Haryana Clerk Pay Upgrade: चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को उन सभी क्लर्कों को अनुभाग अधिकारी के वेतनमान और सुविधाएं प्रदान करने का आदेश दिया है, जो अस्थायी रूप से अनुभाग अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। कोर्ट का यह फैसला उन कर्मचारियों के हित में आया है, जिन्होंने कई वर्षों तक अनुभाग अधिकारी की जिम्मेदारियां निभाई हैं लेकिन उन्हें इस उच्च पद का वेतनमान और भत्ते नहीं मिल रहे थे।
हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नियोक्ता (हरियाणा सरकार) की प्रभुत्वपूर्ण स्थिति के कारण पीड़ित कर्मचारी अपने कानूनी अधिकारों की मांग करने से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि एक आदर्श नियोक्ता का दायित्व है कि वह अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और सुविधाओं के अनुरोध को स्वीकार करे, विशेषकर जब कर्मचारी उच्च पद का कार्य और जिम्मेदारियां निभा रहे हों।
फैसले का आधार और आदेश की प्रमुख बातें
जस्टिस नमित कुमार की अध्यक्षता में यह आदेश उन कर्मचारियों की याचिकाओं पर आया, जिन्होंने 1982 से 2005 के बीच हरियाणा के विभिन्न विभागों में क्लर्क के रूप में सेवा शुरू की थी। हरियाणा सरकार ने राज्य में एसएएस अधिकारियों की कमी को देखते हुए अनुभाग अधिकारी के पदों पर क्लर्कों की अस्थायी नियुक्ति की थी। हालांकि, याचिकाकर्ताओं को एसएएस भाग-I परीक्षा उत्तीर्ण न करने के कारण अनुभाग अधिकारी के पद का वेतनमान नहीं दिया गया था।
हाई कोर्ट ने माना कि राज्य ने क्लर्कों की सेवाएं अनुभाग अधिकारी के रूप में जानबूझकर इस्तेमाल कीं, भले ही उन्होंने एसएएस परीक्षा पास न की हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में सरकार को उनके अनुभव और योगदान का सम्मान करना चाहिए और उन्हें अनुभाग अधिकारी का वेतनमान और अन्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
फैसले का प्रभाव और आगे की प्रक्रिया
इस आदेश से राज्य के सैकड़ों क्लर्कों को लाभ होगा, जो अनुभाग अधिकारी के तौर पर जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर इन कर्मचारियों को लाभ प्रदान करे।
इस फैसले से कर्मचारियों में उत्साह है और इससे प्रशासनिक विभागों में बेहतर कार्यशक्ति के उपयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।