Parallel bar treatment : जींद शहर के 20 बुजुर्गों का ग्रुप पैरलल बार पर एक्सरसाइज करवाकर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं। लोहे के गोल पाइपों को डिजाइन करके बनाया गया पैरलल बार पर एक्यूप्रेशर से लोगों का इलाज किया जा रहा हैं।
डाक्टरों ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित जिन लोगों को आपरेशन करवाने के लिए कहा था या ताउम्र दवाई खाने के लिए बोला था, ऐसे लोग पैरलल बार पर उलटा-सुलटा झूलकर स्वस्थ हो रहे हैं।
जींद में पहली बार वर्ष 2015 में हरियाणा पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टर 72 वर्षीय सज्जन सिंह खर्ब ने कम्युनिटी सेंटर में पैरलल बार लगवाए थे। धीरे-धीरे लोगों को इन पर एक्सरसाइज करने से फायदा मिलने लगा तो लोगों में क्रेज बढ़ गया। अब जींद शहर के 30 पार्कों में एक्सरसाइज के लिए पैरलल बार लगाए जा चुके हैं। अब यह 20 बुजुर्गों का एक ग्रुप बन चुका हैं और इस ग्रुप में उम्र 60 से 90 वर्ष के बुजुर्ग शामिल हैं।

जींद शहर के अलावा रोहतक, सोनीपत, हांसी, हिसार, दिल्ली, चंडीगढ़ के पार्कों में लगाए गए पैरलल बार में प्रतिदिन सुबह व शाम को दस हजार लोग अभ्यास करते हैं। पैरलल बार के ट्रेनर सज्जन सिंह खर्ब ने बताया कि अब तक लगभग 800 लोग गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा चुके हैं। सज्जन सिंह बताते हैं कि पैरलल बार पर उलटा-सुलटा झूलने से पूरे शरीर में तेजी से रक्त का संचार होता है।
बंद नस-नाड़ियां खुलती हैं। उलटा झूलने से शीर्षासन व सर्वांगासन का काम भी होता है। साथ ही, यह एक्युप्रेशर का काम भी करता है। भारत में एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति 6000 साल पुरानी है। सज्जन सिंह दावा करते हैं कि पैरलल बार पर उलटा झूलने से हाई व लो बीपी, हृदय, शुगर, माइग्रेन, थाइराइड, पीनियल, हार्ट प्रोब्लम, हर्निया, प्रोस्टेट, भगंदर, बवासीर के अनगिनत मरीज ठीक हुए हैं। इसी कारण यह लोगों में इस पर एक्सरसाइज का क्रेज बढ़ रहा है और अब कई शहरों में पैरलल बार लग चुके हैं।
Parallel bar ; जींद में सीखकर दिल्ली, चंडीगढ़ में भी लगवाए पैरलल बार
ट्रेनर सज्जन सिंह बताते हैं कि जींद में पैरलल बार पर एक्सरसाइज का लाभ लेकर कई लोगों ने दूसरे शहरों में इन्हें लगवाया है। बीएंडआर के एसई जींद में इन पर प्रैक्टिस करते थे। चंडीगढ़ तबादला हुआ तो वहां पार्क में लगवा दिया। इसी तरह दिल्ली, हांसी, हिसार, रोहतक पुलिस लाइन व कम्युनिटी सेंटर सहित काफी जगह पर पैरलल बार लगवाए जा चुके हैं।
रायपुर के शंकरलाल तंबोली से सीखी विधा
सज्जन सिंह बताते हैं कि वर्ष 2013 में पुलिस विभाग से सेवानिवृत हो गए थे और इसके बाद उनके घुटने में दर्द होने लगा। जहां पर दिल्ली के एक जानमाने अस्पताल में इलाज करवाया तो उन्होंने चांदी भस्म खाने के लिए दे दी। शरीर में मोटा होने के साथ वर्ष 2015 में उन्हें हार्ट अटैक आ गया था। डाक्टरों ने दिल्ली रेफर कर दिया और कहा कि स्टंट डलेंगे।

मैंने बच्चों से कहा कि अभी एक सप्ताह रुक जाओ। चार दिन बाद वह रोहतक गए और राजीव गांधी स्टेडियम में आल इंडिया वेटरन गेम्स में रायपुर से आए शंकरलाल तंबोली से मुलाकात की। उन्होंने पैरलल बार के बारे में बताया। घर आते ही पैरलल बार लगवाया। तीन महीने तक आनलाइन उनसे एक्सरसाइज सीखी और पूरी तरह स्वस्थ हो गया। उस समय हार्ट अटैक के अलावा चार नंबर का चश्मा चढ़ा हुआ था। घुटनों में तकलीफ थी।
साइटिका यानि रांगड़ बाय हो गया था। पैरलल बार पर चमत्कारी आराम होने के बाद उन्होंने कम्युनिटी सेंटर में पैरलल बार लगवा दिए और लोगों को सिखाना शुरू कर दिया। अब शहर के सभी प्रमुख पार्कों में लोगों ने चंदा इकट्ठा करके पैरलल बार लगवा लिए हैं।
नशा छुड़वाने के अभियान से जुड़ा ग्रुप
सज्जन खर्ब ने बताया कि पैरलल बार की एक्यूप्रेशन की विधि से आदी हो चुके लोगों का नशा छुड़वाया जाता हैं। उनके ग्रुप द्वारा हरियाणा पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा हैं और उनके ग्रुप को नशे के खिलाफ चला जा रहे अभियान से जोड़ने का अनुरोध किया हैं।
जहां पर नशे के आदी लोगों को पैरलल बार पर प्रतिदिन अभ्यास करवाकर उनका नशा छुड़वा दिया जाएगा। अगर पुलिस विभाग से उनको अनुमति मिलती हैं तो पूरे प्रदेश में इस अभियान से जुड़ जाएंगे।