MA Katyaayani Dhaam Train Line : बिहार के खगड़िया जिले में स्थित एक छोटी-सी रेलवे लाइन का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 500 मीटर की इस रेल लाइन ने अब तक 5,000 से अधिक लोगों की जान ली है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस खौफनाक रास्ते पर मां कात्यायनी की नाराजगी से जुड़े अजीबोगरीब हादसे होते रहते हैं। ये रेल लाइन धमारा बदला घाट के पास से गुजरती है, जहां से हर गुजरने वाली ट्रेन के ड्राइवर स्पीड कम कर देते हैं और यात्री मन ही मन प्रार्थना करने लगते हैं।
मां कात्यायनी और बदला घाट की रहस्यमयी कड़ी :
इस रेल लाइन से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर बागमती नदी के किनारे मां कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मां कात्यायनी की नाराजगी इस रेल मार्ग पर होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, जब मां नाराज होती हैं, तो इस रास्ते से गुजरने वालों की जान चली जाती है, और उनकी लाश तक नहीं मिलती। इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे की सच्चाई का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन लोगों की आस्था इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देती है।
6 जून 1981: दुनिया का सबसे बड़ा रेल हादसा
धमारा बदला घाट रेलवे लाइन पर सबसे भयानक घटना 6 जून 1981 को घटी थी। इस दिन एक ट्रेन दुर्घटना में 3,000 से 4,000 लोगों की मौत होने का अनुमान लगाया गया था। ट्रेन बागमती नदी के पुल से गुजर रही थी जब अचानक पुल पर गाय-भैंस आ गईं। ट्रेन को रोकने के प्रयास में ब्रेक लगाने पर वह नदी में गिर गई। इस हादसे में ट्रेन के डिब्बे बागमती नदी में समा गए और उनमें बैठे अधिकांश यात्रियों का शव भी कभी नहीं मिला।
प्रत्यक्षदर्शियों की दर्दनाक यादें :
इस भयानक हादसे में अपने रिश्तेदारों को खोने वाले कहते हैं कि उन्हें किसी की लाश तक नहीं मिली। यह हादसा एक ऐसा जख्म है जो समय के साथ भी नहीं भरता।
नियमित घटनाओं का सिलसिला :
इस रेलवे लाइन पर बड़े हादसों के अलावा छोटे-मोटे हादसे भी आम हैं। 19 अगस्त 2013 को इसी जगह लगभग 28 श्रद्धालुओं की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। ये श्रद्धालु पैदल मां कात्यायनी धाम जा रहे थे। इसके अलावा, इस 500 मीटर के दायरे में अनगिनत लोग हर साल ट्रेन से कटकर अपनी जान गंवा देते हैं।
क्यों होती है इतनी मौतें ?
इस सवाल का जवाब ढूंढना मुश्किल है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास और मां कात्यायनी की नाराजगी से जोड़ते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह रेलवे प्रशासन की लापरवाही और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर का परिणाम है। रेलवे पुल नंबर 51 से धमारा घाट तक का यह रास्ता बेहद खतरनाक है। यहां से गुजरने वाले यात्रियों के लिए यह रास्ता मौत का सफर साबित हो सकता है।
भारतीय रेलवे की भूमिका और चुनौतियां :
रेलवे विभाग इस क्षेत्र में समय-समय पर सुधार के दावे करता है, लेकिन हादसों का सिलसिला जारी है। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस क्षेत्र में पुल और रेलवे लाइन की स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में और लोगों की जान न जाए।
सतर्कता और आस्था के बीच का संघर्ष :
धमारा बदला घाट की यह 500 मीटर की रेल लाइन देश की सबसे खतरनाक रेल लाइन के रूप में जानी जाती है। यहां हादसों की कहानी जितनी दर्दनाक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। इस जगह की आस्था, डर और रहस्य ने इसे एक ऐसा स्थान बना दिया है, जहां से गुजरते वक्त हर कोई सतर्क रहता है।
आखिर में, यह कहानी सिर्फ हादसों की नहीं, बल्कि आस्था और अंधविश्वास के बीच के संघर्ष की है। इस क्षेत्र में यात्रा करते समय, सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है, लेकिन आस्था भी लोगों को यहां खींच लाती है