Shekar Mittal Success Story : ‘मां का दुलार’ ने बेटे इंजनियर को बनाए लाखों -करोड़ो का मालिक, जानें यहां पूरी कहानी

Shekar Mittal Success Story : पश्चिमी यूपी का एक जिला है अलीगढ़। यहां से काफी युवा पढ़ाई और रोजगार की तलाश में देश के दूसरे शहरों का रुख करते हैं। अलीगढ़ से शेखर मित्तल नाम का युवा साल 2008 में 2 हजार किलोमीटर दूर ग्रेजुएशन के लिए मेट्रो सिटी बेंगलुरु जाता है। बेंगलुरु पहुंचने के बाद शेखर ने लगभग हर भारतीय की तरह मां के हाथ का बना हुआ खाना मिस किया। बस फिर क्या था, शुरू कर दिया घर के बने खाने का कारोबार।

मां के हाथ से बना खाना था पसंद
हमारें पाठकों को बता दें की, आज शेखर अपने इस व्यापार से अच्छी इनकम कर रहा हैं। इनके फूड बिजनेस का नाम ‘मां का दुलार’ है। शेखर बताते हैं कि, उन्हें साउथ इंडियन खाना भी पसंद है। बेंगलुरु आने के बाद वह साउथ इंडियन खाने का लुत्फ उठाते थे। लेकिन मां के हाथ से बने घर के खाने की भी काफी कमी महसूस करते थे। वह बताते हैं कि उन्हें खाने के साथ तालमेल बिठाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बाद में महसूस किया मां के हाथ के खाने की कमी महसूस करने वाले वह अकेले नहीं थे।

 

बेंगलुरु की महिलाओं को कारोबार से जोड़ा

शेखर मित्तल ने अपने व्यापार में बेंगलुरु की उन महिलाओं से संपर्क किया जो मां थीं। उन्होंने 100 महिलाओं को अपने कारोबार से जोड़ा। ये वे महिलाएं हैं जो शेखर के बिजनेस के लिए घर का खाना बनाती हैं। शेखर अपनी कैटरिंग सर्विस के जरिए इस खाने लोगों तक पहुंचाते हैं।

 

 कहां से मिला आइडिया ?

एक नीची मिडिया चैनल से बात करते हुए शेखर मित्तल बताते हैं कि, जब वह साल 2008 में पढ़ाई के लिए बेंगलुरु गए तो वह नॉर्थ इंडिया के खाने को बहुत मिस करते थे। उन्होंने कई रेस्टोरेंट से उत्तर भारतीय खाना ऑर्डर किया, लेकिन उन्हें वह टेस्ट नहीं मिला। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने एक्सेंचर के लिए काम करना शुरू कर दिया।

वह ईस दौरान बताते हैं कि, साल 2015 में उन्होंने एक जानकार महिला से घर का खाना बनाने को कहा। वह तैयार हो गईं। इसके बाद उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से घर का खाना खाने के बारे में पूछा। वे तैयार हो गए। इसके बाद उन्होंने उस महिला के हाथ का बना हुआ घर का खाना दोस्तों को डिलीवर किया।

 

देखते ही देखते बढ़ता गया कारोबार

शेखर आगे बताते हैं कि, दोस्तों को वह खाना काफी पसंद आया। उन्होंने शेखर से पूछा कि क्या वह कल भी यही खाना मंगवा सकते हैं? बस, यहीं से उन्हें इस कारोबार में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि शुरुआत में वह केवल वीकेंड पर ही खाना देते थे। बाकी के दिनों में ऑफिस जाते थे।

साल 2020 में जब कोरोना आया तो उने बिजनेस में बड़ा परिवर्तन आया। उन्हें पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा ऑर्डर मिलने लगे। उसी समय उन्होंने जॉब छोड़ अपने इस कारोबार में पूरी तरह कदम रख दिया। हालांकि इसके बाद उन्हें घर और दूसरे लोगों से कई तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं। लेकिन उन्होंने इनकी परवाह नहीं की और अपने कारोबार पर फोकस रखा।

 

महिलाओं की अच्छी कमाई

अपने व्यापार में महिलाओं की भागीदारी को लेकर शेखर बताते हैं कि, वह अभी तक लाखों लोगों को अपना खाना ऑर्डर कर चुके हैं। इनके मेन्यू में वेज और नॉन-वेज दोनों तरह का खाना होता है। इनके कारोबार से जुड़ने वाली महिलाएं महीने में 50-60 हजार रुपये तक कमा रही हैं। शेखर अपनी वेबसाइट के जरिए ऑर्डर लेते हैं और उन्हें डिलीवर करते हैं। वह जन्मदिन पार्टियों, शादियों आदि के लिए भी खाना मुहैया कराते हैं।

 

 

कितनी है शेखर की इनकम

पाठकों को बता दें कि, ‘मां का दुलार’ के अंतर्गत शेखर कई तरह के फूड मुहैया कराते हैं। इनमें लंच-डिनर के अलावा विभिन्न प्रकार के लड्डू, गुजिया आदि शामिल हैं। ‘मां का दुलार’ की सेवाएं फिलहाल बेंगलुरु और अलीगढ़ में उपलब्ध हैं। ये सिर्फ अपनी ऑफिशियल वेबसाइट से ही ऑर्डर लेते हैं। उन्हें दोनों शहरों से मिलाकर हर दिन 500 से ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं। हालांकि इनकी कमाई कितनी है, इसके बारे में इन्होंने कोई खुलासा नहीं किया है।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *