Tulsi Vivah 2024 : 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की निद्रा से जागेंगे, जिसके बाद मांगलिक कार्यों का सिलसिला फिर से शुरू हो जाएगा। इस दिन को देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु का जागरण होता है।
आस्था के अनुसार, विष्णु जी आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी तक चार महीने विश्राम करते हैं, और इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं।
देवउठनी एकादशी के मौके पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन विभिन्न मंदिरों और अन्य जगहों पर तुलसी-शालिग्राम विवाह के आयोजन होंगे। देवशयनी एकादशी के बाद से अब विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे संस्कारों के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो गए हैं, क्योंकि विष्णु जी के निद्रा से जागने के बाद सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
इस दौरान विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति Tulsi Vivah 2024 नहीं करवा पा रहा है, तो देवउठनी एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाने और तुलसी को ओढ़नी (चुनरी) अर्पित करने की परंपरा है। इसके बाद सुहाग का सामान जैसे लाल चूड़ियां, कुमकुम, बिंदी, हार-फूल भी चढ़ाए जाते हैं और अगले दिन इसे किसी सुहागिन महिला को दान किया जाता है। साथ ही, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की विशेष पूजा करने का भी महत्व है।
तुलसी से जुड़ी विशेष बातें भी इस दौरान महत्वपूर्ण होती हैं। सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। इसके अलावा, अमावस्या, चतुर्दशी, रविवार, शुक्रवार और सप्तमी तिथि पर भी तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए। यदि इन दिनों में तुलसी के पत्तों का उपयोग करना आवश्यक हो, तो झड़े हुए पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पूजा में रखे पुराने पत्तों का पुनः उपयोग भी किया जा सकता है।
विवाह के शुभ मुहूर्त:
नवंबर: 14, 17, 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27
दिसंबर: 5, 6, 7, 11
इस दौरान इन तारीखों पर शादी, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।