टैक्ड कॉन्फिगरेशन में लॉन्च किया जाएगा। इन उपग्रहों का उद्देश्य सूर्य की बाहरी परत यानी कोरोना का अध्ययन करना है। इसमें से एक उपग्रह सूर्य को छिपाएगा, जबकि दूसरा उपग्रह कोरोना का निरीक्षण करेगा।
प्रोबा-3 मिशन की सफलता
PROBA-3 मिशन की सफलता अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों का प्रतीक है। यह मिशन 2 साल चलेगा और इसमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का योगदान रहेगा। इस मिशन के माध्यम से वैज्ञानिक कृत्रिम सूर्यग्रहण जैसी स्थितियां बनाएंगे, ताकि कोरोना का अध्ययन किया जा सके। यह मिशन यूरोपीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण शोध और भारत के अंतरिक्ष अभियानों के सफलतम प्रयासों में से एक होगा।
इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लि.
इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को ईएसए से प्रोबा-3 मिशन के लिए प्रक्षेपण का आदेश मिला है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।