Elderly residential growth: बेंगलुरु: देश में बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए आवासीय यूनिट का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया और रियल एस्टेट निवेशक कंपनी जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में बुजुर्गों के आवासीय बाजार में हर साल 27% की वृद्धि होगी। मौजूदा समय में बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए देश में 20,000 विशेष आवासीय यूनिट बनाई गई हैं। लेकिन 2030 तक इस तरह की 23 लाख यूनिट की आवश्यकता होगी।
64 हजार करोड़ का कारोबार
वर्तमान में बुजुर्गों के लिए आवासीय यूनिट का बाजार 15,500 करोड़ रुपये का है, जो 2030 तक बढ़कर 64 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार आज के बुजुर्ग वित्तीय रूप से सुरक्षित हैं, सामाजिक रूप से सक्रिय हैं और स्वतंत्र जीवन जी रहे हैं, जिससे इस प्रकार की आवासीय सुविधाओं की मांग तेजी से बढ़ने की संभावना है।
बढ़ती सिल्वर इकोनॉमी
बुजुर्गों के इस बढ़ते बाजार को सिल्वर इकोनॉमी के रूप में पहचाना जाता है, जो अगले पांच वर्षों में 11.5 अरब डॉलर से बढ़कर 18 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। सिल्वर इकोनॉमी में बुजुर्गों के आवास से लेकर उनके इलाज, मनोरंजन और देखभाल से जुड़े सभी व्यवसाय शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक आयु के 15 करोड़ भारतीयों की संख्या 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ हो जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं बनती हैं।

अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या में इजाफा
शहरी क्षेत्रों में 26.7% बुजुर्ग या तो अकेले रहते हैं या अपने जीवनसाथी के साथ रहते हैं, जिससे उनकी विशेष जरूरतों की पूर्ति के लिए एक नया इकोसिस्टम बन रहा है। बुजुर्गों की देखभाल की बढ़ती मांग को देखते हुए कई स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं और उन्हें कैपिटल वेंचर से फंड भी मिल रहा है।
2030 तक, इस विशेष आवासीय और देखभाल बाजार में वृद्धि न केवल बुजुर्गों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।